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Diwali 2024: कश्मीर से कन्याकुमारी तक, जानें भारत में दिवाली मनाने के अलग-अलग तरीके और परंपरा

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवानी अवस्थी Updated Thu, 31 Oct 2024 12:21 AM IST
सार

कहीं दीपोत्सव पर लक्ष्मी गणेश का पूजन होता है तो कहीं श्रीराम और माता सीता के आगमन की खुशियां मनाई जाती हैं। उत्तर से दक्षिण भारत तक दीपोत्सव को मनाने के तरीके और इससे जुड़ी कहानियों के बारे में जानिए।

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Diwali 2024 Different ways To Celebrate Diwali Around India From Kashmir To Kanyakumari
भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण तक दिवाली मनाने के अलग अलग रीति रिवाज हैं। - फोटो : Adobe stock

Different ways To Celebrate Diwali Around India: दीपावली का पर्व सदियों से मनाया जा रहा है। ये पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। हालांकि दीपोत्सव पांच दिवसीय पर्व है, जिसमें दिवाली से दो दिन पहले शुरू हो जाता है और दीपावली के दो दिन बाद तक मनाया जाता है। देश भर में दीपावली का पर्व मनाने के अलग अलग रीति रिवाज और तरीके हैं। कहीं दीपोत्सव पर लक्ष्मी गणेश का पूजन होता है तो कहीं श्रीराम और माता सीता के आगमन की खुशियां मनाई जाती हैं। उत्तर से दक्षिण भारत तक दीपोत्सव को मनाने के तरीके और इससे जुड़ी कहानियों के बारे में जानिए।

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Diwali 2024 Different ways To Celebrate Diwali Around India From Kashmir To Kanyakumari
उत्तर भारत में श्रीराम के आगमन की खुशी और गणेश लक्ष्मी पूजन के साथ दीपावली की पर्व मनाया जाता है - फोटो : Adobe stock

उत्तर भारत में दिवाली

उत्तर भारत में दीपावली का पर्व मुख्य रूप से भगवान राम से संबंधित है। दिवाली भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के अवतार श्री राम 14 वर्षों का वनवास और रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे, तो नगरवासियों ने उनके स्वागत के लिए दीप जलाए थे। इस कारण उत्तर भारत में दीपावली के मौके पर दीये जलाने और प्रकाश पर्व मनाने का महत्व है। यूपी-उत्तराखंड समेत उत्तर भारत में दीपावली के मौके पर घरों की सफाई, रंगोली बनाना, और लक्ष्मी-गणेश पूजा प्रमुख होता है।यहां पटाखों का चलन भी खूब देखा जाता है।

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दक्षिण भारत में दिवाली एक दिन पहले नरक चतुर्दशी को मनाई जाती है। - फोटो : Freepik

दक्षिण भारत में दिवाली

उत्तर भारत से अलग दक्षिण भारत में दीपावली मनाने का कारण और मान्यताएं अलग हैं। यहां दीपावली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से दीपावली उत्सव आरंभ हो जाता है। उस दिन लोग सूर्योदय के पहले सुबह-सुबह तेल और उबटन लगाकर स्नान कर लेते हैं, क्योंकि अगले दिन अमावस्या होती है और उस दिन सिर में तेल लगाकर स्नान नहीं किया जा सकता है। इस तरह तमिल लोगों के लिए दीपावली का जश्न सुबह-सुबह तेल लगाकर स्नान करने से शुरू होता है।

दक्षिण भारतीय इस पर्व को श्रीराम से नहीं बल्कि कृष्ण जी से जोड़कर मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर धरती को उसके आतंक से मुक्त किया था। तमिलनाडु में व्यक्ति चाहे गरीब हो या अमीर, अपनी हैसियत के अनुसार नए कपड़े जरूर खरीदता है। इस पर्व के लिए स्नान करने के बाद खरीदे गए पारंपरिक नए वस्त्र रात को ही भगवान के सामने रख दिए जाते हैं। अगली सुबह यानी पर्व वाले दिन घर का मुखिया सबको अपने हाथों से आशीर्वाद के रूप में यह वस्त्र देता है।

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पश्चिमी भारत के राज्यों जैसे गुजरात और महाराष्ट्र में दिवाली व्यापारिक महत्व रखती है - फोटो : Adobe stock

पश्चिम भारत में दीपोत्सव

भारत के पश्चिमी राज्यों खासकर गुजरात और महाराष्ट्र में दीपावली का पर्व व्यापारिक तौर पर महत्वपूर्ण है। यहां दीपावली व्यापारिक वर्ष की शुरुआत के रूप में मनाई जाती है। दीपावली के मौके पर व्यापारी अपने बही खातों की पूजा करते हैं और नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत करते हैं। विशेष तौर पर लक्ष्मी पूजन होता है जो कि धन संपदा की देवी हैं। इस दौरान काली चौदस का आयोजन भी किया जाता है जो कि दीपावली से एक दिन पहले आता है। इस दिन बुरी शक्तियों को दूर भगाने के लिए विशेष पूजन होता है। 

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पूर्वी भारत में खासकर पं बंगाल में दीपावली के मौके पर काली पूजा होती है - फोटो : instagram

पूर्वी भारत की दिवाली

भारत के पूर्व में पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्य शामिल हैं, जहां दीपावली का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है। दिवाली के मौके पर यहां काली पूजा होती है, जिसमें मां काली की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन देवी काली की प्रतिमा की स्थापना की जाती है। इस पूजा की धूम बिल्कुल दुर्गापूजा जैसी ही होती है। 

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