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Mental Health: ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के लिए बंद हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स, दिमाग पर क्या होगा इसका असर?

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिखर बरनवाल Updated Thu, 11 Dec 2025 08:43 PM IST
सार

  • Social Media Ban Mental Health: ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र तक के बच्चों के लिए इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगा दी गई है।
  • ऐसा होने के पीछे का बड़ी वजह है कि सोशल मीडिया का स्क्रॉलिंग करना दबे पांव शरीर में कई बीमारियों को जन्म देती हैं।

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Social media platforms closed for children in Australia what will be its effect on the mind
मानसिक स्वास्थ्य - फोटो : Amar Ujala

Australia Social Media Ban For Children: ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को खतरा पहुंचाने के कारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बच्चों के लिए बंद करने का एक बड़ा और मजबूत कदम उठाया गया है। यह फैसला इस बात को रेखांकित करता है कि अत्यधिक और अनियंत्रित सोशल मीडिया उपयोग बच्चों के विकासशील दिमाग पर कितना हानिकारक प्रभाव डाल रहा है।



विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने लगातार चेतावनी दी है कि सोशल मीडिया की लत और इसका निरंतर उपयोग बच्चों में चिंता, अवसाद, आत्मविश्वास की कमी और नींद की समस्याओं को बढ़ा रहा है। ऑस्ट्रेलिया का यह निर्णय मानता है कि इन प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद तुलनात्मक सामग्री, साइबर बुलिंग का खतरा और 'परफेक्ट लाइफ' दिखाने का दबाव युवाओं दिमाग के आत्म-सम्मान और सामाजिक कौशल को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।

इन्हीं वजहों से ऑस्ट्रेलिया में कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर रोक लगा दी गई है। अब सवाल ये है कि इससे उन बच्चों पर किस तरह का बदलाव देखने को मिल सकता है। आइए इस लेख में इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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सोशल मीडिया स्क्रॉल करते बच्चे - फोटो : Freepik.com

तुलना और अवसाद में कमी
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स लगातार दूसरों की 'परफेक्ट लाइफ' को उजागर करते हैं, जिससे बच्चों में तुलना की भावना जन्म लेती है। प्लेटफॉर्म्स तक पहुंच सीमित होने से बच्चे इस लगातार हो रही तुलना से बच सकेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बच्चों में अवसाद और वे कैसे दिखते हैं इसकी तुलना से संबंधित विकारों में कमी आएगी।


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मेडिटेशन के कई सारे फायदे - फोटो : Freepik.com

एकाग्रता और रचनात्मकता में वृद्धि
सोशल मीडिया की लगातार नोटिफिकेशन्स और अंतहीन स्क्रॉलिंग बच्चों की एकाग्रता अवधि को कम करती है। प्लेटफॉर्म्स बंद होने से बच्चों का ध्यान मोबाइल स्क्रीन से हटेगा और वे पढ़ने, खेलने, कला या हॉबी जैसी रचनात्मक और एकाग्रता बढ़ाने वाली गतिविधियों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। यह उनके संज्ञानात्मक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।


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बेहतर नींद की गुणवत्ता - फोटो : adobe stock

बेहतर नींद की गुणवत्ता
सोने से ठीक पहले स्क्रीन देखने से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन (नींद का हार्मोन) के उत्पादन को बाधित करती है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगने से बच्चे बिस्तर पर फोन का उपयोग कम करेंगे, जिससे उनकी नींद की गुणवत्ता में सुधार होगा। अच्छी नींद मानसिक स्वास्थ्य और भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

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फॉरेस्ट बाथिंग - फोटो : Adobe Stock
क्रिटिकल थिंकिंग डेवेलप होती है..
सोशल मीडिया अक्सर सतही बातचीत को बढ़ावा देता है। जब बच्चों की पहुंच इन प्लेटफॉर्म्स तक सीमित होगी, तो वे अपने दोस्तों और परिवार के साथ वास्तविक जीवन में अधिक समय बिताएंगे। इससे उनके सामाजिक कौशल, सहानुभूति और इमोशिन इंटेलिजेंश का बेहतर विकास होगा, जो एक स्वस्थ दिमाग के लिए बहुत जरूरी है।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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