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Health Tips: क्यों तनाव में मीठा या जंक फूड खाने की अधिक इच्छा होती है, जानें क्या होता है 'इमोशनल ईटिंग'?

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिखर बरनवाल Updated Fri, 03 Oct 2025 01:26 PM IST
सार

  • अक्सर ऐसा होता है कि जब कोई अधिक चिंता या तनाव हो में होता है तो उसे मीठा या जंक फूड खाने की इच्छा होती है।
  • कई बार भावनात्मक भूख अक्सर पेट भरने के बाद भी शांत नहीं होती और जब खा लेते हैं तो इसके बाद अपराध बोध या शर्मिंदगी महसूस होती है। आइए इस लेख में इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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Health Tips Why Do We Crave Sweets or Junk Food Under Stress Know About Emotional Eating
इमोशनल ईटिंग - फोटो : Amar Ujala

Emotional Eating Solutions: क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि ऑफिस में एक तनावपूर्ण दिन के बाद या किसी से बहस होने पर आपका हाथ सीधे चॉकलेट, आइसक्रीम या चिप्स के पैकेट की ओर जाता है? अक्सर लोग उदासी, चिंता, या तनाव जैसी नकारात्मक भावनाओं से निपटने के लिए भोजन का सहारा लेते हैं, खासकर मीठे और जंक फूड का।



इन्हीं भावनाओं से प्रेरित होकर खाने की इसी आदत को 'इमोशनल ईटिंग' या 'स्ट्रेस ईटिंग' कहा जाता है। यह शारीरिक भूख नहीं, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक जरूरत है, जिसमें दिमाग आराम और सुकून पाने के लिए हाई-कैलोरी फूड की मांग करता है। आइए इस लेख में इमोशनल ईटिंग और इसके पीछे के विज्ञान के बारे में जानते हैं और साथ ही इससे बचने के उपाय के बारे में भी जानेंगे।

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इमोशनल ईटिंग - फोटो : Adobe Stock

तनाव और क्रेविंग का हार्मोनल कनेक्शन
जब हम लंबे समय तक तनाव में रहते हैं, तो हमारे शरीर में कॉर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यह हार्मोन शरीर के 'फाइट या फ्लाइट' मोड को सक्रिय करता है, जिससे शरीर को लगता है कि उसे खतरे से लड़ने के लिए तत्काल ऊर्जा की जरूरत है। इसी ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए, कोर्टिसोल मस्तिष्क को हाई-फैट, हाई-शुगर और नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन करने के लिए संकेत भेजता है, क्योंकि ये चीजें तुरंत ऊर्जा प्रदान करती हैं।


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इमोशनल ईटिंग - फोटो : Adobe Stock

'फील-गुड' हार्मोन का मायाजाल
तनाव में जंक फूड खाने की इच्छा का एक और बड़ा कारण है 'फील-गुड' हार्मोन सेरोटोनिन। मीठे और हाई-कार्ब वाले फूड प्रोडक्ट खाने से मस्तिष्क में सेरोटोनिन का स्तर अस्थायी रूप से बढ़ जाता है, जिससे हमें थोड़ी देर के लिए शांति और खुशी महसूस होती है। हमारा दिमाग इस अहसास को याद कर लेता है और अगली बार जब भी हम तनाव में होते हैं, तो वह फिर से उसी 'फील-गुड' अहसास को पाने के लिए जंक फूड की मांग करने लगता है।


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खान-पान - फोटो : Freepik.com

इमोशनल ईटिंग को कैसे पहचानें?
शारीरिक भूख और भावनात्मक भूख में अंतर करना जरूरी है। शारीरिक भूख धीरे-धीरे बढ़ती है और किसी भी पौष्टिक भोजन को खाने से शांत हो जाती है। वहीं भावनात्मक भूख अचानक और तेजी से लगती है और इसमें किसी खास चीज (जैसे पिज्जा या चॉकलेट) को खाने की तीव्र इच्छा होती है। भावनात्मक भूख अक्सर पेट भरने के बाद भी शांत नहीं होती और जब खा लेते हैं तो इसके बाद अपराध बोध या शर्मिंदगी महसूस होती है।

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डाइट - फोटो : Freepik.com
कैसे पाएं इस आदत से छुटकारा?
इमोशनल ईटिंग से बचने के लिए सबसे पहले अपने ट्रिगर्स को पहचानें, यानी यह समझें कि कौन सी भावना आपको खाने के लिए प्रेरित करती है। जब भी तनाव महसूस हो, तो खाने की बजाय 10-15 मिनट टहलने जाएं, संगीत सुनें या किसी दोस्त से बात करें। अपने घर में अनहेल्दी स्नैक्स रखने से बचें। नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद लेना भी स्ट्रेस हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे इमोशनल ईटिंग की इच्छा कम होती है।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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