देखते-देखते साल 2025 अपनी समाप्ति की ओर आ गया है, जल्द ही हम सभी नए साल 2026 में प्रवेश करने जा रहे हैं। नया साल, नई उम्मीदें और नए हेल्थ रेजोल्यूशन के साथ आगे बढ़ने से पहले एक बार इस साल पर नजर डालें तो पता चलता है कि साल 2025 मेडिकल क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। इस साल चिकित्सा विज्ञान ने कई ऐसी उपलब्धियां हासिल कीं, जिन्होंने न सिर्फ बीमारियों के इलाज के तरीकों को बदला, बल्कि लोगों की सोच और उम्मीदों को भी नई दिशा दी।
Year Ender 2025: मेडिकल साइंस के लिए सुनहरा रहा ये साल, नई वैक्सीन से लेकर गंभीर रोगों के इलाज में मिली सफलता
- इस साल चिकित्सा विज्ञान ने कई ऐसी उपलब्धियां हासिल कीं, जिन्होंने न सिर्फ बीमारियों के इलाज के तरीकों को बदला, बल्कि लोगों की सोच और उम्मीदों को भी नई दिशा दी।
- 2025 ने यह साबित कर दिया कि मेडिकल साइंस लगातार आगे बढ़ रहा है।
वैज्ञानिकों ने बनाया चावल के दाने जितना छोटा पेसमेकर
मेडिकल क्षेत्र में नवाचार क्रम में वैज्ञानिकों को अप्रैल के महीने में बड़ी सफलता हाथ लगी। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने एक अतिसूक्ष्म पेसमेकर बनाया जिससे दिल के मरीजों को विशेष लाभ मिल सकता है। सबसे खास बात ये है कि इसका आकार चावल के दाने जितना छोटा है और अब तक जिस तरह से पेसमेकर लगाया जाता रहा है उससे इतर इसे आसानी से इंजेक्शन के जरिये भी शरीर में इंजेक्ट किया जा सकता है। जन्मजात हृदय दोष वाले नवजात शिशुओं के छोटे, नाजुक हृदय के लिए भी इसे विशेष रूप से उपयुक्त माना जा रहा है।
वैज्ञानिकों ने बनाया कृत्रिम रक्त
छोटे से पेसमेकर के साथ इस साल वैज्ञानिकों ने बनाया कृत्रिम रक्त यानी आर्टिफिशियल खून भी विकसित कर लिया। ये खबर काफी सुर्खियों में थी। रक्त की इस कमी को दूर करने के लिए जापानी वैज्ञानिकों ने ये आविष्कार किया था। इसका उपयोग किसी भी ब्लड ग्रुप के लिए किया जा सकता है और इसे बिना रेफ्रिजरेशन के लंबे समय तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आपातकालीन चिकित्सा के दौरान सामने आने वाली सबसे बड़ी चुनौती को दूर करने और लोगों की जान बचाने में काफी मददगार हो सकती है।
मलेरिया की रोकथाम के लिए पहली स्वदेशी वैक्सीन
जुलाई 2025 में भारत ने मलेरिया की रोकथाम के लिए अपना पहला टीका तैयार किया। आईसीएमआर और भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) के शोधकर्ताओं ने मिलकर यह स्वदेशी टीका तैयार किया। विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई कि इससे न सिर्फ अस्पतालों पर पड़ने वाले दवाब को कम किया जा सकेगा बल्कि रोगियों की जान बचाने में भी मदद मिल सकेगी। इसे फिलहाल एडफाल्सीवैक्स नाम दिया है, जो मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ पूरी तरह असरदार पाया गया है।
हैजा रोग से बचाव की वैक्सीन
भारत जैसे विकासशील देश में हैजा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है। शोधकर्ताओं ने इस साल हैजा संक्रमण से बचने के लिए एक टीका विकसित किया जिसके सभी परीक्षण पूरी तरह सफल रहे। विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि इस वैक्सीन की मदद से घातक संक्रामक रोगों की रोकथाम में मदद मिल सकती है। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी ने कारगर टीका बनाने की जानकारी दी। कंपनी ने इस टीका को हिलचोल नाम दिया है।