कोरोना संक्रमण का जोखिम पिछले तीन साल से अधिक समय से वैश्विक स्तर पर जारी है। भले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को 'ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी' की सूची से बाहर कर दिया है, फिर भी कई देशों में इन दिनों इस संक्रामक रोग के मामले तेजी से बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। यूएस-यूके और सिंगापुर सहित कई देशों में रोगियों की संख्या बढ़ी है, कुछ स्थानों से हाल के दिनों में मौत के आंकड़ों के बढ़ने की भी खबरें हैं। ये संकेत हैं कि कोरोना का खतरा अभी कम नहीं हुआ है, सभी लोगों को लगातार इससे बचाव के उपाय करते रहने की आवश्यकता है।
Covid-19: जिन वैरिएंट्स के कारण कई देशों में बढ़े संक्रमण, भारत में भी उसकी पुष्टि, जानिए यहां कैसे हैं हालात
भारत में संक्रमण की स्थिति
शनिवार को अपडेट किए गए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पिछले 24 घंटे में 51 नए मामले रिपोर्ट किए गए हैं, इसके साथ देश में इस समय कोरोना के कुल केस लोड 359 हो गया है। देश में कोविड-19 के अब तक कुल मामलों की संख्या 4.49 करोड़ (4,49,99,561) हो गई है, मरने वालों की संख्या 5,32,037 है। राष्ट्रीय स्तर पर बीमारी से रिकवरी की दर 98.81 प्रतिशत है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इस समय कोरोना की स्थिति काफी नियंत्रित है, हालांकि इसके जोखिमों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। जिस तरह से कई देशों में कोरोना के मामले बढ़े हैं, ये भारत के लिए भी चेतावनी वाली स्थिति है।
भारत में भी देखे जा चुके हैं यूके में बढ़ रहा वैरिएंट
यहां गौर करने वाली बात ये है कि भारत में कोरोना के वो वैरिएंट्स देखे जा चुके हैं जिनके कारण यूके-यूएस सहित कई देशों में संक्रमण के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। ओमिक्रॉन के दो अतिरिक्त स्पाइक म्यूटेशन (Q52H, F456L) वाले वैरिएंट एरिस (EG.5) को भारत में भी देखा जा चुका है, हालांकि यहां इसके कारण संक्रमण या हालात के बिगड़ने की खबरें नहीं हैं। मई 2023 में पुणे में इसके पहले संक्रमित की पुष्टि की गई थी, हालांकि इसके ज्यादा मामले नहीं देखे गए।
इन तीन वैरिएंट्स ने बढ़ा दी है चिंता
वैश्विक स्तर पर इन दिनों कोरोना के बढ़ते खतरों की बात करें तो ओमिक्रॉन के तीन सब वैरिएंट्स- पिरोला वैरिएंट (BA.2.86), एरिस (EG.5) और HK.3 के कारण संक्रमण बढ़े हैं। BA.2.86 में 35 नए उत्परिवर्तन हैं,अधिक म्यूटेशनों का मतलब यह आसानी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे सकता है। इसी तरह से एरिस (EG.5) के कारण न सिर्फ अस्पताल में रोगियों की संख्या बढ़ी है साथ ही कई देशों में मृतकों के मामले भी रिपोर्ट किए गए।
हालिया रिपोर्ट में सिंगापुर में HK.3 के कारण संक्रमण के जोखिम तेजी से बढ़े हैं, कुछ रिपोर्ट्स में यहां कोरोना के एक और लहर की आशंका भी जताई जा रही है।
भारत में कोरोना का कितना खतरा?
अमर उजाला से बातचीत में स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिन देशों में कोरोना के मामले बढ़े हैं, वहां भी गंभीर रोग का खतरा कम ही रिपोर्ट किया जा रहा है। इस तरह की समस्या सिर्फ उन लोगों में है जिनकी इम्युनिटी कमजोर है या फिर कोमोरबिडिटी के शिकार हैं। भारत में फिलहाल स्थिति काफी नियंत्रित है और चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। सुरक्षात्मक रूप से सभी लोगों को कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते रहने की सलाह दी जाती है। ये आपको अन्य संक्रामक बीमारियों से भी बचाने में मददगार हो सकती है।
--------------
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।