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एक थी परवीन बॉबी: जानिए क्यों खुद की जान लेने को तैयार हो जाते हैं सेलिब्रेटी, असली वजहें ये तो नहीं
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला
Updated Wed, 04 Apr 2018 11:07 AM IST
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सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में सफलता और असफलता के दौर में संतुलन न बैठा पाने वाली परवीन बॉबी, जिया खान, सिल्क स्मिता जैसी कई हस्तियां एक उदाहरण हैं, उस मानसिक स्थिति का जो जीवन के तनाव, असफलताओं और अकेलेपन से कुछ इस तरह हार मान लेती हैं कि उनकी खुशहाल जिंदगी का रास्ता खुदकुशी पर खत्म होता है।
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परवीन बाबी
मनोवैज्ञानिक डॉ. डी.एस. नरबान से जानिए ऐसी वजहों के बारे में जो अवसाद की स्थिति को खुदकुशी तक पहुंचाती हैं और इनके संकेतों को समझकर अवसाद में डूबे इंसान को उबारने में मदद मिल सकती है।
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उम्मीदों के बदले निराशा हाथ लगना
जीवन में चाहा बहुत कुछ, हजारों हसीन सपने देखे और कोशिश भी की, लेकिन उम्मीद के मुताबिक सफलता हाथ न लग सकी। कई बार बढ़ती महत्वाकांक्षाओं पर असफलता का बोझ मनोबल को तोड़कर रख देता है।
ऐसे में व्यक्ति का न सिर्फ आत्मविश्वास डगमगाता है बल्कि वह अवसाद से घिर जाता है और उबर न पाने की हालत में आत्महत्या जैसा कठोर कदम ले सकता है।
जीवन में चाहा बहुत कुछ, हजारों हसीन सपने देखे और कोशिश भी की, लेकिन उम्मीद के मुताबिक सफलता हाथ न लग सकी। कई बार बढ़ती महत्वाकांक्षाओं पर असफलता का बोझ मनोबल को तोड़कर रख देता है।
ऐसे में व्यक्ति का न सिर्फ आत्मविश्वास डगमगाता है बल्कि वह अवसाद से घिर जाता है और उबर न पाने की हालत में आत्महत्या जैसा कठोर कदम ले सकता है।
विश्वास के बदले धोखा
जिसे अपना मानकर पूरा ऐतबार किया लेकिन बदले में मिला तो सिर्फ धोखा। इतना ही नहीं, कई बार भरोसा टूटने का आघात अवसाद में डूबे इंसान को इतना अकेला कर देता है कि वह जीवन में विकल्प खोजने के बजाय खुद को बेमकसद और तनहा कर लेता है। यही अकेलापन उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर कर सकता है।
जिसे अपना मानकर पूरा ऐतबार किया लेकिन बदले में मिला तो सिर्फ धोखा। इतना ही नहीं, कई बार भरोसा टूटने का आघात अवसाद में डूबे इंसान को इतना अकेला कर देता है कि वह जीवन में विकल्प खोजने के बजाय खुद को बेमकसद और तनहा कर लेता है। यही अकेलापन उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर कर सकता है।
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सिर्फ समस्या, हल तो खोजा ही नहीं
सिर्फ समस्याओं के बारे में सोचने की प्रवृत्ति इंसान को अवसाद की ओर धकेलने के लिए काफी है। इस मिजाज के लोग सिक्के के दूसरे पहलू को देखते ही नहीं हैं और अपनी समस्याओं को उतना बड़ा मान लेते हैं कि खुदकुशी ही उन्हें एकमात्र रास्ता लगता है।
सिर्फ समस्याओं के बारे में सोचने की प्रवृत्ति इंसान को अवसाद की ओर धकेलने के लिए काफी है। इस मिजाज के लोग सिक्के के दूसरे पहलू को देखते ही नहीं हैं और अपनी समस्याओं को उतना बड़ा मान लेते हैं कि खुदकुशी ही उन्हें एकमात्र रास्ता लगता है।