अधिक वजन और मोटापे को स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जाता रहा है, सभी उम्र के लोग इसका शिकार हो रहे हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि गड़बड़ खानपान, तनाव, व्यस्त दिनचर्या और शारीरिक रूप से कम मेहनत करना मोटापे को बढ़ाने वाली मुख्य वजहें हैं। मोटापा न केवल शरीर के लुक को खराब करता है बल्कि डायबिटीज, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, फैटी लिवर जैसी समस्याओं के खतरे को भी कई गुना बढ़ा देता है।
Obesity: सिर्फ लाइफस्टाइल और खानपान ही नहीं, इस वजह से भी बढ़ रहा है मोटापा, अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा
- अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भी वजन बढ़ने की समस्या बढ़ती जा रही है जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
- अगर आपने भी हाल के वर्षों में कुछ किलो वजन बढ़ा लिया है, तो संभव है कि ये जलवायु परिवर्तन का परिणाम हो सकता है।
कार्बन डाइऑक्साइड का खाद्य पदार्थों पर असर
नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने एक हालिया शोध में पाया है कि वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का बढ़ता स्तर चावल और जौ जैसी महत्वपूर्ण फसलों को अधिक कैलोरी और कम पौष्टिकता वाला बना रहा है।
CO2 प्रकाश संश्लेषण को बढ़ाकर कैलोरी बढ़ाता है, जिससे फसलों में शर्करा और स्टार्च की मात्रा पहले की तुलना में बढ़ रही है। इतना ही नहीं इसके कारण प्रोटीन और पोषक तत्वों की मात्रा भी अनाजों से कम होती देखी गई है जिसके चलते आप जो भोजन आप खाते हैं वो हाई कैलोरी और लो न्यूट्रिशन वाले हो जाते हैं, जो सीधे तौर पर वजन बढ़ाने वाले हो सकते हैं।
नीदरलैंड्स की लेडेन यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों की टीम ने लोकप्रिय खाद्य पदार्थों के पौधों में 'व्यापक रूप से पोषक तत्वों में परिवर्तन' की चेतावनी दी है। विशेषज्ञों ने कहा, 'भले ही खाद्य सुरक्षा पर्याप्त रहे, पर इनमें मौजूद पोषक तत्व सुरक्षा खतरे में है।
भोजन अधिक कैलोरी वाला और कम पौष्टिक होता जा रहा है। नतीजतन, जलवायु परिवर्तन के कारण इंसानों में मोटापा, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणलाी और क्रॉनिक बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है।
अध्ययन में क्या पता चला?
जलवायु परिवर्तन का भोजन पर होने वाले असर और इसके स्वास्थ्य संबंधित दुष्प्रभावों को समझने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने उन रिपोर्ट्स का विश्लेषण किया जिनमें फसलें अलग-अलग CO2 लेवल पर उगाई गई थीं। इसमें कुल 43 खाने लायक फसलों जैसे चावल, जौ, आलू, टमाटर, गेहूं, सोयाबीन, मूंगफली पर अध्ययन किया गया।
विशेषज्ञों ने पाया कि जिन स्थानों पर CO2 का स्तर अधिक था वहां की फसलों के पोषक तत्वों पर बुरा असर पड़ा। ऐसे फसलों में आमतौर पर जिंक, आयरन और प्रोटीन जैसे जरूरी न्यूट्रिएंट्स में 4.4% तक की कमी, जबकि कुछ में 38% तक की कमी देखी गई। चने में पाए जाने वाले जिंक पर सबसे ज्यादा असर देखा गया जबकि गेहूं और चावल भी इससे प्रभावित होती हैं।
मोटापे का बढ़ता संकट
टीम ने चेतावनी दी है कि चावल दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी के लिए मुख्य खाद्य पदार्थ है और बाकी लोग गेहूं पर निर्भर हैं। इन दोनों में प्रोटीन, जिंक और आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्वों में काफी कमी दिखती है। साथ ही, हर सैंपल में कैलोरी की मात्रा बढ़ रही है, जिससे पता चलता है कि इनके सेवन से पहले की तुलना में लोगों में मोटापे का स्तर भी बढ़ता जा रहा है।
विशेषज्ञों ने कहा, अगर इस दिशा में सुधार के उपाय न किए गए तो खाद्य पदार्थ भी सुरक्षित नहीं रह जाएंगे और हम कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं।
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स्रोत
CO2 Rise Directly Impairs Crop Nutritional Quality
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