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CHPV Infection: मंकीपॉक्स के साथ भारत में इस संक्रामक रोग ने भी बढ़ाई चिंता, पांच प्वाइंट्स में जानिए सबकुछ

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Mon, 02 Sep 2024 07:20 PM IST
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चांदीपुरा वायरस के कारण होने वाली दिक्कतें - फोटो : istock

दुनिया के कई देश इन दिनों मंकीपॉक्स संक्रमण से परेशान हैं। अफ्रीका से लेकर यूएस और एशियाई देशों में भी इस वायरल संक्रमण का प्रकोप देखा जा रहा है। जोखिमों को देखते हुए भारत सरकार ने भी अलर्ट जारी किया है। मंकीपॉक्स के जारी खतरे के बीच देश में चांदीपुरा वायरस का संक्रमण भी लोगों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।



विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में जारी अलर्ट में कहा कि करीब दो दशकों बाद भारत चांदीपुरा वायरस का इस तरह का खतरनाक प्रकोप झेल रहा है। संक्रमण और रोग की गंभीरता दोनों में चांदीपुरा वायरस के संक्रमण को स्वास्थ्य विशेषज्ञ गंभीर मानते हैं। 

इसी साल जुलाई में गुजरात के कुछ हिस्सों से चांदीपुरा वायरस के मामले सामने आए थे। इसके बाद देखते ही देखते ये संक्रमण मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी पहुंच गया। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इस साल जून से लेकर 15 अगस्त तक भारत में चांदीपुरा संक्रमण और इसके कारण होने वाले एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 245 मामले सामने आए हैं, जिनमें 82 मरीजों की मौत भी हो गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों से विशेष सावधानी बरतते रहने की अपील की है।

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बच्चों में संक्रमण का खतरा - फोटो : Freepik

कई जिलों से रिपोर्ट किए गए मामले

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्तमान में भारत के 43 जिलों से एईएस के मामले रिपोर्ट किए गए हैं। चांदीपुरा वायरस (CHPV), रैबडोविरिडे फैमिली का सदस्य है, ग्रामीण क्षेत्रों में इसके कारण संक्रमण होने का खतरा अधिक देखा जाता है। यह ज्यादातर बच्चों को प्रभावित करता है और शुरुआत में इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण उत्पन्न करता है। मच्छरों, टिक्स और कुछ प्रकार की मक्खियों के काटने से इसका संक्रमण फैलता है। 


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चांदीपुरा वायरस को लेकर अलर्ट - फोटो : istock

समय पर संक्रमण का निदान जरूरी

चांदीपुरा वायरस के जोखिमों को लेकर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि अगर समय रहते रोगियों में लक्षणों की पहचान कर ली जाए और उचित सहायक देखभाल हो जाए तो इससे जान बचने की संभावना बढ़ जाती है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि प्रयोगशालाओं में त्वरित निदान की सुविधाएं उपलब्ध हों जिससे सैंपल टेस्टिंग के जल्द परिणाम प्राप्त किए जा सकें। 

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चांदीपुरा का संक्रमण और जोखिम - फोटो : Istock

क्या कहता है डब्ल्यूएचओ?

डब्ल्यूएचओ ने कहा, भारत में वैसे तो सीएचपीवी एंडेमिक स्टेज में है और पहले भी इसका प्रकोप होता रहा है। हालांकि,वर्तमान प्रकोप पिछले 20 वर्षों में सबसे बड़ा है। इसके संक्रमित व्यक्ति से अन्य लोगों में फैलने का खतरा नहीं होता है। प्रभावित क्षेत्रों में खेतों या झाड़ियों में जाने से बचें, यहां कीटों और टिक्स के काटने से संक्रमण का खतरा हो सकता है।

आइए पांच प्वाइंट्स में चांदीपुरा वायरस और इसके कारण होने वाली समस्याओं के बारे में समझते हैं।

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चांदीपुरा के कारण मस्तिष्क पर असर - फोटो : istock

चांदीपुरा संक्रमण के बारे में जानिए

1.चांदीपुरा संक्रमण के मामले वैसे तो काफी दुर्लभ रहे हैं लेकिन इसके कारण घातक स्थितियां उत्पन्न होने का खतरा अधिक रहता है। 

2. बुखार, फ्लू जैसे लक्षणों के साथ शुरू होने वाला ये संक्रमण बच्चों में इंसेफेलाइटिस का कारण बन सकता है। 

3. गंभीर स्थितियों में इसके कारण कोमा और यहां तक कि मृत्यु का भी जोखिम रहता है। इस संक्रमण के कारण मृत्युदर 56 से 75 प्रतिशत तक देखी जाती रही है।

4. संक्रमित मच्छरों, टिक्स और मक्खियों के काटने से ये संक्रमण फैलता है। संक्रमण के लक्षणों के बारे में जानना और समय रहते इलाज प्राप्त करना सबसे आवश्यक हो जाता है। स्वच्छता और जागरूकता ही इस बीमारी के खिलाफ उपलब्ध एकमात्र उपाय है।

5. चांदीपुरा वायरस का संक्रमण चूंकि काफी दुर्लभ है इसलिए अभी तक इसका कोई उचित इलाज नहीं है। हालांकि संक्रमण का समय पर पता लगने और सहायक उपचार शुरू हो जाने से इसके गंभीर रूप लेने और मस्तिष्क से संबंधित विकारों के खतरे को कम किया जा सकता है।


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नोट: यह लेख डॉक्टर्स का सलाह और मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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