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सावधान: सिर्फ कोरोना ही नहीं, देश के लिए ये संक्रमण भी बने हुए हैं मुसीबतों का कारण, विशेषज्ञों ने किया अलर्ट

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Thu, 21 Jul 2022 02:15 PM IST
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देश में संक्रमण के बढ़ते केस - फोटो : iStock

पिछले करीब 30 महीनों से भी अधिक समय से देश कोरोना महामारी की चपेट में है। इस दौरान सामने आए वायरस के कई वैरिएंट्स के कारण लाखों लोगों को संक्रमण झेलना पड़ा है। जनवरी-फरवरी में सामने आई तीसरी लहर के बाद पिछले एक महीने से देश में संक्रमण के मामलों में फिर से उछाल देखा जा रहा है। पिछले दिनों संक्रमण के दैनिक मामले 20 हजार से भी अधिक रिपोर्ट किए गए हैं। मेडिकल रिपोर्टस से पता चलता है कि देश में इस समय जिन कोरोना वैरिएंट्स का प्रकोप है वह स्वाभाविक तौर पर अति संक्रामकता दर वाले हैं, इनसे पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों में भी संक्रमण के खतरा बना हुआ है।



हालांकि देश के लिए कोरोना संक्रमण ही फिलहाल एक मात्र चिंता का कारण नहीं है। कई राज्यों में कुछ और प्रकार की संक्रामक बीमारियों के मामले रिपोर्ट किए गए हैं, जो स्वास्थ्य विभाग के लिए गंभीर चिंता का कारण बने हुए हैं।

मंकीपॉक्स जैसे संक्रमण के मामले सामने आने के बाद से देश में अलर्ट जारी किया गया है। केरल सबसे प्रभावित राज्यों में से एक है, जहां पिछले छह महीनों में अलग-अलग प्रकार की संक्रामक बीमारियों के मामले सामने आए हैं। आइए जानते हैं कि देश में फिलहाल किन संक्रमण को लेकर विशेषज्ञ अलर्ट कर रहे हैं और इनकी प्रकृति किस प्रकार की है?

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कोरोना संक्रमण के मामलों में जारी है उछाल - फोटो : Pixabay

कोरोना के नए वैरिएंट्स से खतरा

देश में फिलहाल कोरोना वायरस का संक्रमण थमता नजर नहीं आ रहा है। पिछले 24 घंटे में एक बार फिर से 21,566 लोगों को संक्रमण का शिकार पाया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कई राज्यों में ओमिक्रॉन के BA.5 सब-वैरिएंट के कारण संक्रमण बढ़ता देखा जा रहा है, अध्ययनों में इस वैरिएंट को अति-संक्रामक माना गया है।

वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह सब-वैरिएंट आसानी से वैक्सीन द्वारा शरीर में निर्मित प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देकर संक्रमण का कारण बन सकता है, ऐसे में टीकाकरण करा चुके लोगों को भी इससे सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। इसके अलावा ओमिक्रॉन के अन्य वैरिएंट्स के कारण भी संक्रामण के मामले बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं।

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मंकीपॉक्स से बचाव के उपाय जरूरी - फोटो : istock

मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले

यूरोपीय देशों में संक्रमण के बाद अब अति दुर्लभ मंकीपॉक्स के मामले भारत में भी रिपोर्ट किए जा रहे हैं। देश में अब तक दो लोगों में मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले की पुष्टि हुई है। मंकीपॉक्स के जोखिम को देखते हए केरल के सभी 14 जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है तथा राज्य के सभी चार हवाई अड्डों पर हेल्प डेस्क स्थापित कर दिए गए हैं।

मंकीपॉक्स अति दुर्लभ प्रकार का संक्रमण है जो अब तक अफ्रीकी देशों में अधिक देखा जाता रहा है, हालांकि जनवरी के बाद से इसके यूरोपीय देशों में मामले तेजी से बढ़े हैं। अब भारत में भी इसके संक्रमण की पुष्टि की गई है।

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कई राज्यों में टौमैटो फ्लू के केस - फोटो : Pixabay

केरल में टौमैटो फीवर के केस

हालिया रिपोर्ट्स में केरल में टौमैटो फ्लू नामक एक और गंभीर बीमारी के मामले बढ़े हुए पाए गए हैं। कोल्लम जिले के कुछ हिस्सों से करीब 80 मामलों की खबरें आई हैं। मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक इस वायरल संक्रमण में शरीर पर लाल रंग के छाले बनने लगते हैं, इसी वजह से इसे टोमैटो फ्लू नाम दिया गया है। यह एक दुर्लभ वायरल बीमारी और आंत पर हमला करने वाले शिगेला बैक्टीरिया के एक रूप के कारण यह संक्रमण होता है।

पांच साल या उससे कम उम्र के बच्चों में इस संक्रमण के मामले सबसे अधिक देखने को मिलते हैं। इसमें संक्रमितों के शरीर पर छाले निकलने के साथ तेज बुखार और बदन में तेज दर्द की समस्या हो सकती है।

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लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण को लेकर अलर्ट - फोटो : iStock

बाढ़ प्रभावित राज्यों में लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण को लेकर अलर्ट

महाराष्ट्र, गुजरात, असम जैसे राज्यों में तेज बारिश और बाढ़ के कहर के बीच विशेषज्ञों ने लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण के खतरे को लेकर अलर्ट किया है। लेप्टोस्पायरोसिस एक जीवाणु जनित रोग है जो मनुष्यों और जानवरों दोनों को प्रभावित करता है। बाढ़ प्रभावित राज्यों में इससे संक्रमण का खतरा अधिक होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पानी या मिट्टी, लेप्टोस्पायरोसिस पैदा करने वाले बैक्टीरिया से दूषित रही हो तो इसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति में रोग विकसित होने का खतरा हो सकता है।

लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी की गंभीर स्थिति में इसके कारण मृत्यु का खतरा 10-15 फीसदी के बीच हो सकता है। 



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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें। 

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