राजधानी दिल्ली-एनसीआर में पिछले दो महीनों से जिस तरह से वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर देखा जा रहा है, उसे लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ काफी चिंतित हैं। प्रदूषित वातावरण सेहत के लिए कई तरह से हानिकारक हो सकती है। हवा में बढ़ते प्रदूषक और हानिकारक गैसों का स्तर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाने वाला माना जाता रहा है।
Alert: दिल्ली वाले हो जाएं सावधान ! आपके बच्चों का कम हो सकता है आईक्यू लेवल और ब्रेन हेल्थ भी खतरे में
- प्रदूषित माहौल में बड़े होने वाले बच्चों का आईक्यू लेवल यानी बौद्धिक क्षमता कम होने, याददाश्त में दिक्कत और उनमें एडीएचडी जैसी समस्या होने की आशंका ज्यादा होती है।
प्रदूषित हवा, शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
मीडिया रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि दिल्ली में जहरीली हवा का सिलसिला जारी है, ऐसे में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए दिक्कतें बढ़ाता जा रहा है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे बच्चों में आईक्यू लेवल कम होने, याददाश्त की समस्या और एडीएचडी का जोखिम हो सकता है।
अध्ययनों पर आधारित तथ्यों का हवाला देते हुए, डॉक्टरों ने कहा कि जहरीली हवा के संपर्क में रहना डिप्रेशन, चिंता, याददाश्त की समस्या और संज्ञानात्मक विकास में रुकावट का कारण बन रही है। लंबे समय तक इसके कारण अल्जाइमर और पार्किंसन जैसे रोग न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों का खतरा भी बढ़ने की आशंका है।
मानसिक रोग और न्यूरोटिक विकारों का भी खतरा
देश के मनोचिकित्सकों का कहना है कि प्रदूषण के कारण जहां सांस, हृदय और एलर्जी संबंधी बीमारियां लोगों का ध्यान खींचती हैं, वहीं इसका मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाला असर भी उतना ही चिंताजनक है। अध्ययनों में प्रदूषण और बढ़ते संज्ञानात्मक और न्यूरोटिक विकारों के बीच स्पष्ट संबंध देखा गया है जिसका बच्चे, बुजुर्ग और कम आय वाले समुदाय सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं।
कम हो सकता है बच्चों का आईक्यू लेवल
शोधकर्ताओं की टीम ने कहा, दिल्ली जैसे प्रदूषित माहौल में बड़े होने वाले बच्चों का आईक्यू लेवल यानी बौद्धिक क्षमता कम होने, याददाश्त में दिक्कत और उनमें एडीएचडी जैसी समस्या होने की आशंका ज्यादा होती है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से कोर्टिसोल हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है। इसके कारण मूड से संबंधित दिक्कतें और क्रोनिक स्ट्रेस होने का जोखिम भी अधिक देखा जा रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, कम एक्यूआई लेवल वाले शहरों की तुलना में दिल्ली के लोग 30-40 प्रतिशत ज्यादा डिप्रेशन और एंग्जायटी की शिकायत करते हैं। सोशल आइसोलेशन, बाहर की गतिविधि कम होना और लगातार सेहत की चिंता दिल्ली वासियों के मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों को और भी बढ़ाने वाली हो सकती है।
कोरोना के बाद वायु प्रदूषण सबसे बड़ा संकट
दिल्ली-एनसीआर सहित कई अन्य राज्यों में बढ़े प्रदूषण को लेकर हाल ही में यूके-स्थित भारतीय मूल के श्वसन रोग विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोरोना महामारी के बाद वायु प्रदूषण शायद भारत के सामने आया सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है। अगर तुरंत इसे कंट्रोल करने की दिशा में कार्रवाई नहीं की गई तो यह हर साल और गंभीर संकट बढ़ाता जाएगा। भारतीय आबादी पर सांस की बीमारियों का एक बड़ा संकट आने की आशंका है। इसके अलावा मानसिक रोगों का खतरा भी बढ़ने की आशंका है। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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