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Child Health: अपने बच्चे को कहीं आप ही नहीं बना रहे हैं डायबिटीज-हार्ट का मरीज? डॉक्टर ने किया सावधान

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sun, 27 Apr 2025 04:43 PM IST
सार

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ( एएपी) के विशेषज्ञों के मुताबिक एक साल से छोटे बच्चों की किडनी कमजोर होती है, वो ठीक तरीके से सोडियम को मैनेज नहीं कर पाती है। ऐसे बच्चों को भविष्य में हाइपरटेंशन या हार्ट की बीमारी होने का खतरा हो सकता है।

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बच्चों में वजन बढ़ने की समस्या - फोटो : Adobe Stock

स्वस्थ भविष्य चाहते हैं तो बच्चों की सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर बचपन से ही खान-पान और व्यायाम करने की आदत बना दी जाए तो ये भविष्य में होने वाली कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से बचाए रखने में मददगार हो सकती है।



डॉक्टर कहते हैं, आमतौर पर हम सभी बाल मनुहार में छोटे बच्चों को चिप्स-नमकीन, चॉकलेट और कुकीज देते रहते हैं, ये चीजें भविष्य में कई प्रकार की गंभीर बीमारियों के खतरे को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। अगर आपके घर में भी कोई छोटा बच्चा है तो उसके खान-पान को लेकर विशेष सतर्कता बरतते रहना चाहिए।

आज आपकी छोटी-छोटी गलतियां भविष्य में उनकी सेहत के लिए कहीं गंभीर दिक्कतें न बढ़ा दें?

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बच्चों के आहार का रखें ध्यान - फोटो : Freepik.com

बच्चों को दें पौष्टिक आहार

डॉक्टर कहते हैं, दो साल तक के बच्चों को पोषण से भरपूर और उम्र के अनुसार पचने योग्य आहार देना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि यही उनकी शारीरिक और मानसिक वृद्धि की नींव होती है। इस उम्र में बच्चों की पाचन प्रणाली और इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होते, इसलिए कुछ खाद्य पदार्थ नुकसानदायक भी हो सकते हैं।

6 माह से 2 साल तक के बच्चों का खान-पान उनके भविष्य को निर्मित करने में मदद करता है, जिसका गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए।

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बच्चों का खान-पान (सांकेतिक) - फोटो : freepik.com

क्या कहते हैं बाल रोग विशेषज्ञ?

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रवि मलिक कहते हैं, एक साल से छोटे बच्चे को नमक जबकि दो साल से छोटे बच्चों को चीनी नहीं दिया जाना चाहिए।

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) के विशेषज्ञों के मुताबिक एक साल से छोटे बच्चों की किडनी कमजोर होती है, वो ठीक तरीके से सोडियम को मैनेज नहीं कर पाती है। ऐसे बच्चों को भविष्य में हाइपरटेंशन या हार्ट की बीमारी होने का खतरा हो सकता है।

इसी तरह से दो साल से छोटे बच्चों को अगर आप चीनी वाली चीजें, मिठाई-चॉकलेट आदि खाने को देते हैं तो इससे बच्चों में मोटापा-डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे बच्चों में कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का जोखिम भी अधिक हो सकता है। एक साल से छोटे बच्चों को जूस भी नहीं देना चाहिए क्योंकि इसमें भी शुगर हो सकता है।

अगर बच्चों को इसी उम्र में चीनी की आदत डाल देंगे तो इससे भविष्य 5-6 साल की आयु में क्रेविंग बढ़ जाती है जिससे मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज हो सकता है।

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बच्चों को खाने के लिए क्या दें - फोटो : Freepik.com

6 माह तक के बच्चों को सिर्फ स्तनपान

विश्व स्वास्थ्य संगठन और एएपी दोनों ही पहले 6 महीने तक केवल स्तनपान की सलाह देते हैं क्योंकि यह बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और संक्रमण से बचाता है। इस दौरान बच्चों को पानी भी न दें। मां के दूध से बच्चों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की आसानी से पूर्ति हो जाती है।

6 माह से 12 माह स्तनपान के साथ पूरक आहार दें। पहले खाना सादा, मुलायम और थोड़ा-थोड़ा दें जैसे दलिया, दाल का पानी आदि। इसके बाद बच्चों को मसले हुए फल (केला, सेब),  उबली और मसली हुई सब्जियां (गाजर, आलू, लौकी), चावल, खिचड़ी और सुपाच्य खाना दिया जा सकता है।



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नोट: 
यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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