राजधानी दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर बना हुआ है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, गुरुवार की सुबह दिल्ली के एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में कुछ सुधार हुआ, ये पिछले दिन के 'गंभीर' से 'बहुत खराब' स्तर पर आ गया है। मयूर विहार इलाके से ड्रोन विजुअल्स में शहर पर जहरीले धुएं की एक मोटी परत छाई हुई दिखी। कई इलाकों में एक्यूआई 360 था, जिसे 'बहुत खराब' कैटेगरी में रखा गया है।
Health Alert: दिल्ली-एनसीआर में रहने वालों में डिप्रेशन का खतरा! जानिए क्या है इसके पीछे की वजह?
- स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है कि पीएम2.5 के लंबे समय तक संपर्क में रहने से डिप्रेशन जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
- तो क्या दिल्ली में आने वाले दिनों में डिप्रेशन के मरीजों की संख्या में उछाल आने वाली है?
पीएम 2.5 के कारण बढ़ सकता है डिप्रेशन का खतरा
जामा नेटवर्क में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है कि पीएम2.5 जैसे प्रदूषक जिनमें सल्फेट, अमोनियम, एलिमेंटल कार्बन और मिट्टी की धूल भी शामिल हैं, इनके लंबे समय तक संपर्क में रहने से डिप्रेशन जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
यह खतरा उम्रदराज लोगों में और भी ज्यादा देखा गया है। जिन्हें पहले से ही कार्डियोमेटाबोलिक और न्यूरोलॉजिक कोमॉर्बिडिटी जैसी बीमारियां थी ऐसे लोगों के लिए प्रदूषित माहौल और भी खतरनाक हो सकता है।
अध्ययनों में क्या पता चला?
2.36 करोड़ से ज्यादा लोगों पर किए गए इस अध्ययन के नतीजों से पता चलता है कि उम्रदराज लोगों और जिन्हें पहले से ही मेंटल हेल्थ या न्यूरो की कोई समस्या रही है, उन्हें प्रदूषण से बचाव करते रहना और भी जरूरी है।
अमेरिका की एमोरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा, हमारे नतीजों ने पुष्टि की है कि पीएम 2.5 सहित हवा में मौजूद अन्य प्रदूषकों का डिप्रेशन के खतरे संबंध हो सकता है। जिन लोगों को पहले से कोमोरबिडिटी जैसे हाई ब्लड प्रेशर, कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां जैसे स्ट्रोक और कंजस्टिव हार्ट फेलियर, न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियां जैसे अल्जाइमर रोग और सांस की बीमारियां रही हैं उनमें पीएम 2.5 प्रदूषण के कारण डिप्रेशन होने का खतरा काफी अधिक था।
सांस और दिल की बीमारियों का भी खतरा
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, पीएम 2.5 को आमतौर पर सांस की समस्याओं जैसे खांसी, सांस फूलना, गले में जलन और अस्थमा अटैक से जोड़कर देखा जाता रहा है, पर इसके दुष्प्रभाव कहीं अधिक हो सकते हैं। बच्चों और बुजुर्गों में इसका असर ज्यादा गंभीर होता है क्योंकि उनकी इम्युनिटी कमजोर होती है।
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता पीएम 2.5 दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ाता है। ये सूक्ष्मकण खून में पहुंचकर सूजन पैदा करते हैं, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या वाले लोगों के लिए यह और भी खतरनाक साबित हो सकता है।
पीएम 2.5 का जानलेवा असर
इससे पहले अमर उजाला में अक्तूबर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में हमने बताया था कि किस तरह से पीएम 2.5 जानलेवा साबित होता जा रहा है। द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, पीएम 2.5 प्रदूषण के कारण साल 2022 में भारत में 17 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई।
साल 2010 की तुलना में मौत के मामलों में 38 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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स्रोत
Exposure to Multiple Fine Particulate Matter Components and Incident Depression in the US Medicare Population
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