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कामयाबी: सर्जरी के दौरान कट गई थी किडनी-ब्लैडर को जोड़ने वाली ट्यूब, सर गंगाराम के डॉक्टरों ने किया सफल 'ऑटो-किडनी ट्रांसप्लांट'

Abhilash Srivastava अभिलाष श्रीवास्तव
Updated Tue, 12 Jul 2022 02:45 PM IST
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Sir Ganga Ram Hospital's doctors performed challenging 'Auto-Kidney Transplant', placed both on same side
सर गंगाराम हॉस्पिटल में 'ऑटो-किडनी ट्रांसप्लांट' - फोटो : iStock

राजधानी दिल्ली स्थित सर गंगाराम हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने चुनौतीपूर्ण 'ऑटो-किडनी ट्रांसप्लांट' में कामयाबी हासिल की है। इस सर्जरी के दौरान 29 वर्षीय रोगी की एक किडनी को निकालकर दूसरी तरफ स्थापित कर उसे सामान्यरूप से कार्यरत किया गया है। रोगी को कुछ समय पहले किडनी स्टोन की शिकायत थी, जिसका एक निजी अस्पताल में सर्जरी किया गया था। दुर्भाग्यवश सर्जरी के दौरान 25-26 सेमी पेशाब की नली (लेफ्ट यूरेटर) भी पथरी  के साथ बाहर निकल गई थी। इस स्थिति में किडनी से ब्लेडर का संपर्क टूट गया, जिससे पेशाब के पेट में इकट्ठा होने का खतरा था। 



पंजाब के निजी अस्पताल से रेफर केस जब सर गंगाराम अस्पताल पहुंचा तो यहां डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती जल्द के जल्द नई ट्यूब के माध्यम से किडनी और पेशाब की थैली को जोड़ना था, जिससे अपशिष्टों को पेट में जमा होने से रोका जा सके। इसके लिए डॉक्टरों की टीम ने 'ऑटो-किडनी ट्रांसप्लांट' प्रक्रिया कर सफल ऑपरेशन किया। अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है।

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Sir Ganga Ram Hospital's doctors performed challenging 'Auto-Kidney Transplant', placed both on same side
डॉ. विपिन त्यागी (सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट) सर गंगा राम अस्पताल - फोटो : amarujala

ऑटो-किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में जानिए

इस केस को बेहतर ढंग से समझने के लिए आवश्यक है कि पहले यह जान लिया जाए कि ऑटो-किडनी ट्रांसप्लांट प्रक्रिया क्या है? इस प्रक्रिया और केस के बारे में समझने के लिए हमने सर गंगा राम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट डॉ. विपिन त्यागी से संपर्क किया।

डॉ. विपिन बताते हैं, ऑटो-ट्रांसप्लांट का मतलब है इंसान में किसी अंग को एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसप्लांट करना। इसके माध्यम से शरीर के कार्यों को पहले की ही तरह सुचारू करने का प्रयास किया जाता है। जहां तक बात इस केस की है तो इसमें यह प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि दो दिन पहले ही मरीज के इसी अंग का ऑपरेशन किया गया था।

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Sir Ganga Ram Hospital's doctors performed challenging 'Auto-Kidney Transplant', placed both on same side
किडनी ट्रॉसप्लाटेशन की प्रक्रिया - फोटो : Pixabay

बाईं किडनी की नली कट गई थी

सर गंगाराम हॉस्पिटल में इस केस को ठीक करने की जिम्मेदारी अब डॉ. विपिन के कंधों पर थी। डॉ. विपिन त्यागी बताते हैं, किडनी स्टोन सर्जरी के दौरान पेशाब की नली का बाहर आ जाना इस केस की गंभीरता को बढ़ाने वाला था।

इसे समझने के लिए हमें किडनी और ब्लेडर को जोड़ने वाली नली के बारे में जानना होगा। सामान्यतौर पर इंसानों में दो किडनी, बाईं और दाईं ओर होती हैं। इन किडनियों को पेशाब की थैली से जोड़ने वाली दो पेशाब की नालियां (यूरेटर) होती हैं। इस मामले में स्टोन सर्जरी के दौरान बाईं किडनी को पेशाब  की थैली से जोड़ने वाली नली बाहर आ गई थी। 

Sir Ganga Ram Hospital's doctors performed challenging 'Auto-Kidney Transplant', placed both on same side
किडनी से पेशाब की थैली के लिए ट्यूब - फोटो : iStock

कई तरह की थीं चुनौतियां

डॉ. विपिन त्यागी कहते हैं, इस स्थिति में हमारे सामने दो विकल्प थे, या तो हम किडनी को हटा देते या फिर किडनी और ब्लैडर के बीच जो नली कट गई थी, उसकी जगह पर नया कनेक्शन बनाकर किडनी ऑटो ट्रांसप्लांट किया जाता। इस केस में हमने रोगी की आयु को देखते हुए 'ऑटो-किडनी ट्रांसप्लांट' करने का फैसला किया।

सर्जरी के दौरान किडनी को बाईं ओर से निकालकर दाईं ओर पेशाब की थैली के जितना हो सके पास लाने की कोशिश की गई। दाहिने तरफ लाई गई किडनी और पेशाब की थैली में अब भी 4-5 सेंटीमीटर का अंतर था। इसे पूरा करने के लिए हमने नई ट्यूब को बनाने का फैसला किया। ट्यूब को किडनी और पेशाब की थैली से जोड़कर हमने इसके सामान्य कार्यप्रणाली को फिर से बहाल करने में सफलता पाई है।

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किडनी का सफल ट्रांसप्लांटेशन - फोटो : istock

पूरी तरह स्वस्थ है मरीज

किडनी की बढ़ती समस्याओं को लेकर डॉ विपिन कहते हैं, कई तरह के कारक किडनी की बीमारियों को बढ़ा रहे हैं, जिसपर ध्यान रखते हुए हमें बचाव के उपाय करते रहने चाहिए। निश्चित ही कई मायनों में हमारे लिए यह केस चुनौतीपूर्ण था, पर हम इसके सफल इलाज करने में कामयाब रहे हैं। इस तरह से दोनों किडनियों को एक ही तरफ स्थापित करके नया ट्यूब लगाना काफी चुनौतीपूर्ण अनुभव रहा, हालांकि अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है और उसकी दोनों किडनियां काम कर रही हैं, यही हमारी सबसे बड़ी कामयाबी है। 


डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेख स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझाव और साझा की गई जानकारियों के साथ मेडिकल रिपोर्ट्स/अध्ययनों के आधार पर तैयार किया गया है।  विशेषज्ञ का परिचय साथ में संलग्न है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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