Panch Kedar: भारत शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम और स्थान के बारे में लगभग सभी शिव भक्त जानते हैं। लेकिन शिव जी के कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी महिमा दिव्य ज्योतिर्लिंगों जैसी ही है। इसमें पंच केदार भी शामिल हैं। पंच केदार भगवान शिव को समर्पित उत्तराखंड के पांच मंदिरों का एक समूह है। पंच केदार के महत्व को इस मान्यता से समझ सकते हैं कि यहां भगवान शिव के शरीर के अलग-अलग अंग प्रकट हुए थे।
Panch Kedar Yatra: एक ही शिव के पांच रूप, हर मंदिर में छिपा है एक टुकड़ा महादेव का; करें पंच केदार यात्रा
Panch Kedar Travel Guide : अगर आप उत्तराखंड जा रहे हैं तो केदारनाथ मंदिर के दर्शन तक सीमित न रहकर पंच केदार की यात्रा भी कर सकते हैं। हालांकि इन पांचों मंदिरों की यात्रा कठिन होती है। सावन के पावन मौके पर इन पंच केदार मंदिरों के बारे में जानिए, यह कहां स्थित हैं और आप पंच केदार की यात्रा कैसे कर सकते हैं।
केदारनाथ मंदिर
उत्तराखंड का केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। वहीं यह चार धामों में भी शामिल है। लेकिन क्या आपको पता है कि ज्योतिर्लिंग होने के साथ ही यहां बैल की पीठ की पूजा होती है? दरअसल, बैल रूपी भगवान भोलेनाथ का कूबड़ यहां प्रकट हुआ था। साल 2013 में आई बाढ़ में भी जब सब कुछ बह गया ता तो यह मंदिर चमत्कारिक रूप से बचा हुआ था। केदारनाथ की यात्रा मई से नवंबर तक की जा सकती है। बर्फीली घाटियों, गूंजती हुई घंटियों और मंत्रों से भरपूर यह यात्रा शरीर के साथ आत्मा को भी पिघला देती है।
कैसे जाएं केदारनाथ मंदिर?
केदारनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए हरिद्वार या ऋषिकेश से सोनप्रयाग व गौरीकुंड के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं। सोनप्रयाग से गौरीकुंड पांच किमी है और गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर 16-18 किमी है। आप पैदल, घोड़े या पालकी से मंदिर की यात्रा कर सकते हैं। इसके अलावा हेलीकॉप्टर से भी केदारनाथ पहुंच सकते हैं।
तुंगनाथ मंदिर
तुंगनाथ मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव की भुजाएं प्रकट हुई थीं। यहां शिव जी के हाथों की पूजा की जाती है। पंच केदार मंदिरों में से एक तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में है। यहां तक पहुंचने के लिए चोपता से 4 किमी की चढ़ाई करनी होती है। इस रास्ते में बर्फ से ढकी चोटियों और फूलों से सजे अल्पाइन मीडोज के बीच शांति और अध्यात्म का अनोखा संगम देखने को मिलता है। केदारनाथ मंदिर की तरह ही तुंगनाथ भी मई से नवंबर की शुरुआत तक यात्रियों के लिए खुला रहता है। इसके बाद बर्फबारी के कारण मंदिर का मार्ग बंद हो जाता है।
रुद्रनाथ मंदिर
रुद्रनाथ में भगवान शिव का मुख प्रकट हुआ था, जिसे नीलकंठ महादेव के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जो स्वयंभू मानी जाती है। श्रावण मास की पूर्णिमा को रुद्रनाथ मंदिर में वार्षिक मेला लगता है, जिसमें स्थानीय लोग भाग लेते हैं। यह मंदिर एक शांत घाटी पर स्थित है। दुर्गम मार्ग पर होने के कारण यहां अधिक भीड़भाड़ नहीं होती है। अकेले में शिव का ध्यान लगाने के लिए रुद्रनाथ मंदिर आदर्श स्थान है। यह भी कहा जाता है कि यहां समय थम सा गया है।
कैसे पहुंचें रुद्रनाथ मंदिर?
रुद्रनाथ मंदिर चमोली जिले में स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए हरिद्वार या ऋषिकेश से 241 किमी दूर गोपेश्वर के लिए बस या टैक्सी मिल जाएगी। गोपेश्वर से सागर गांव की यात्रा करें जो कि महज 5 किमी दूर है। यहां तक निजी कैब या टैक्सी से जा सकते हैं। सागर गांव से रुद्रनाथ मंदिर 20 किमी की पैदल यात्रा करनी होती है। ट्रेकिंग के लिए अच्छा समय मई से अक्टूबर के बीच होता है। रुद्रनाथ मंदिर एक दुर्गम स्थान पर है, इसलिए यात्रा की योजना सावधानीपूर्वक बनाएं।
मध्यमहेश्वर मंदिर
पांडवों को इस स्थान पर भगवान शिव की नाभि के दर्शन हुए थे। यह स्थान हरी-भरी घाटियों के बीच शिव की ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। इस मंदिर के आसपास एकांत, सरलता और आध्यात्मिक गहराई का अनुभव होता है। मन और मस्तिष्क दोनों को सुकून देने वाली यात्रा के लिए यहां पहुंच सकते हैं।
मध्यमहेश्वर मंदिर भी रुद्रप्रयाग जिले में ही स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए पहले आपको उखीमठ पहुंचना होगा। उखीमठ से रांसी गांव का सफर लगभग 20 किमी है जो टैक्सी या जीप से पूरा किया जा सकता है। रांसी गांव पहुंचकर मध्यमहेश्वर मंदिर तक 16 से 18 किमी की ट्रेकिंग करनी होती है। आपको खच्चर और पोर्टर की सुविधा मिल सकती है।