Lysosomal Storage Disorder Treatment: भारत में 'लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर' से जूझ रहे दर्जनों बच्चों के जीवन को सुरक्षित करने के लिए 'इंडियन मेडिकल पार्लियामेंटेरियंस फोरम' ने गंभीर चिंता जताई है। 'लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर' एक गंभीर बीमारी है, जो तब उत्पन्न होती है जब शरीर की कोशिकाओं के अंदर मौजूद 'लाइसोसोम' ठीक से काम नहीं कर पाते। लाइसोसोम कोशिका का वह हिस्सा होता है जो अनावश्यक या हानिकारक पदार्थों को तोड़ने और रीसायकल करने का कार्य करता है।
Health Tips: क्या होता है लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर, क्यों दर्जनों बच्चों की जान को है खतरा?
Enzyme Replacement Therapy ERT India: लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर इलाज एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है। यह बीमारी आमतौर पर छोटे बच्चों में देखने को मिलती है। इस दुर्लभ बीमारी की इलाज के लिए 50 लाख की सीमा को बढ़ाने के लिए IMPF ने सरकार को पत्र लिखा है।
LSD क्या है?
लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर एक आनुवंशिक बीमारी है। शरीर में हर कोशिका के भीतर लाइसोसोम होते हैं, जो छोटे 'कूड़ा निस्तारण केंद्र' की तरह काम करते हैं। ये जटिल फैट, प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट जैसे बड़े अणुओं को तोड़ने के लिए एंजाइम का उपयोग करते हैं।
LSD से पीड़ित बच्चों में, इन एंजाइमों में से कोई एक अनुपस्थित होता है। एंजाइम की कमी के कारण ये अपशिष्ट पदार्थ टूट नहीं पाते और कोशिकाओं में जहर की तरह जमा होने लगते हैं। इसी जमाव के कारण अंग काम करना बंद कर देते हैं, जिससे ये बीमारियां जानलेवा बन जाती हैं।
क्या है पूरा मामला?
इंडियन मेडिकल पार्लियामेंटेरियंस फोरम के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनकी प्रमुख चिंता NPRD नीति के तहत 50 लाख रुपये की अधिकतम वित्तीय सहायता सीमा है।
फोरम ने बताया कि लगभग 60 मरीज का इलाज खर्च इस सीमा को पार कर चुका है, जिससे उनका एकमात्र जीवनरक्षक इलाज, 'एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी' (इआरटी), बंद होने के कगार पर है। इआरटी इन बच्चों के लिए अत्यंत आवश्यक है, जो कि बेहद महंगा होता है।
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मौत का आंकड़ा और तत्काल मांग
फंड की कमी या इलाज में अनावश्यक देरी के कारण अब तक LSD से जूझ रहे 60 से अधिक बच्चों और युवाओं की जान जा चुकी है। वहीं लगभग 100 अन्य मरीज ऐसे हैं जिनका फंड समाप्त होने वाला है और उनका जीवन रक्षक इलाज कभी भी रुक सकता है।
फोरम ने कड़ी चेतावनी दी है कि इआरटी में थोड़ी सी भी रुकावट शरीर के अंगों को तुरंत और अपरिवर्तनीय रूप से खराब कर सकती है, जो सीधे तौर पर जानलेवा साबित होती है।
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फोरम ने सरकार से विनम्र आग्रह किया है कि इन बच्चों की जान बचाने के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सीमा को तुरंत हटाया जाए। साथ ही उन्होंने एक ऐसा स्थायी और सतत फंडिंग सिस्टम बनाने की मांग की है, जिसके माध्यम से LSD के इलाज के लिए नामित 'सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस' के जरिए बिना किसी देरी के लगातार फंड मिलता रहे। उनका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी बच्चे का इलाज केवल पैसे की कमी के कारण न रुके।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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