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HMPV: नया नहीं है चीन में फैल रहा वायरस, पहले भी देखे जाते रहे हैं इसके मामले; फिर इस बार इतनी चिंता क्यों?

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sun, 05 Jan 2025 06:25 PM IST
सार

चीन में संक्रमण बढ़ने के बाद से ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस काफी चर्चा में है, हालांकि ये कोई नया वायरस नहीं है। सबसे पहले साल 2001 में इसकी पहचान की गई थी। समय-समय पर दुनियाभर में इस संक्रामक रोग के मामले रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। आइए इसके जोखिमों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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HMPV outbreak in China Human Metapneumovirus is not new virus know its complications and prevention
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) का संक्रमण - फोटो : Freepik.com

चीन इन दिनों ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) संक्रमण की चपेट में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में हाल के दिनों में उसी तरह के हालात देखे गए हैं जैसा कि कोरोना महामारी के पीक के समय था। खबरों के मुताबिक अस्पताल और श्मशान घाट पर भारी भीड़ है। कुछ रिपोर्ट्स चिंता जता रहे हैं कि चीन में जैसी स्थिति है और अगर ये वायरस अन्य देशों में फैलता है तो पांच साल के भीतर दुनिया को एक और महामारी का सामना करना पड़ सकता है। एचएमपीवी के कारण होने वाली जटिलताएं काफी हद तक कोरोनावायरस से मिलती-जुलती हैं, जिसने लोगों को और भी डरा दिया है।






ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस ने लोगों के मन में कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या ये कोई नया वायरस है, ये कितना खतरनाक है और इससे किस तरह की समस्याओं का खतरा हो सकता है? आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं। 

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ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के मामले - फोटो : Freepik.com

नया नहीं है ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस

चीन में संक्रमण बढ़ने के बाद से ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस काफी चर्चा में है, हालांकि ये कोई नया वायरस नहीं है। सबसे पहले साल 2001 में इसकी पहचान की गई थी। समय-समय पर दुनियाभर में इस संक्रामक रोग के मामले रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। वायरस की पहचान होने के दो दशक बाद तक भी न तो इससे बचाव के लिए कोई टीका विकसित हो पाया है और न ही इसके लिए कोई विशिष्ट उपचार है। एचएमपीवी की कोई  वैक्सीन न होने के कारण ये वैश्विक स्तर पर गंभीर श्वसन रोग का कारण बना हुआ है और यही इस बार भी चिंता का कारण बना हुआ है। 

अब जैसे-जैसे चीन में इस संक्रामक रोग के मामले बढ़ रहे हैं, वायरस के खतरे और उपचारों की कमी के बारे में चिंताएं भी बढ़ती जा रही हैं।

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संक्रामक बीमारी का खतरा - फोटो : Freepik.com

डच वैज्ञानिकों ने की थी खोज, सालाना 10 हजार से अधिक की होती है मौत

चीनी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (चीन सीडीसी) के अनुसार, एचएमपीवी न्यूमोविरिडे फैमिली और मेटान्यूमोवायरस जीनस से संबंधित है। इसे सबसे पहले डच वैज्ञानिकों ने खोजा था, जिन्होंने श्वसन संक्रमण से पीड़ित बच्चों के नासॉफरीन्जियल एस्पिरेट्स में इसकी पहचान की थी। 

साल 2018 में अनुमानतः इस संक्रामक रोग के कारण 11,300 लोगों की मौत हुई।  क्लीवलैंड क्लिनिक की रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमण से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए कोई विशिष्ट दवा अब भी उपलब्ध नहीं है। जिन लोगों में इस संक्रमण की पहचान की जाती है उनमें से कुछ लोगों में संक्रमण के कारण गंभीर जटिलताओं और अस्पताल में भर्ती होने की भी आवश्यकता हो सकती है। आईवी तरल पदार्थ और कॉर्टिकोस्टेरॉइड जैसी सहायक चिकित्सा की मदद से संक्रमण के लक्षणों में अब तक राहत पाया जाता रहा है।

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बच्चों में संक्रमण का बढ़ता खतरा - फोटो : Freepik.com

बच्चों में बढ़ती बीमारी चिंताजनक

चीन में एचएमपीवी श्वसन संक्रमण के मामलों में हुई वृद्धि ने स्वास्थ्य सुविधाओं, विशेष रूप से बच्चों के अस्पतालों पर दबाव बढ़ा दिया है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट्स से पता चलता है कि देश में सर्दियों के शुरू होते ही, अस्पतालों में निमोनिया के मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। बड़ी संख्या में बच्चे इससे  प्रभावित देखे जा रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं, संभवत: वायरस में नया म्यूटेशन हुआ है जिसके कारण चीन में इतनी तेजी से हालात बिगड़े हैं, हालांकि इसकी पुष्टि के लिए अभी अध्ययन किए जा रहे हैं।

चीन सीडीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि इस साल श्वसन संक्रमण की कुल संख्या वैसे से साल 2023 की तुलना में कम है, लेकिन एचएमपीवी और अन्य श्वसन वायरस के मामलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जो खासकर 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अधिक देखी जा रही है।

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संक्रमण से बचाव के लिए क्या उपाय करें? - फोटो : Adobe Stock

विशेषज्ञों ने बचाव के लिए बताए उपाय

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कोरोना की ही तरह एचएमपीवी के भी संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने का खतरा हो सकता है। खांसने और छींकने से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स, संक्रमित सतहों को छूने से इस संक्रमण का खतरा हो सकता है। संक्रामक रोग से बचाव के लिए विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है। अपने हाथों को साबुन और पानी से धोते रहें या अल्कोहल-आधारित हैंड सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें। इसके अलावा छींकते-खांसते समय अपनी नाक-मुंह को ढकें और हाथों को साफ करें।



जिन लोगों में इस बीमारी के लक्षण हों उनसे दूरी बनाकर रखें और निकट संपर्क से बचें। इम्युनिटी को मजबूत बनाने का प्रयास करें। कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में इसका खतरा अधिक देखा जाता रहा है।


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स्रोत और संदर्भ
Human Metapneumovirus


अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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