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Diabetes: डायबिटीज रोगियों में इस कैंसर का खतरा अधिक, आप भी हैं मधुमेह रोगी तो जरूर कराएं ये जांच

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sat, 18 Nov 2023 08:00 AM IST
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diabetic patients Have a Higher Risk of Colon Cancer know its risk factor and prevention
टाइप-2 डायबिटीज का खतरा - फोटो : istock

डायबिटीज वैश्विक स्तर पर होने वाली गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, साल-दर-साल इसके रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कम उम्र के लोग यहां तक की बच्चे भी इसके शिकार पाए जा रहे हैं, जोकि गंभीर समस्या हो सकती है। डायबिटीज अपने साथ कई और भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या लेकर आती है।



मधुमेह रोगियों में आंखों से लेकर किडनी, लिवर और हार्ट की बीमारियों का जोखिम अधिक देखा जाता रहा है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि डायबिटीज वाले लोगों में कोलन कैंसर का भी जोखिम अधिक हो सकता है।

जामा जर्नल में प्रकाशित हालिया अध्ययन के परिणामों के अनुसार, मधुमेह वाले लोगों में बिना डायबिटीज वालों की तुलना में कोलोरेक्टल (कोलेन) कैंसर होने का जोखिम 47% अधिक हो सकता है। ये कैंसर मुख्यरूप से बृहदान्त्र में अनियंत्रित कोशिकाओं के बढ़ने के कारण होता हैं। हर साल इस प्रकार के कैंसर के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है।

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कोलोरेक्टल कैंसर होने का जोखिम - फोटो : iStock

मधुमेह रोगियों में कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा
 

अध्ययन में पाया गया कि पिछले 5 वर्षों के भीतर मधुमेह से पीड़ित लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा सबसे अधिक देखा गया है, ऐसे में सुझाव दिया गया है कि जिन लोगों में मधुमेह का निदान होता है उनमें कैंसर के लिए स्क्रीनिंग बहुत जरूरी है जिससे कि समय रहते जोखिमों की पहचान कर खतरे को कम करने के उपाय किए जा सके।

जेएएमए नेटवर्क ओपन में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि कोलोनोस्कोपी मधुमेह वाले लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। 

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मधुमेह रोगियों में कैंसर का जोखिम - फोटो : iStock

अध्ययन में क्या पता चला?

शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए 54,597 लोगों के डेटा का विश्लेषण किया, प्रतिभागियों ने अपनी मधुमेह स्थिति के बारे में स्वयं बताया, हालांकि शोधकर्ताओं ने केवल उन लोगों पर ही अध्ययन किया जिन्हें टाइप-2 डायबिटीज की समस्या थी। लेखकों ने कहा कि मधुमेह और कोलोरेक्टल कैंसर, दुनियाभर में लोगों को प्रभावित करते हैं।

ये अध्ययन मधुमेह से पीड़ित लोगों में अन्य जोखिमों का पता लगाने और उनके समय रहते इलाज के लिए आवश्यक है। शोधकर्ताओं ने कहा, ऐसे रोगियों की कोलोनोस्कोपी जरूर की जानी चाहिए।

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पेट की जांच - फोटो : istock

क्या होती है कोलोनोस्कोपी?

कोलोनोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपके पूरे कोलन (बड़ी आंत) के अंदर की जांच करने में मदद करती है। यह प्रक्रिया एक लंबी, लचीली ट्यूब का उपयोग करके की जाती है जिसे कोलोनोस्कोप कहा जाता है। ट्यूब के एक सिरे पर एक लाइट और एक छोटा कैमरा होता है, जिससे बढ़ रही कोशिकाओं का पता लगाने में मदद मिलती है।

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि डायबिटीज रोगियों में डॉक्टर की सलाह पर नियमित अंतराल पर ये जांच किया जाना चाहिए, ताकि इस कैंसर की पहचान समय रहते की जा सके।

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डायबिटीज रोगी रहें सावधान - फोटो : Pixabay

क्या है शोधकर्ताओं की सलाह?

अध्ययन के लेखकों ने निष्कर्ष निकाला कि मधुमेह से पीड़ित लोगों में हृदय और किडनी की बीमारियों के साथ-साथ कैंसर के खतरे पर भी गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। ज्यादातर मामलों में कैंसर का निदान तब हो पाता है जब वो आखिरी के चरणों में पहुंच जाता है। सीडीसी के अनुसार, वर्तमान दिशानिर्देश सुझाव देते हैं कि अधिकांश लोगों को 45 वर्ष की आयु में डॉक्टर की सलाह पर कोलोरेक्टल कैंसर की जांच जरूर करा लेनी चाहिए, ये वैश्विक स्तर पर बढ़ता गंभीर स्वास्थ्य जोखिम है।  



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स्रोत और संदर्भ
Type 2 Diabetes and Colorectal Cancer Risk

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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