स्वस्थ भविष्य चाहते हैं तो बच्चों की सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर बचपन से ही खान-पान और व्यायाम करने की आदत बना दी जाए तो ये भविष्य में होने वाली कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से बचाए रखने में मददगार हो सकती है।
Child Health: अपने बच्चे को कहीं आप ही नहीं बना रहे हैं डायबिटीज-हार्ट का मरीज? डॉक्टर ने किया सावधान
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ( एएपी) के विशेषज्ञों के मुताबिक एक साल से छोटे बच्चों की किडनी कमजोर होती है, वो ठीक तरीके से सोडियम को मैनेज नहीं कर पाती है। ऐसे बच्चों को भविष्य में हाइपरटेंशन या हार्ट की बीमारी होने का खतरा हो सकता है।
बच्चों को दें पौष्टिक आहार
डॉक्टर कहते हैं, दो साल तक के बच्चों को पोषण से भरपूर और उम्र के अनुसार पचने योग्य आहार देना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि यही उनकी शारीरिक और मानसिक वृद्धि की नींव होती है। इस उम्र में बच्चों की पाचन प्रणाली और इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होते, इसलिए कुछ खाद्य पदार्थ नुकसानदायक भी हो सकते हैं।
6 माह से 2 साल तक के बच्चों का खान-पान उनके भविष्य को निर्मित करने में मदद करता है, जिसका गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए।
क्या कहते हैं बाल रोग विशेषज्ञ?
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रवि मलिक कहते हैं, एक साल से छोटे बच्चे को नमक जबकि दो साल से छोटे बच्चों को चीनी नहीं दिया जाना चाहिए।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) के विशेषज्ञों के मुताबिक एक साल से छोटे बच्चों की किडनी कमजोर होती है, वो ठीक तरीके से सोडियम को मैनेज नहीं कर पाती है। ऐसे बच्चों को भविष्य में हाइपरटेंशन या हार्ट की बीमारी होने का खतरा हो सकता है।
इसी तरह से दो साल से छोटे बच्चों को अगर आप चीनी वाली चीजें, मिठाई-चॉकलेट आदि खाने को देते हैं तो इससे बच्चों में मोटापा-डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे बच्चों में कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का जोखिम भी अधिक हो सकता है। एक साल से छोटे बच्चों को जूस भी नहीं देना चाहिए क्योंकि इसमें भी शुगर हो सकता है।
अगर बच्चों को इसी उम्र में चीनी की आदत डाल देंगे तो इससे भविष्य 5-6 साल की आयु में क्रेविंग बढ़ जाती है जिससे मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज हो सकता है।
6 माह तक के बच्चों को सिर्फ स्तनपान
विश्व स्वास्थ्य संगठन और एएपी दोनों ही पहले 6 महीने तक केवल स्तनपान की सलाह देते हैं क्योंकि यह बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और संक्रमण से बचाता है। इस दौरान बच्चों को पानी भी न दें। मां के दूध से बच्चों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की आसानी से पूर्ति हो जाती है।
6 माह से 12 माह स्तनपान के साथ पूरक आहार दें। पहले खाना सादा, मुलायम और थोड़ा-थोड़ा दें जैसे दलिया, दाल का पानी आदि। इसके बाद बच्चों को मसले हुए फल (केला, सेब), उबली और मसली हुई सब्जियां (गाजर, आलू, लौकी), चावल, खिचड़ी और सुपाच्य खाना दिया जा सकता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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