Medically Reviewed by Dr. Sanjeev kumar
                    
                        
                         
                
        
                                
        
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        डॉ संजीव कुमार, कार्डियोलॉजिस्ट
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        सनशाइन हॉस्पिटल, हैदराबाद
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        डिग्री- एमडी, डीएम कार्डियोलॉजी  
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        अनुभव- 24 वर्ष 
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        कोरोना की दूसरी और बेहद संक्रामक लहर में रेमडिसिविर नाम का इंजेक्शन बेहद चर्चा में है। एक तरफ जहां देश में अलग-अलग जगहों पर इसकी कालाबाजारी हो रही है वहीं दूसरी तरफ कई मामले ऐसे भी देखने में आए हैं जहां रेमडिसिविर के उपयोग से कई सारे दुष्परिणाम नजर आए हैं, जिसमें खून के थक्के जम जाना, हार्ट अटैक आना शामिल है। रेमडिसिविर के अलावा डेक्सामिथासोन नामक एक इंजेक्शन और है जो कि रेमडिसिविर से बेहतर है और इसकी कीमत भी महज दस रुपये है। फिलहाल इसके बारे में लोगों को जानकारी का अभाव है लेकिन चिकित्सक पहले भी इसका सुझाव दे चुके हैं, खासतौर पर एम्स के द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन में इसकी चर्चा हुई है और हैदराबाद के एक चिकित्सक द्वारा बनाए गए वीडियो में भी इसका जिक्र हुआ है। आइए जानते हैं मात्र दस रूपये में मिलने वाला यह इंजेक्शन किस तरह असरकारक है और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ संजीव कुमार ने अपने वायरल वीडियो में इसके विषय में कह दी है कौनसी बातें। 
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
         
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
         
                
                
        
                
     
      
    
    
    
    
        
 
 
   
    
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                        60,000 मरीजों पर किए गए शोध का कोई अर्थ नहीं निकला
                                     - फोटो : Social media
                    
             
 
 
    
                        
         
        रेमडिसिविर से नहीं बचती है मरीज की जान
                
        
                                
        
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        डॉ संजीव बताते हैं कि अमेरिका, चीन और रेमडिसिविर बनाने वाली कंपनी ने स्वयं दवा पर शोध किया है। कोरोना के 60,000 मरीजों पर किए गए शोध का कोई अर्थ नहीं निकला क्योंकि इंजेक्शन अपने ट्रायल्स में फेल हो गया। कंपनी ने यह स्पष्ट किया कि यह दवा मरीज की जान नहीं बचा सकती लेकिन रेमडिसिविर यदि मरीज को कोरोना के शुरुआती दिनों में ही दे दिया जाए तो वो जल्दी ठीक हो सकता है। 
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
                                        
                        
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
         
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
         
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
         
                
                
        
                
     
       
 
 
   
    
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                        यह काम तो अन्य दवाएं भी कर सकती हैं
                                     - फोटो : Social media
                    
             
 
 
    
                        
         
        निरर्थक है रेमडिसिविर का प्रयोग
                
        
                                
        
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        डॉ संजीव का कहना है कि एक ऐसा मरीज जिसकी स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर न हो यदि उसे यह कहकर इंजेक्शन लगाया जाए कि आगे चलकर उसकी स्थिति और भी बिगड़ सकती है पर यदि वो रेमडिसिविर लगवा ले तो वायरस नियंत्रण में आ सकता है या वो जल्दी ठीक हो सकता है तो ये तो व्यर्थ है क्योंकि यह काम तो अन्य दवाएं भी कर सकती हैं इसके लिए रेमडिसिविर के 35,000 रुपये देने का क्या अर्थ है?
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
         
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
         
                
                
        
                
     
       
 
 
   
    
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                        डेक्सामिथासोन पर ट्रायल्स हो चुके हैं
                                     - फोटो : Social media
                    
             
 
 
    
                        
         
        डेक्सामिथासोन बचा सकता है जान
                
        
                                
        
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        डॉ संजीव बताते हैं कि इंफ्लेमेशन को कम करने में सीरॉइड लाभकारी होते हैं। यह मरीज की जान बचा सकते हैं। डेक्सामिथासोन पर ट्रायल्स हो चुके हैं। यह मात्र 10 रुपये में उपलब्ध है। इसके पीछे कारण यह है कि यह जीवन रक्षक आवश्यक ड्रग की सूची में शामिल है। इनकी न कालाबाजारी होती है, न इन्हें अधिक दाम में बेचा जा सकता है, न ही इनकी विज्ञापन होता है क्योंकि 5 रुपये में यह बनता है और 10 रुपये में बिक जाता है। कंपनी को इससे कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं होता है। 
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
         
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
         
                
                
        
                
     
       
 
 
   
    
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                        परिणाम विपरीत ही निकले
                                     - फोटो : PTI
                    
             
 
 
    
                        
         
        लो रिस्क ट्रायल्स में भी हुआ फेल रेमडिसिविर 
                
        
                                
        
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        डॉ संजीव कहते हैं कि अमेरिका द्वारा किए गए हाई-रिस्क ट्रायल्स में जब रेमडिसिविर फेल हो गया तो लो-रिस्क मामलों पर उसका ट्रायल लिया गया जिसमें भी परिणाम विपरीत ही निकले, उसके बावजूद जानकारी के अभाव में लोग इतने महंगे इंजेक्शन के पीछे भाग रहे हैं सिर्फ इसलिए कि डब्ल्यूएचओ ने इसके उपयोग के लिए आज्ञा दी है जबकि रेमडिसिविर जीवन रक्षक आवश्यक ड्रग की सूची में भी अबतक शामिल नहीं किया गया है जिस वजह से इसका इतना दाम आज मरीजों को चुकाना पड़ रहा है।