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Health Tips: सर्दियों में क्यों उभरने लगती है पुरानी चोट? ये हैं इसके पीछे के मूल कारण

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिखर बरनवाल Updated Fri, 12 Dec 2025 03:06 PM IST
सार

Winter Joint Pain: अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि सर्दियों में पुराने दर्द उभरने लगते हैं, कुछ मामलों में तो वर्षों पुराना दर्द भी उभरने लगता है। आइए इस लेख में इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं कि ऐसा होने के पीछे का मूल कारण क्या है?

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Why Old Injuries worsen in Winter Reason Explained in hindi
घुटने का दर्द - फोटो : Adobe Stock

Winter Pain Old Injury : सर्दियों का मौसम आते ही कई लोगों के पुराने चोट या दर्द फिर से उभरने लगते हैं। भले ही चोट लगे हुए महीनों या साल बीत चुके हों पर जब यह दर्द उभरता है तो बहुत तकलीफदायक होता है। यह सिर्फ एक संयोग नहीं है बल्कि इसके पीछे कुछ स्पष्ट शारीरिक और पर्यावरणीय कारण हैं।



जब तापमान गिरता है, तो शरीर अपनी गर्मी बचाने के लिए रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देता है। इस संकुचन के कारण रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है, जिससे चोट वाली जगह पर ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति कम हो जाती है। इसके अलावा कम तापमान के कारण मांसपेशियों और जोड़ कठोर हो जाते हैं।

जो जोड़ या लिगामेंट्स पहले से ही चोटिल हैं, उनमें यह कठोरता और सूजन बढ़ जाती है, जिससे दर्द पहले से अधिक महसूस होता है। यह समझने की आवश्यकता है कि सर्द हवाएं और गिरता पारा हमारे शरीर के आंतरिक संतुलन को कैसे प्रभावित करता है। इन मूल कारणों को जानकर ही इस मौसमी दर्द से बचाव के उपाय किए जा सकते हैं।

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Why Old Injuries worsen in Winter Reason Explained in hindi
घुटने का दर्द - फोटो : Adobe Stock

वायुमंडलीय दबाव में गिरावट
सर्दियों में विशेष रूप से जब मौसम बदलने वाला होता है या बर्फबारी होती है, तो वायुमंडलीय दबाव कम जाता है। यह कम दबाव जोड़ों के अंदर के तरल पदार्थों को फैलने की अनुमति देता है। इस फैलाव के कारण जोड़ और उनके आसपास के ऊतक सूज जाते हैं, जिससे नसों पर दबाव पड़ता है और पुरानी चोट वाली जगह पर दर्द महसूस होने लगता है।


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घुटने का दर्द - फोटो : Adobe Stock

रक्त वाहिकाओं का संकुचन और अकड़न
ठंड के संपर्क में आने पर शरीर अपनी गर्मी बनाए रखने के लिए रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देता है। इससे चोटिल क्षेत्र में ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है। कम ब्लड फ्लो के कारण वह क्षेत्र ठीक से गर्म नहीं हो पाता, और मांसपेशियां तथा लिगामेंट्स अकड़ जाते हैं। यह अकड़न पुरानी चोटों में दर्द को बढ़ा देती है।


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सेडेंटरी लाइफस्टाइल - फोटो : Adobe Stock

शारीरिक गतिविधि और विटामिन D की कमी
ठंड के कारण लोग शारीरिक गतिविधि कम कर देते हैं और घर के अंदर ही रहते हैं। गतिहीनता से मांसपेशियां कमजोर होती हैं और लचीलापन घटता है, जिससे जोड़ों पर तनाव बढ़ता है। साथ ही सूर्य के प्रकाश की कमी के कारण विटामिन D की कमी हो जाती है, जो हड्डियों और आपकी इम्यूनिटी के लिए महत्वपूर्ण है। विटामिन D की कमी से भी दर्द और सूजन बढ़ सकती है।

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घुटने का दर्द - फोटो : Adobe Stock
दर्द की सेंसिटिविटी बढ़ जाती है
ठंडा मौसम हमारे तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि ठंडे तापमान में दर्द की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि वही दर्द जो गर्मी में मामूली महसूस होता था, वह ठंड में अधिक तीव्र और असहनीय लग सकता है।

बचाव के उपाय
सर्दियों में पुरानी चोटों के दर्द से बचाव के लिए कुछ सरल और प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले शरीर को गर्म रखें और चोटिल हिस्से को ठंडी हवा से बचाएं। इसके लिए गर्म कपड़े पहनें। नियमित रूप से हल्का व्यायाम (जैसे स्ट्रेचिंग और इनडोर वॉक) करते रहें ताकि ब्लड सर्कुलेशन बना रहे और मांसपेशियां अकड़ें नहीं।

ठंड के कारण शारीरिक गतिविधि पूरी तरह से न रोकें। योग या फिजियोथेरेपी की सलाह लेते रहें। शरीर में विटामिन D के स्तर को बनाए रखने के लिए डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट्स लें, क्योंकि यह हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। पर्याप्त पानी पीते रहें (हाइड्रेशन), क्योंकि डिहाइड्रेशन भी दर्द को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, दर्द वाली जगह पर गरम पानी की सिकाई करना मांसपेशियों को आराम देने में बहुत सहायक होता है।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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