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Panch Kedar Yatra: एक ही शिव के पांच रूप, हर मंदिर में छिपा है एक टुकड़ा महादेव का; करें पंच केदार यात्रा

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवानी अवस्थी Updated Sun, 13 Jul 2025 02:07 PM IST
सार

Panch Kedar Travel Guide : अगर आप उत्तराखंड जा रहे हैं तो केदारनाथ मंदिर के दर्शन तक सीमित न रहकर पंच केदार की यात्रा भी कर सकते हैं। हालांकि इन पांचों मंदिरों की यात्रा कठिन होती है। सावन के पावन मौके पर इन पंच केदार मंदिरों के बारे में जानिए, यह कहां स्थित हैं और आप पंच केदार की यात्रा कैसे कर सकते हैं।

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Panch Kedar Travel Guide Spritual Tourism Uttarakhand How To Reach Kedarnath & Tungnath Temples
उत्तराखंड के पंच केदार मंदिर - फोटो : Amar Ujala

Panch Kedar: भारत शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम और स्थान के बारे में लगभग सभी शिव भक्त जानते हैं। लेकिन शिव जी के कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी महिमा दिव्य ज्योतिर्लिंगों जैसी ही है। इसमें पंच केदार भी शामिल हैं। पंच केदार भगवान शिव को समर्पित उत्तराखंड के पांच मंदिरों का एक समूह है। पंच केदार के महत्व को इस मान्यता से समझ सकते हैं कि यहां भगवान शिव के शरीर के अलग-अलग अंग प्रकट हुए थे।



पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब पांडव महाभारत के युद्ध के बाद अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगने के लिए उनकी तलाश में निकले तो महादेव पांडवों से बचने के लिए बैल का रूप धारण करके हिमालय की ओर चले गए और वहीं अंतर्धान हो गए। लेकिन भीम ने उन्हें पहचान लिया और बैल रूपी शिव जी का कूबड़ पकड़ लिया। तब जाकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए। उनका बैल स्वरूप शरीर पांच अलग-अलग स्थानों पर प्रकट हुआ। आज इन पांच स्थानों को पंच केदार के नाम से जाना जाता है। हर मंदिर शिव के शरीर के एक अंग को समर्पित है और हर स्थल की अपनी रहस्यमयी शक्ति और सौंदर्य है।

अगर आप उत्तराखंड जा रहे हैं तो केदारनाथ मंदिर के दर्शन तक सीमित न रहकर पंच केदार की यात्रा भी कर सकते हैं। हालांकि इन पांचों मंदिरों की यात्रा कठिन होती है। सावन के पावन मौके पर इन पंच केदार मंदिरों के बारे में जानिए, यह कहां स्थित हैं और पंच केदार की यात्रा कैसे कर सकते हैं।

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केदारनाथ यात्रा - फोटो : istock

केदारनाथ मंदिर

उत्तराखंड का केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। वहीं यह चार धामों में भी शामिल है। लेकिन क्या आपको पता है कि ज्योतिर्लिंग होने के साथ ही यहां बैल की पीठ की पूजा होती है? दरअसल, बैल रूपी भगवान भोलेनाथ का कूबड़ यहां प्रकट हुआ था। साल 2013 में आई बाढ़ में भी जब सब कुछ बह गया ता तो यह मंदिर चमत्कारिक रूप से बचा हुआ था। केदारनाथ की यात्रा मई से नवंबर तक की जा सकती है। बर्फीली घाटियों, गूंजती हुई घंटियों और मंत्रों से भरपूर यह यात्रा शरीर के साथ आत्मा को भी पिघला देती है। 

कैसे जाएं केदारनाथ मंदिर?

केदारनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए हरिद्वार या ऋषिकेश से सोनप्रयाग व गौरीकुंड के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं। सोनप्रयाग से गौरीकुंड पांच किमी है और गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर 16-18 किमी है। आप पैदल, घोड़े या पालकी से मंदिर की यात्रा कर सकते हैं। इसके अलावा हेलीकॉप्टर से भी केदारनाथ पहुंच सकते हैं।
 

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तुंगनाथ मंदिर - फोटो : Instagram

तुंगनाथ मंदिर

तुंगनाथ मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव की भुजाएं प्रकट हुई थीं। यहां शिव जी के हाथों की पूजा की जाती है। पंच केदार मंदिरों में से एक तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में है। यहां तक पहुंचने के लिए चोपता से 4 किमी की चढ़ाई करनी होती है। इस रास्ते में बर्फ से ढकी चोटियों और फूलों से सजे अल्पाइन मीडोज के बीच शांति और अध्यात्म का अनोखा संगम देखने को मिलता है। केदारनाथ मंदिर की तरह ही तुंगनाथ भी मई से नवंबर की शुरुआत तक यात्रियों के लिए खुला रहता है। इसके बाद बर्फबारी के कारण मंदिर का मार्ग बंद हो जाता है।
 

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रुद्रनाथ मंदिर - फोटो : Instagram

रुद्रनाथ मंदिर

रुद्रनाथ में भगवान शिव का मुख प्रकट हुआ था, जिसे नीलकंठ महादेव के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जो स्वयंभू मानी जाती है। श्रावण मास की पूर्णिमा को रुद्रनाथ मंदिर में वार्षिक मेला लगता है, जिसमें स्थानीय लोग भाग लेते हैं। यह मंदिर एक शांत घाटी पर स्थित है। दुर्गम मार्ग पर होने के कारण यहां अधिक भीड़भाड़ नहीं होती है। अकेले में शिव का ध्यान लगाने के लिए रुद्रनाथ मंदिर आदर्श स्थान है। यह भी कहा जाता है कि यहां समय थम सा गया है। 

कैसे पहुंचें रुद्रनाथ मंदिर?

रुद्रनाथ मंदिर चमोली जिले में स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए हरिद्वार या ऋषिकेश से 241 किमी दूर गोपेश्वर के लिए बस या टैक्सी मिल जाएगी। गोपेश्वर से सागर गांव की यात्रा करें जो कि महज 5 किमी दूर है। यहां तक निजी कैब या टैक्सी से जा सकते हैं। सागर गांव से रुद्रनाथ मंदिर 20 किमी की पैदल यात्रा करनी होती है। ट्रेकिंग के लिए अच्छा समय मई से अक्टूबर के बीच होता है। रुद्रनाथ मंदिर एक दुर्गम  स्थान पर है, इसलिए यात्रा की योजना सावधानीपूर्वक बनाएं।

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मध्यमहेश्वर मंदिर - फोटो : Instagram

मध्यमहेश्वर मंदिर

पांडवों को इस स्थान पर भगवान शिव की नाभि के दर्शन हुए थे। यह स्थान हरी-भरी घाटियों के बीच शिव की ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। इस मंदिर के आसपास एकांत, सरलता और आध्यात्मिक गहराई का अनुभव होता है। मन और मस्तिष्क दोनों को सुकून देने वाली यात्रा के लिए यहां पहुंच सकते हैं।

मध्यमहेश्वर मंदिर भी रुद्रप्रयाग जिले में ही स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए पहले आपको उखीमठ पहुंचना होगा। उखीमठ से रांसी गांव का सफर लगभग 20 किमी है जो टैक्सी या जीप से पूरा किया जा सकता है। रांसी गांव पहुंचकर मध्यमहेश्वर मंदिर तक 16 से 18 किमी की ट्रेकिंग करनी होती है। आपको खच्चर और पोर्टर की सुविधा मिल सकती है।

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