कोरोना संक्रमण का कहर पिछले डेढ़ साल से पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में इसके काफी गंभीर परिणाम भी देखने को मिल चुके हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक वायरस में हो रहे म्यूटेशन इसे और संक्रामक और घातक बनाते जा रहे हैं। अभी तक कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को वैज्ञानिक सबसे संक्रामक मानते आ रहे थे, इस बीच हाल ही में सामने आए कुछ नए वैरिएंट्स ने चिंता को और गंभीर कर दिया है। तमाम रिपोर्टस में दावा किया जा रहा है कि कोरोना के नए वैरिएंट्स में ऐसे म्यूटेशन देखे जा रहे हैं जो शरीर में वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरक्षा प्रणाली को आसानी से चकमा दे सकते हैं, यही कारण है कि दुनियाभर में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर एक बार फिर से चर्चा का बाजार काफी गर्म है।
सावधान: ये हैं कोरोना के चार सबसे संक्रामक और घातक वैरिएंट्स, एक में देखे गए हैं सात म्यूटेशन
कोरोना का सुपर वैरिएंट- (कोविड-22)
स्विटजरलैंड के ईटीएच ज्यूरिख विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजिस्ट ने कोविड-19 से घातक कोरोना के सुपर वैरिएंट 'कोविड-22' को लेकर लोगों को आगाह किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तरह से इस वैरिएंट की प्रकृति देखी गई है ऐसे में इससे संक्रमण की स्थिति में गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा हो सकता है। इतना ही नहीं इस वैरिएंट से बचाव के लिए और अधिक शक्तिशाली वैक्सीन की आवश्यकता हो सकती है। कोविड-22 से भविष्य में होने वाले संभावित खतरे से बचने के लिए वैज्ञानिकों ने आगाह किया है।
कोरोना का साउथ अफ्रीकन वैरिएंट (सी.1.2)
हाल ही में वैज्ञानिकों ने कोरोना के साउथ अफ्रीकन वैरिएंट सी.1.2 की गंभीरता के बारे में लोगों को सूचित किया है। दक्षिण अफ्रीका में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) और क्वाज़ुलु-नेटल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लेटफॉर्म (केआरआईएसपी) के शोधकर्ताओं के मुताबिक इस वैरिएंट को सबसे पहले मई में देखा गया। दक्षिण अफ्रीका के कुछ शहरों में देखा गया यह वैरिएंट अब कई अन्य देशों में फैल चुका है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के इस वैरिएंट में ऐसे म्यूटेशनों के बारे में पता चला है जो शरीर में बनी इम्यूनिटी को आसानी से मात देने की क्षमता रखते हैं।
म्यू वैरिएंट के बारे में डब्ल्यूएचओ ने चेताया
डब्ल्यूएचओ ने अपने हालिया साप्ताहिक महामारी बुलेटिन में कोरोना के म्यू वैरिएंट के बारे में सूचित किया है। फिलहाल इसे 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में वर्गीकृत करके इसकी प्रकृति को समझने की कोशिश की जा रही है। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि अब तक अध्ययनों के आधार पर देखने को मिला है कि यह वैरिएंट भी प्रतिरक्षा प्रणाली को मात देकर लोगों को संक्रमित कर सकता है। हालांकि इस बारे में जानने के लिए विस्तार से अध्ययन किया जा रहा है।
कोरोना को लेकर अध्ययन कर रही वैज्ञानिकों की एक टीम ने हाल ही में कोरोना के लैम्बडा वैरिएंट में सात म्यूटेशनों के बारे में आगाह किया है। सबसे पहले पेरू में मिला कोरोना का यह घातक वैरिएंट अमेरिका और ब्रिटेन सहित दुनियाभर के कई देशों में फैल चुका है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से भी खतरनाक मान रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के इस वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में कई सारे म्यूटेशन देखे गए हैं, जिससे इसकी संक्रमकता की दर काफी अधिक बढ़ जाती है। डब्ल्यूएचओ ने लैम्ब्डा वेरिएंट को 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में वर्गीकृत किया है।
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नोट: यह लेख तमाम मीडिया रिपोर्टस और अध्ययनों के आधार पर तैयार किया गया है।
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