लाइफस्टाइल और खान-पान की गड़बड़ी ने तो हमारी सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित किया ही है, साथ ही पर्यावरणीय स्थितियों ने दोहरी मार दी है। भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है। अमर उजाला में प्रकाशित एक रिपोर्ट में हमने बताया था कि कोरोना के बाद बढ़ते प्रदूषण की स्थिति को वैज्ञानिकों ने गंभीर स्वास्थ्य संकट बताया था।
Alert: प्लास्टिक की बोतलें सेहत के लिए संकट, आप भी करते हैं इस्तेमाल तो जान लीजिए डराने वाली हकीकत
- सिंगल-यूज पीईटी बोतलों से निकलने वाले नैनोप्लास्टिक इंसानी शरीर के महत्वपूर्ण जैविक तंत्रों को बाधित कर सकते हैं। ये कण आंतों में मौजूद फायदेमंद जीवाणुओं, रक्त कोशिकाओं और एपिथेलियल सेल्स के सामान्य कामकाज को कमजोर करते हैं।
सिंगल-यूज प्लास्टिक से होने वाले नुकसान
विशेषज्ञों ने सावधान किया है कि रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली सिंगल-यूज पीईटी बोतलों से पैदा होने वाले नैनोप्लास्टिक सीधे इंसानी आंतों, खून और कोशिकाओं के बायोलॉजिकल सिस्टम को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये अदृश्य कण लंबी अवधि में डीएनए क्षति, शरीर में सूजन, मेटाबॉलिज्म की गड़बड़ी और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी खतरा बन सकते हैं।
तो अगली बार प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल करके फेंकने से पहले इससे होने वाले गंभीर खतरों के बारे में सोच लीजिएगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
मोहाली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने खुलासा करते हुए कहा है कि सिंगल-यूज पीईटी बोतलों से निकलने वाले नैनोप्लास्टिक इंसानी शरीर के महत्वपूर्ण जैविक तंत्रों को बाधित कर सकते हैं। ये कण आंतों में मौजूद फायदेमंद जीवाणुओं, रक्त कोशिकाओं और एपिथेलियल सेल्स के सामान्य कामकाज को कमजोर करते हैं, जिससे सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
अध्ययन के अनुसार ये प्लास्टिक के महीन कण दुनिया के लगभग हर पर्यावरणीय माध्यम हवा, पानी, मिट्टी, समुद्र, नदियों, बादलों तथा इंसानी रक्त और ऊतकों तक में पहुंच चुके हैं।
नैनोप्लास्टिक से गट माइक्रोब्स और इम्युनिटी को खतरा
इससे पहले कई अध्ययन नैनोप्लास्टिक की मौजूदगी पर प्रकाश डाल चुके थे, लेकिन इंसानी शरीर पर इनके जैविक प्रभाव वैज्ञानिकों के लिए अब भी चुनौती थे। यही कारण है कि नए शोध ने गट माइक्रोब्स यानी आंतों के लाभकारी जीवाणुओं पर इनके प्रभाव को समझने पर जोर दिया।
गट माइक्रोब्स प्रतिरक्षा प्रणाली, पाचन, मेटाबॉलिज्म और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए उनका नुकसान सीधे शरीर को प्रभावित करता है।
शोध में पाया गया डीएनए क्षति और मेटाबॉलिज्म गड़बड़ी कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकती है। इसका अर्थ है कि इन अदृश्य कणों का खतरा अब केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कृषि, पोषण और व्यापक पारिस्थितिक तंत्र पर भी असर डाल सकता है।
संपूर्ण स्वास्थ्य पर असर
दुनियाभर में नैनोप्लास्टिक पर हो रहे हालिया अध्ययनों के अनुसार ये कण सिर्फ पाचन तंत्र ही नहीं बल्कि कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम, हार्मोनल बैलेंस और न्यूरोलॉजिकल प्रक्रियाओं तक के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि नैनोस्तर पर पहुंचकर ये कण कोशिकाओं की मेम्ब्रेन को पार कर सीधे नाभिक तक पहुंच जाते हैं, जिससे डीएनए क्षति और दीर्घकालिक सूजन (क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन) का जोखिम बढ़ जाता है।
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स्रोत
Unveiling the hidden chronic health risks of nano- and microplastics in single-use plastic water bottles: A review
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