World Mental Health Day 2025: जब भी हम 'एंग्जायटी' या चिंता की बात करते हैं, तो अक्सर हमारे दिमाग में एक ऐसे व्यक्ति की तस्वीर उभरती है जो घबराया हुआ, परेशान और अपने दैनिक कार्यों को करने में असमर्थ होता है। लेकिन एंग्जायटी का एक ऐसा भी रूप है जो बाहर से बिल्कुल दिखाई नहीं देता, जिसे 'हाई-फंक्शनिंग एंग्जायटी' कहते हैं।
World Mental Health Day 2025: क्या आप 'हाई-फंक्शनिंग' एंग्जायटी के शिकार हैं? जानें इसके छुपे हुए लक्षण
हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का खास मकसद दुनिया भर में लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व और इससे जुड़ी चुनौतियों के प्रति जागरूक करना है। इसलिए आइए इस लेख में हाई फंक्शनिंग एंग्जाइटी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सफलता के मुखौटे के पीछे का सच
हाई-फंक्शनिंग एंग्जायटी से पीड़ित व्यक्ति अक्सर अपने कार्यक्षेत्र में एक 'स्टार परफॉर्मर' होता है। वे हमेशा समय पर काम पूरा करते हैं, हर डिटेल पर ध्यान देते हैं और परफेक्शनिस्ट होते हैं। वे दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और कभी 'न' नहीं कह पाते। बाहर से देखने पर यह उनकी खूबी लगती है, लेकिन असल में यह उनके अंदर छिपे 'असफल होने का डर' और 'दूसरों को खुश करने की जरूरत' से प्रेरित होता है। उनकी सफलता उनकी चिंता को छिपाने वाला एक मुखौटा बन जाती है।
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छुपे हुए शारीरिक और मानसिक लक्षण
भले ही बाहर से सब ठीक दिखे, लेकिन अंदर ही अंदर उनका दिमाग लगातार चलता रहता है। वे बीती हुई बातों का विश्लेषण करते हैं, भविष्य को लेकर नकारात्मक सोचते हैं और हर छोटी गलती पर खुद को कोसते हैं। अब आइए इनके कुछ शारीरिक लक्षणों के बारे में जानते हैं।
- रात में दिमाग का शांत न हो पाना।
- खासकर गर्दन और कंधों में लगातार खिंचाव महसूस होना।
- पेट में अक्सर बेचैनी या गड़बड़ी रहना।
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व्यवहार में दिखने वाले संकेत
हाई-फंक्शनिंग एंग्जायटी वाले लोगों के व्यवहार में कुछ खास पैटर्न देखे जा सकते हैं। वे कभी आराम से नहीं बैठ पाते और हमेशा खुद को किसी न किसी काम में व्यस्त रखते हैं। वे अक्सर चीजों को आखिरी समय तक टालते हैं और फिर डेडलाइन आने पर अत्यधिक तनाव में काम करते हैं। दूसरों से बार-बार आश्वासन मांगना ('क्या यह ठीक है?') भी इसका एक प्रमुख लक्षण है, क्योंकि वे खुद पर विश्वास नहीं कर पाते।
यह स्थिति आपके सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है क्योंकि व्यक्ति सफल दिखता है, इसलिए न तो उसे दूसरों से मदद मिलती है और न ही वह खुद अपनी समस्या को पहचान पाता है। यह लंबे समय में बर्नआउट या गंभीर एंग्जायटी डिसऑर्डर का कारण बन सकता है। अगर आपको ये लक्षण खुद में या किसी अपने में दिखें, तो इसे नजरअंदाज न करें। किसी थेरेपिस्ट या काउंसलर से बात करना पहला कदम हो सकता है। इसके अलावा, मेडिटेशन, अपनी सीमाएं तय करना और 'परफेक्ट' की जगह 'पर्याप्त' से संतुष्ट होना सीखना भी इससे निपटने में मदद करता है।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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