Agam Khare Amar Ujala Samvad: 'हरियाणा स्वर्णिम शताब्दी की ओर' थीम पर आधारित अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में स्वास्थ्य और तकनीक जगत की दिग्गज हस्तियों ने शिरकत की। इस दौरान उजाला सिग्नस के सीईओ नितिन नाग और एब्सोल्यूट के फाउंडर अगम खरे ने भविष्य की स्वास्थ्य चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। जब अगम खरे जी से सवाल पूछा गया कि क्या बचपन से शुरू होने वाला बर्गर-पिज्जा का कल्चर हमारी लाइफस्टाइल बीमारियों की नींव रख रहा है, तो उन्होंने बहुत ही वैज्ञानिक और तार्किक उत्तर दिया। उन्होंने बताया कि हमारे शरीर के भीतर लगभग 40 ट्रिलियन सूक्ष्मजीवों का एक संसार बसता है, जिसे गट माइक्रोबायोम कहा जाता है।
Amar Ujala Samwad: अगम खरे ने बताया- आपका शरीर कैसी डाइट चाहता है, ऐसे करें पहचान
Gut Microbiome and Health: अमर उजाला संवाद में एब्सोल्यूट के फाउंडर अगम खरे ने भविष्य की स्वास्थ्य चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने पिज्जा-बर्गर पर जो बोला उसके बारे में आपको भी जानना चाहिए।
जेनेटिक ऑर्डर और नेटिव फूड का महत्व
अगम खरे जी ने स्पष्ट किया कि हर मनुष्य का एक विशिष्ट जेनेटिक ऑर्डर होता है जो सदियों पुराने खानपान के आधार पर विकसित हुआ है। हमारे पूर्वजों ने जो खाया, उसी से हमारा आंतरिक बायोम तैयार हुआ है। जब तक हम अपने क्षेत्र के प्राकृतिक और पारंपरिक भोजन का सेवन करते हैं, हमारा शरीर उसे सकारात्मक प्रतिक्रिया देता है।
लेकिन जब हम पिज्जा या बर्गर जैसी चीजें खाते हैं, तो शरीर इन्हें नहीं पहचानता क्योंकि ये हमारी विकासवादी प्रक्रिया का हिस्सा नहीं रहे हैं। आधुनिक खाद्य पदार्थों को शरीर के अनुकूल ढलने में बहुत समय लगता है, और अक्सर ये हमारे स्वास्थ्य के बजाय बीमारियों को बढ़ावा देते हैं।
गट माइक्रोबायोम टेस्ट
आज के दौर में सोशल मीडिया और रील्स के प्रभाव में आकर लोग अपनी डाइट चुन रहे हैं, जो कि खतरनाक हो सकता है। अगम खरे के अनुसार, यह तौलना बहुत जरूरी है कि कौन सी चीज हमारे लिए फायदेमंद है और कौन सी नहीं। इसका सबसे सटीक वैज्ञानिक तरीका गट माइक्रोबायोम टेस्ट है।
इस टेस्ट के जरिए आप जान सकते हैं कि आपके शरीर के बैक्टीरिया किन खाद्य पदार्थों के प्रति कैसा व्यवहार करते हैं और आपके लिए वास्तव में उचित भोजन क्या है। बिना सोचे-समझे किसी भी इंफ्लुएंसर की बात मानकर आहार बदलना सेहत के साथ खिलवाड़ करने जैसा हो सकता है।
नई चीजों को अपनाने का सही तरीका
अगम जी ने बताया कि बिना टेस्ट के आप खुद से जान सकते हैं कि आपके पाचन के लिए क्या अच्छा है? उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों की तरह हमें भी अपने अनुभव से सीखना चाहिए। जब भी आप कोई नई चीज खाना शुरू करें, तो उसे पहले बहुत कम मात्रा में खाएं।
अगर उसे खाने के बाद आपके पेट में गैस, एसिडिटी या पाचन संबंधी कोई समस्या नहीं होती है, तभी उसे अपनी नियमित डाइट का हिस्सा बनाएं। बिना परखे किसी भी नई चीज को अधिक मात्रा में खाना सीधे तौर पर आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि शरीर को उसे पचाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
संवाद में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारा शरीर इसी मिट्टी और प्रकृति से बना है, इसलिए इससे जुड़ी चीजें जैसे ताजे फल और सब्जियां सीधे तौर पर ग्रहण करना सबसे लाभकारी है। जितना अधिक हम बनावटी तरीकों से तैयार किए गए भोजन या हानिकारक एडिटिव्स वाली चीजों का सेवन करेंगे, उनके साइड इफेक्ट्स उतने ही गंभीर होंगे।
हम प्रकृति के जितना करीब रहेंगे और अपनी आंतरिक सूक्ष्मजीव प्रणाली (माइक्रोबायोम) का सम्मान करेंगे, उतना ही हम लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों जैसे मधुमेह और हृदय रोगों से बचे रहेंगे।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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