Emotional Eating Solutions: क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि ऑफिस में एक तनावपूर्ण दिन के बाद या किसी से बहस होने पर आपका हाथ सीधे चॉकलेट, आइसक्रीम या चिप्स के पैकेट की ओर जाता है? अक्सर लोग उदासी, चिंता, या तनाव जैसी नकारात्मक भावनाओं से निपटने के लिए भोजन का सहारा लेते हैं, खासकर मीठे और जंक फूड का।
Health Tips: क्यों तनाव में मीठा या जंक फूड खाने की अधिक इच्छा होती है, जानें क्या होता है 'इमोशनल ईटिंग'?
- अक्सर ऐसा होता है कि जब कोई अधिक चिंता या तनाव हो में होता है तो उसे मीठा या जंक फूड खाने की इच्छा होती है।
- कई बार भावनात्मक भूख अक्सर पेट भरने के बाद भी शांत नहीं होती और जब खा लेते हैं तो इसके बाद अपराध बोध या शर्मिंदगी महसूस होती है। आइए इस लेख में इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
तनाव और क्रेविंग का हार्मोनल कनेक्शन
जब हम लंबे समय तक तनाव में रहते हैं, तो हमारे शरीर में कॉर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यह हार्मोन शरीर के 'फाइट या फ्लाइट' मोड को सक्रिय करता है, जिससे शरीर को लगता है कि उसे खतरे से लड़ने के लिए तत्काल ऊर्जा की जरूरत है। इसी ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए, कोर्टिसोल मस्तिष्क को हाई-फैट, हाई-शुगर और नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन करने के लिए संकेत भेजता है, क्योंकि ये चीजें तुरंत ऊर्जा प्रदान करती हैं।
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'फील-गुड' हार्मोन का मायाजाल
तनाव में जंक फूड खाने की इच्छा का एक और बड़ा कारण है 'फील-गुड' हार्मोन सेरोटोनिन। मीठे और हाई-कार्ब वाले फूड प्रोडक्ट खाने से मस्तिष्क में सेरोटोनिन का स्तर अस्थायी रूप से बढ़ जाता है, जिससे हमें थोड़ी देर के लिए शांति और खुशी महसूस होती है। हमारा दिमाग इस अहसास को याद कर लेता है और अगली बार जब भी हम तनाव में होते हैं, तो वह फिर से उसी 'फील-गुड' अहसास को पाने के लिए जंक फूड की मांग करने लगता है।
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इमोशनल ईटिंग को कैसे पहचानें?
शारीरिक भूख और भावनात्मक भूख में अंतर करना जरूरी है। शारीरिक भूख धीरे-धीरे बढ़ती है और किसी भी पौष्टिक भोजन को खाने से शांत हो जाती है। वहीं भावनात्मक भूख अचानक और तेजी से लगती है और इसमें किसी खास चीज (जैसे पिज्जा या चॉकलेट) को खाने की तीव्र इच्छा होती है। भावनात्मक भूख अक्सर पेट भरने के बाद भी शांत नहीं होती और जब खा लेते हैं तो इसके बाद अपराध बोध या शर्मिंदगी महसूस होती है।
इमोशनल ईटिंग से बचने के लिए सबसे पहले अपने ट्रिगर्स को पहचानें, यानी यह समझें कि कौन सी भावना आपको खाने के लिए प्रेरित करती है। जब भी तनाव महसूस हो, तो खाने की बजाय 10-15 मिनट टहलने जाएं, संगीत सुनें या किसी दोस्त से बात करें। अपने घर में अनहेल्दी स्नैक्स रखने से बचें। नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद लेना भी स्ट्रेस हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे इमोशनल ईटिंग की इच्छा कम होती है।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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