दुनिया के कई देश इन दिनों मंकीपॉक्स संक्रमण से परेशान हैं। अफ्रीका से लेकर यूएस और एशियाई देशों में भी इस वायरल संक्रमण का प्रकोप देखा जा रहा है। जोखिमों को देखते हुए भारत सरकार ने भी अलर्ट जारी किया है। मंकीपॉक्स के जारी खतरे के बीच देश में चांदीपुरा वायरस का संक्रमण भी लोगों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।
CHPV Infection: मंकीपॉक्स के साथ भारत में इस संक्रामक रोग ने भी बढ़ाई चिंता, पांच प्वाइंट्स में जानिए सबकुछ
कई जिलों से रिपोर्ट किए गए मामले
समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्तमान में भारत के 43 जिलों से एईएस के मामले रिपोर्ट किए गए हैं। चांदीपुरा वायरस (CHPV), रैबडोविरिडे फैमिली का सदस्य है, ग्रामीण क्षेत्रों में इसके कारण संक्रमण होने का खतरा अधिक देखा जाता है। यह ज्यादातर बच्चों को प्रभावित करता है और शुरुआत में इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण उत्पन्न करता है। मच्छरों, टिक्स और कुछ प्रकार की मक्खियों के काटने से इसका संक्रमण फैलता है।
समय पर संक्रमण का निदान जरूरी
चांदीपुरा वायरस के जोखिमों को लेकर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि अगर समय रहते रोगियों में लक्षणों की पहचान कर ली जाए और उचित सहायक देखभाल हो जाए तो इससे जान बचने की संभावना बढ़ जाती है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि प्रयोगशालाओं में त्वरित निदान की सुविधाएं उपलब्ध हों जिससे सैंपल टेस्टिंग के जल्द परिणाम प्राप्त किए जा सकें।
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ?
डब्ल्यूएचओ ने कहा, भारत में वैसे तो सीएचपीवी एंडेमिक स्टेज में है और पहले भी इसका प्रकोप होता रहा है। हालांकि,वर्तमान प्रकोप पिछले 20 वर्षों में सबसे बड़ा है। इसके संक्रमित व्यक्ति से अन्य लोगों में फैलने का खतरा नहीं होता है। प्रभावित क्षेत्रों में खेतों या झाड़ियों में जाने से बचें, यहां कीटों और टिक्स के काटने से संक्रमण का खतरा हो सकता है।
आइए पांच प्वाइंट्स में चांदीपुरा वायरस और इसके कारण होने वाली समस्याओं के बारे में समझते हैं।
चांदीपुरा संक्रमण के बारे में जानिए
1.चांदीपुरा संक्रमण के मामले वैसे तो काफी दुर्लभ रहे हैं लेकिन इसके कारण घातक स्थितियां उत्पन्न होने का खतरा अधिक रहता है।
2. बुखार, फ्लू जैसे लक्षणों के साथ शुरू होने वाला ये संक्रमण बच्चों में इंसेफेलाइटिस का कारण बन सकता है।
3. गंभीर स्थितियों में इसके कारण कोमा और यहां तक कि मृत्यु का भी जोखिम रहता है। इस संक्रमण के कारण मृत्युदर 56 से 75 प्रतिशत तक देखी जाती रही है।
4. संक्रमित मच्छरों, टिक्स और मक्खियों के काटने से ये संक्रमण फैलता है। संक्रमण के लक्षणों के बारे में जानना और समय रहते इलाज प्राप्त करना सबसे आवश्यक हो जाता है। स्वच्छता और जागरूकता ही इस बीमारी के खिलाफ उपलब्ध एकमात्र उपाय है।
5. चांदीपुरा वायरस का संक्रमण चूंकि काफी दुर्लभ है इसलिए अभी तक इसका कोई उचित इलाज नहीं है। हालांकि संक्रमण का समय पर पता लगने और सहायक उपचार शुरू हो जाने से इसके गंभीर रूप लेने और मस्तिष्क से संबंधित विकारों के खतरे को कम किया जा सकता है।
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