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Alert: प्लास्टिक की बोतलें सेहत के लिए संकट, आप भी करते हैं इस्तेमाल तो जान लीजिए डराने वाली हकीकत

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sun, 28 Dec 2025 08:05 PM IST
सार

  • सिंगल-यूज पीईटी बोतलों से निकलने वाले नैनोप्लास्टिक इंसानी शरीर के महत्वपूर्ण जैविक तंत्रों को बाधित कर सकते हैं। ये कण आंतों में मौजूद फायदेमंद जीवाणुओं, रक्त कोशिकाओं और एपिथेलियल सेल्स के सामान्य कामकाज को कमजोर करते हैं।

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सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले नुकसान - फोटो : Adobe Stock

लाइफस्टाइल और खान-पान की गड़बड़ी ने तो हमारी सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित किया ही है, साथ ही पर्यावरणीय स्थितियों ने दोहरी मार दी है। भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है। अमर उजाला में प्रकाशित एक रिपोर्ट में हमने बताया था कि कोरोना के बाद बढ़ते प्रदूषण की स्थिति को वैज्ञानिकों ने गंभीर स्वास्थ्य संकट बताया था। 



वायु प्रदूषण के अलावा वातावरण में बढ़ते माइक्रो और नैनोप्लास्टिक के स्तर को लेकर भी स्वास्थ्य विशेषज्ञ अलर्ट कर रहे हैं।

अध्ययनों से पता चलता है कि प्लास्टिक के छोटे कण शरीर में जमा होकर गंभीर बीमारियों को बढ़ाने वाले हो सकते हैं। रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली सिंगल-यूज प्लास्टिक की चीजों के बढ़ते इस्तेमाल ने इस खतरे को और भी बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों ने सावधान किया है कि अगर समय रहते इसे नियंत्रित न किया गया तो इससे भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो सकता है।

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सिंगल-यूज प्लास्टिक के नुकसान - फोटो : Adobe Stock Images

सिंगल-यूज प्लास्टिक से होने वाले नुकसान

विशेषज्ञों ने सावधान किया है कि रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली सिंगल-यूज पीईटी बोतलों से पैदा होने वाले नैनोप्लास्टिक सीधे इंसानी आंतों, खून और कोशिकाओं के बायोलॉजिकल सिस्टम को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये अदृश्य कण लंबी अवधि में डीएनए क्षति, शरीर में सूजन, मेटाबॉलिज्म की गड़बड़ी और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी खतरा बन सकते हैं।

तो अगली बार प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल करके फेंकने से पहले इससे होने वाले गंभीर खतरों के बारे में सोच लीजिएगा।

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नैनोप्लास्टिक से सेहत को होने वाले नुकसान - फोटो : adobe stock images

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

मोहाली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने खुलासा करते हुए कहा है कि सिंगल-यूज पीईटी बोतलों से निकलने वाले नैनोप्लास्टिक इंसानी शरीर के महत्वपूर्ण जैविक तंत्रों को बाधित कर सकते हैं। ये कण आंतों में मौजूद फायदेमंद जीवाणुओं, रक्त कोशिकाओं और एपिथेलियल सेल्स के सामान्य कामकाज को कमजोर करते हैं, जिससे सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। 

अध्ययन के अनुसार ये प्लास्टिक के महीन कण दुनिया के लगभग हर पर्यावरणीय माध्यम हवा, पानी, मिट्टी, समुद्र, नदियों, बादलों तथा इंसानी रक्त और ऊतकों तक में पहुंच चुके हैं। 

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माइक्रोप्लास्टिक से होने वाली समस्याएं - फोटो : Adobe stock photos

नैनोप्लास्टिक से  गट माइक्रोब्स और इम्युनिटी को खतरा

इससे पहले कई अध्ययन नैनोप्लास्टिक की मौजूदगी पर प्रकाश डाल चुके थे, लेकिन इंसानी शरीर पर इनके जैविक प्रभाव वैज्ञानिकों के लिए अब भी चुनौती थे। यही कारण है कि नए शोध ने गट माइक्रोब्स यानी आंतों के लाभकारी जीवाणुओं पर इनके प्रभाव को समझने पर जोर दिया।

गट माइक्रोब्स प्रतिरक्षा प्रणाली, पाचन, मेटाबॉलिज्म और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए उनका नुकसान सीधे शरीर को प्रभावित करता है।

शोध में पाया गया डीएनए क्षति और मेटाबॉलिज्म गड़बड़ी कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकती है। इसका अर्थ है कि इन अदृश्य कणों का खतरा अब केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कृषि, पोषण और व्यापक पारिस्थितिक तंत्र पर भी असर डाल सकता है।

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शरीर को होने वाली दिक्कतें - फोटो : Adobe Stock Images

संपूर्ण स्वास्थ्य पर असर

दुनियाभर में नैनोप्लास्टिक पर हो रहे हालिया अध्ययनों के अनुसार ये कण सिर्फ पाचन तंत्र ही नहीं बल्कि कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम, हार्मोनल बैलेंस और न्यूरोलॉजिकल प्रक्रियाओं तक के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।  वैज्ञानिक मानते हैं कि नैनोस्तर पर पहुंचकर ये कण कोशिकाओं की मेम्ब्रेन को पार कर सीधे नाभिक तक पहुंच जाते हैं, जिससे डीएनए क्षति और दीर्घकालिक सूजन (क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन) का जोखिम बढ़ जाता है।




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स्रोत
Unveiling the hidden chronic health risks of nano- and microplastics in single-use plastic water bottles: A review

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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