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Eye Health: बुजुर्गों की तरह क्या बच्चों को भी हो सकता मोतियाबिंद? नेत्र रोग विशेषज्ञ से जानिए

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Mon, 01 Sep 2025 08:57 PM IST
सार

  • मोतियाबिंद आंखों से संबंधित एक गंभीर बीमारी है जिसमें सर्जरी की जरूरत होती है। इस बीमारी में लोगों को धुंधला दिखने लगता है और रोजमर्रा के काम करना भी कठिन हो जाता है।

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Cataracts in children risk and causes in hindi Why would a child get cataracts
बच्चों में आंखों की समस्या - फोटो : Freepik.com

आंखों से संबंधित बीमारियों का खतरा अब सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रहा है, 20 से कम उम्र के लोगों और बच्चों में भी इसका जोखिम बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके लिए गड़बड़ लाइफस्टाइल, आहार में विटामिन्स की कमी और आंखों की देखभाल को लेकर लापरवाही को प्रमुख कारण मानते हैं।



मोतियाबिंद आंखों से संबंधित एक गंभीर बीमारी है जिसमें सर्जरी की जरूरत होती है। इस बीमारी में लोगों को धुंधला दिखने लगता है और रोजमर्रा के काम करना भी कठिन हो जाता है। डॉक्टर बताते हैं कि इस बीमारी के कारण आंख के अंदर मौजूद लेंस धीरे-धीरे धुंधला होने लगता है, इसके चलते रोगियों के लिए चीजों को स्पष्ट रूप से देख पाना कठिन हो सकता है।

अब सवाल ये है कि जैसे कम उम्र के लोगों में आंखों से संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं, ऐसे में क्या बच्चों को भी मोतियाबिंद हो सकता है?

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बुजुर्गों में मोतियाबिंद - फोटो : Freepik.com

पहले मोतियाबिंद के बारे में जानिए

डॉक्टर कहते हैं, मोतियाबिंद मुख्यरूप से आंखों के लेंस से संबंधित समस्या है। सामान्यतः लेंस पारदर्शी होता है, जिसकी वजह से रोशनी आसानी से अंदर जाती है और साफ दिखता है। लेकिन जब यह लेंस धुंधला हो जाता है तो रोशनी का प्रवाह रुक जाता है और नजर धुंधली होने लगती है। यही स्थिति मोतियाबिंद कहलाती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 51% अंधेपन के मामले मोतियाबिंद की वजह से होते हैं। यह धीरे-धीरे बढ़ता है और  इलाज न होने पर नजर पूरी तरह खो सकती है।

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आंखों की समस्या-मोतियाबिंद - फोटो : Freepik.com

क्या बच्चों में भी हो सकती है ये दिक्कत?

पुणे स्थित एक अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अर्चित याज्ञनिक बताते हैं, अक्सर हम सभी सोचते हैं कि मोतियाबिंद सिर्फ बुजुर्गों को होता है, लेकिन कुछ मामलों में ये जोखिम बच्चों को भी हो सकता है। बच्चों में होने वाली मोतियाबिंद की समस्या को कंजेनिटल कैटरेक्ट कहते हैं। शोध बताते हैं कि हर 10,000 बच्चों में से लगभग 1 से 3 बच्चों को जन्मजात मोतियाबिंद हो सकता है। 

शोध बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान मां को कोई संक्रमण जैसे रुबेला, मम्प्स के कारण बच्चों को ये दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा गर्भावस्था में दवाओं या पोषण की कमी का भी बच्चों की सेहत पर असर देखा जाता रहा है।

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बच्चों में आंखों की बीमारी - फोटो : Freepik.com

बच्चों की आंखों पर दें ध्यान

बच्चों में अगर मोतियाबिंद समय पर पकड़ में न आए तो उनकी नजर स्थाई रूप से प्रभावित हो सकती है।अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी कहती हैं कि जन्मजात मोतियाबिंद का जल्द इलाज करना बेहद जरूरी है ताकि बच्चे की नजर बचाई जा सके।

मोतियाबिंद को शुरुआती चरण में दवा या चश्मे से मैनेज किए जा सकता है, लेकिन इसका स्थायी इलाज सिर्फ सर्जरी है। जब लेंस पूरी तरह से धुंधला हो जाता है और नजर बहुत कम हो जाती है, तब डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं।

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आंखों को कैसे ठीक रखा जाए? - फोटो : Freepik.com

क्या इससे बचा जा सकता है?

मोतियाबिंद को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन शोध बताते हैं कि कुछ सावधानियां रखकर इसके खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

बच्चों की आंखों को धूप से बचाए रखना जरूरी है। सूरज की तेज रोशनी में बाहर जाते समय यूवी प्रोटेक्टेड चश्मा जरूर पहनें। इसके अलावा मोतियाबिंद से बचाव के लिए आहार को ठीक रखना भी जरूरी है। इसके लिए विटामिन सी, ई और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन जरूर करें।

जिन लोगों का ब्लड शुगर अक्सर बढ़ा हुआ रहता है उन्हें इसको नियंत्रित रखने की जरूरत होती है, इससे मोतियाबिंद का खतरा कम हो जाता है।



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नोट: 
यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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