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Type-2 Diabetes: डायबिटीज की जड़ है इंसुलिन रेजिस्टेंस, इन शुरुआती लक्षणों को बिल्कुल न करें नजरअंदाज

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sat, 27 Sep 2025 07:56 PM IST
सार

  • इंसुलिन रेजिस्टेंस से बचाव के लिए सभी लोगों को गंभीरता से ध्यान देते रहना चाहिए। इसके शुरुआती लक्षणों को पहचान लिया जाए तो कुछ उपाय करके डायबिटीज की जटिलाओं को भी कम किया जा सकता है।

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Insulin Resistance Early signs and symptoms important steps to Reduce type 2 Diabetes Risk
डायबिटीज की समस्या और इंसुलिन रेजिस्टेंस - फोटो : Freepik.com

Diabetes Risk: डायबिटीज यानी बढ़े हुए ब्लड शुगर की स्थिति संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली हो सकती है। कम उम्र के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, डायबिटीज को सिर्फ शुगर बढ़ने की समस्या मानना ठीक नहीं है, क्योंकि इसका असर शरीर के सभी अंगों पर देखा जा रहा है। जिन लोगों का शुगर लेवल अक्सर बढ़ा हुआ रहता है उनमें किडनी-लिवर, आंखों से दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा अधिक हो सकता है।



जब भी डायबिटीज की बात होती है तो इंसुलिन रेजिस्टेंस शब्द बार-बार सामने आता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं, जिससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इसका शरीर पर कई प्रकार से असर हो सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इंसुलिन रेजिस्टेंस से बचाव के लिए सभी लोगों को गंभीरता से ध्यान देते रहना चाहिए। इसके शुरुआती लक्षणों को पहचान लिया जाए तो कुछ उपाय करके डायबिटीज की जटिलाओं को भी कम किया जा सकता है।

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Insulin Resistance Early signs and symptoms important steps to Reduce type 2 Diabetes Risk
डायबिटीज का खतरा - फोटो : Freepik.com

पहले इंसुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति के बारे में जान लीजिए

इंसुलिन हमारे शरीर में कई कार्यों के लिए जरूरी एक अति आवश्यक हार्मोन है। यह हार्मोन हमारी कोशिकाओं में शुगर को अंदर जाने देता है, ताकि वह ऊर्जा बन सके। लेकिन जब इंसुलिन हार्मोन्स का असर कम हो जाता है या इसका प्रभाव नहीं होता है तो इस स्थिति को इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है। शुरू में इससे न कोई दर्द होता है, न बड़ा लक्षण दिखता है हालांकि दीर्घकालिक रूप में ये शरीर को कई प्रकार से प्रभावित करने वाली समस्या हो सकती है और इसके कई गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। 

जिस तरह से डायबिटीज की दिक्कत बढ़ती जा रही है, सभी लोगों को इंसुलिन रेजिस्टेंस के लक्षणों के बारे में जानना और इससे बचाव के उपाय करते रहना चाहिए।

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डायबिटीज और इसके जोखिम कारक - फोटो : Adobe stock

इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण क्या दिक्कतें होती है?

डॉक्टर कहते हैं, इंसुलिन रेजिस्टेंस आजकल एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। यह टाइप-2  डायबिटीज का सबसे बड़ा कारण है। आसान शब्दों में कहें तो जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन हार्मोन को सही तरीके से पहचानना बंद कर देती हैं तो शुगर ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल होने की बजाय खून में जमा होने लगती है और धीरे-धीरे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

इसके शुरुआती संकेतों को पहचानना और इसपर गंभीरता से ध्यान देना बहुत जरूरी है।

  • इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण शरीर को ऊर्जा नहीं मिल पाती जिसके कारण लगातार थकान महसूस होना आम है।
  • बार-बार भूख लगना या मीठा खाने की तीव्र इच्छा होना।
  • वजन बढ़ना, पेट के आसपास फैट जमा होना भी इसका संकेत हो सकता है।
  • इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ने लगता है।
  • त्वचा पर काले धब्बे होना, खासकर गर्दन पर ये दिक्कत भी लोगों में देखी जाती रही है।
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खान-पान में गड़बड़ी का सेहत पर होने वाला असर - फोटो : Freepik.com

ये आदतें बहुत खराब

अमर उजाला से बातचीत में एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ राजीव सिंह बताते हैं, इंसुलिन रेजिस्टेंस धीरे-धीरे हमारी लाइफस्टाइल और गड़बड़ आदतों के कारण बनती है। जिन लोगों के पेट के आस-पास अधिक चर्बी होती है उनको इसका खतरा अधिक रहता है। बेली फैट की समस्या इंसुलिन को ब्लॉक करने वाले कैमिकल्स रिलीज करती है, जिससे इंसुलिन का कार्य प्रभावित हो जाता है।

इसके अलावा जंक फूड्स और चीनी वाली चीजें जैसे कोल्ड ड्रिंक, तैलीय और प्रोसेस्ड फूड खाने से भी इंसुलिन रेजिस्टेंस की दिक्कत हो सकती है। 

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डायबिटीज- इंसुलिन रेजिस्टेंस से बचाव करते रहना जरूरी - फोटो : Adobe stock

इंसुलिन रेजिस्टेंस से बचे रहने के लिए क्या करें?

अगर आपमें इंसुलिन रेजिस्टेंस के लक्षण दिख रहे हैं तो इसपर गंभीरता से ध्यान दें और डॉक्टर से संपर्क करें। इंसुलिन रेजिस्टेंस और इसके कारण होने वाली समस्याओं से बचाव के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं।

  • सबसे जरूर है संतुलित आहार का सेवन करें। प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड और ज्यादा चीनी वाली चीजें खाने से बचें। 
  • प्रोटीन, फाइबर और हेल्दी फैट्स को आहार में शामिल करें।
  • नियमित व्यायाम,  रोजाना कम से कम 30-40 मिनट की वॉक भी मददगार हो सकती है।
  • इंसुलिन रेजिस्टेंस से बचाव के लिए वजन को कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है। 




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नोट: 
यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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