सब्सक्राइब करें

Alert: दिल्ली वाले हो जाएं सावधान ! आपके बच्चों का कम हो सकता है आईक्यू लेवल और ब्रेन हेल्थ भी खतरे में

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sun, 28 Dec 2025 08:02 PM IST
सार

  • प्रदूषित माहौल में बड़े होने वाले बच्चों का आईक्यू लेवल यानी बौद्धिक क्षमता कम होने, याददाश्त में दिक्कत और उनमें एडीएचडी जैसी समस्या होने की आशंका ज्यादा होती है।

विज्ञापन
experts warned delhi toxic air leading to depression lower IQ level and ADHD in children
बच्चों की मानसिक सेहत - फोटो : freepik.com

राजधानी दिल्ली-एनसीआर में पिछले दो महीनों से जिस तरह से वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर देखा जा रहा है, उसे लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ काफी चिंतित हैं। प्रदूषित वातावरण सेहत के लिए कई तरह से हानिकारक हो सकती है। हवा में बढ़ते प्रदूषक और हानिकारक गैसों का स्तर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाने वाला माना जाता रहा है।



अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट में हमने बताया था कि किस तरह से दिल्ली की हवा में ओजोन और अमोनियम सल्फेट का बढ़ा हुआ स्तर नोटिस किया गया है। ये गैसें और रसायन क्रॉनिक बीमारियों को बढ़ाने वाली मानी जाती रही हैं। प्रदूषण हमारी सेहत को कई प्रकार से प्रभावित करता है। इससे सांस की दिक्कत बढ़ने के साथ हृदय रोग, मस्तिष्क की समस्याओं सहित कई तरह की न्यूरोलॉजिकल विकारों का खतरा हो सकता है।

इसी से संबंधित एक हालिया रिपोर्ट में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि जहरीली हवा के कारण लोगों की मानसिक सेहत भी प्रभावित होती है, इससे एडीएचडी जैसी समस्याओं के विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। एडीएचडी यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर तंत्रिका-विकास संबंधी विकार है जिसके कारण ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और बेचैनी बढ़ जाती है।

Trending Videos
experts warned delhi toxic air leading to depression lower IQ level and ADHD in children
दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण का खतरा - फोटो : ANI

प्रदूषित हवा, शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

मीडिया रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि दिल्ली में जहरीली हवा का सिलसिला जारी है, ऐसे में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए दिक्कतें बढ़ाता जा रहा है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे बच्चों में आईक्यू लेवल कम होने, याददाश्त की समस्या और एडीएचडी का जोखिम हो सकता है।

अध्ययनों पर आधारित तथ्यों का हवाला देते हुए, डॉक्टरों ने कहा कि जहरीली हवा के संपर्क में रहना डिप्रेशन, चिंता, याददाश्त की समस्या और संज्ञानात्मक विकास में रुकावट का कारण बन रही है। लंबे समय तक इसके कारण अल्जाइमर और पार्किंसन जैसे रोग न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों का खतरा भी बढ़ने की आशंका है।

विज्ञापन
विज्ञापन
experts warned delhi toxic air leading to depression lower IQ level and ADHD in children
ब्रेन हेल्थ की भी बढ़ती समस्या - फोटो : Freepik.com

मानसिक रोग और  न्यूरोटिक विकारों का भी खतरा

देश के मनोचिकित्सकों का कहना है कि प्रदूषण के कारण जहां सांस, हृदय और एलर्जी संबंधी बीमारियां लोगों का ध्यान खींचती हैं, वहीं इसका मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाला असर भी उतना ही चिंताजनक है। अध्ययनों में प्रदूषण और बढ़ते संज्ञानात्मक और न्यूरोटिक विकारों के बीच स्पष्ट संबंध देखा गया है जिसका बच्चे, बुजुर्ग और कम आय वाले समुदाय सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं।

experts warned delhi toxic air leading to depression lower IQ level and ADHD in children
बच्चों में एडीएचडी की समस्या - फोटो : Freepik.com

कम हो सकता है बच्चों का आईक्यू लेवल

शोधकर्ताओं की टीम ने कहा, दिल्ली जैसे प्रदूषित माहौल में बड़े होने वाले बच्चों का आईक्यू लेवल यानी बौद्धिक क्षमता कम होने, याददाश्त में दिक्कत और उनमें एडीएचडी जैसी समस्या होने की आशंका ज्यादा होती है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से कोर्टिसोल हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है। इसके कारण मूड से संबंधित दिक्कतें और क्रोनिक स्ट्रेस होने का जोखिम भी अधिक देखा जा रहा है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, कम एक्यूआई लेवल वाले शहरों की तुलना में दिल्ली के लोग 30-40 प्रतिशत ज्यादा डिप्रेशन और एंग्जायटी की शिकायत करते हैं। सोशल आइसोलेशन, बाहर की गतिविधि कम होना और लगातार सेहत की चिंता दिल्ली वासियों के मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों को और भी बढ़ाने वाली हो सकती है।

विज्ञापन
experts warned delhi toxic air leading to depression lower IQ level and ADHD in children
भारत में बढ़ती गंभीर बीमारियों का खतरा - फोटो : Amarujala.com

कोरोना के बाद वायु प्रदूषण सबसे बड़ा संकट

दिल्ली-एनसीआर सहित कई अन्य राज्यों में बढ़े प्रदूषण को लेकर हाल ही में यूके-स्थित भारतीय मूल के श्वसन रोग विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोरोना महामारी के बाद वायु प्रदूषण शायद भारत के सामने आया सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है। अगर तुरंत इसे कंट्रोल करने की दिशा में कार्रवाई नहीं की गई तो यह हर साल और गंभीर संकट बढ़ाता जाएगा। भारतीय आबादी पर सांस की बीमारियों का एक बड़ा संकट आने की आशंका है। इसके अलावा मानसिक रोगों का खतरा भी बढ़ने की आशंका है। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



----------------
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें  लाइफ़ स्टाइल से संबंधित समाचार (Lifestyle News in Hindi), लाइफ़स्टाइल जगत (Lifestyle section) की अन्य खबरें जैसे हेल्थ एंड फिटनेस न्यूज़ (Health  and fitness news), लाइव फैशन न्यूज़, (live fashion news) लेटेस्ट फूड न्यूज़ इन हिंदी, (latest food news) रिलेशनशिप न्यूज़ (relationship news in Hindi) और यात्रा (travel news in Hindi)  आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़ (Hindi News)।  

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed