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Alert: जहरीली हवा चुपचाप हृदय और धमनियों को कर रही है कमजोर, कहीं आप भी न हो जाएं शिकार?

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Mon, 01 Sep 2025 06:01 PM IST
सार

  • हवा में मौजूद छोटे-छोटे कण (PM2.5) सांस के साथ हमारे फेफड़ों से होते हुए रक्तप्रवाह में पहुंच जाते हैं। समय के साथ ये हमारी नसों (आर्टरी) को सख्त बनाने लगते हैं, इससे हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है। 

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वायु प्रदूषण और इसके कारण होने वाली दिक्कतें - फोटो : Freepik.com

Pollution & Heart Problems: दुनियाभर में कई प्रकार की क्रॉनिक बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। गड़बड़ लाइफस्टाइल और खराब खानपान को इसका प्रमुख कारण माना जाता है, इसके अलावा कई प्रकार की पर्यावरणीय और सामाजिक स्थितियां भी हमारी सेहत को गंभीर रूप से क्षति पहुंचाने वाली हो सकती हैं। बढ़ता वायु प्रदूषण ऐसा ही एक गंभीर समस्या है जिसका स्वास्थ्य पर कई प्रकार से नकारात्मक असर देखा जा रहा है।



क्या आपने कभी सोचा है कि हम जो हवा हर रोज सांस में खींचते हैं, वही हमारी सेहत के लिए सबसे बड़ा खतरा भी हो सकती है? बढ़ते प्रदूषण के कारण हवा में मौजूद छोटे-छोटे कण शरीर के अंदर जाकर खून और नसों को नुकसान पहुंचाते हैं। वायु प्रदूषण को आमतौर पर फेफड़ों और सांस से संबंधित समस्याओं को बढ़ाने वाला माना जाता रहा है, पर कुछ अध्ययनों से स्पष्ट होता है कि ये आपके हृदय स्वास्थ्य के लिए भी काफी चिंताजनक स्थिति हो सकती है।

वैज्ञानिकों ने पाया है जो लोग प्रदूषित वातावरण में अधिक रहते हैं उनमें समय के साथ फेफड़ों और हृदय की बीमारियों का जोखिम भी अधिक हो सकता है, जिसको लेकर सावधानी बरतते रहना जरूरी है

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वायु प्रदूषण का खतरा - फोटो : Freepik.com

वायु प्रदूषण और इसका हृदय स्वास्थ्य पर असर

हवा में मौजूद छोटे-छोटे कण (PM2.5) सांस के साथ हमारे फेफड़ों से होते हुए रक्तप्रवाह में पहुंच जाते हैं। समय के साथ ये हमारी नसों (आर्टरी) को सख्त बनाने लगते हैं, इससे हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि प्रदूषण वाली जगह पर सिर्फ कुछ घंटे रहने से भी ब्लड प्रेशर 2-4 पॉइंट तक बढ़ सकता है। 

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. दिमित्री यारानोव ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि वायु प्रदूषण हमारे दिल की सेहत को प्रभावित कर रही है पर कोई भी इसके बारे में बात नहीं कर रहा है। 'हजारों हार्ट फेलियर मरीजों का इलाज करने के बाद मुझे लगता है कि काश लोग पहले ही इस जोखिम को समझ गए होते।'

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प्रदूषण के कारण हृदय रोगों का खतरा - फोटो : Freepik.com

क्या कहते हैं डॉक्टर?

डॉ. दिमित्री ने हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों का जिक्र करते हुए बताया कि हृदय को क्षति पहुंचाने वाली कई स्थितियां हैं जिन्हें अक्सर हम सभी अनदेखा कर देते हैं पर ये गंभीर हो सकती हैं।

इनमें वायु प्रदूषण, तनाव और कोर्टिसोल का स्तर, लगातार नींद की कमी, मसूड़ों की बीमारी, आंतों की खराब सेहत और आहार में गड़बड़ी शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हृदय स्वास्थ्य सिर्फ व्यायाम और स्वस्थ आहार से ही ठीक नहीं रखा जा सकता है, हमें उन सभी कारकों पर ध्यान देना होगा जिससे खतरा बढ़ सकता है।

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हृदय स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव - फोटो : adobe stock

प्लाक बनने का बढ़ जाता है खतरा

अमर उजाला से एक बातचीत के दौरान दिल्ली स्थित अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ रविप्रकाश बताते हैं, प्रदूषित हवा का असर लंबे समय तक शरीर को प्रभावित कर सकता है। इससे हमारी नसों की अंदरूनी दीवारों पर प्लाक बनने लगता है। धीरे-धीरे यह जमाव इतना बढ़ जाता है कि खून के संचार का रास्ता ही संकरा हो जाता है।

10 साल तक चले एक बड़े अध्ययन में पाया गया कि जो लोग प्रदूषित इलाकों में रहते हैं, उनकी नसों में प्लाक का जमाव ज्यादा देखा गया। इसका मतलब यह हुआ कि ऐसे लोगों में दिल का दौरा या स्ट्रोक होने का खतरा अन्य लोगों की तुलना में अधिक हो सकता है।

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हृदय रोगों का जोखिम और इससे बचाव - फोटो : Freepik.com

सूजन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से हार्ट अटैक का खतरा

वायु प्रदूषण के जोखिम यहीं तक सीमित नहीं हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि प्रदूषित हवा में मौजूद सूक्ष्म कण शरीर में सूजन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस जैसी दिक्कतों को भी बढ़ा सकते हैं। इससे खून गाढ़ा होने लगता है और उसमें थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है। ये भी हार्ट अटैक के लिए प्रमुख जोखिम कारक है।

प्रदूषण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस उत्पन्न करते हैं, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और धमनियों में सूजन संबंधी परिवर्तन को बढ़ावा देता है। इसके कारण दीर्घकालिक रूप से हृदय संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।




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स्रोत 
Cardiovascular Effects of Particulate Air Pollution


अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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