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MP: किसी का पैर, किसी का कंधा टूटा, 1000 घायल, दो नागपुर रेफर; लोगों ने एक-दूसरे पर जमकर फेंके पत्थर; तस्वीरें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, छिंदवाड़ा Published by: उदित दीक्षित Updated Sat, 23 Aug 2025 09:32 PM IST
सार

Gotmar Mela: मध्यप्रदेश के पांढुर्णा में परंपरागत गोटमार मेले में करीब 1000 लोग घायल हो गए। दो गंभीर घायलों को नागपुर रेफर किया गया है।  मेले में सुबह करीब 10 बजे शुरू हुई पत्थरबाजी शाम करीब 7.30 बजे तक चलती रही।

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MP Bloody Tradition: more than 700 Injured in Gotmar Fair in Pandhurna 2 Critical
पांढुर्णा में खेला परंपरागत गोटमार मेला। - फोटो : अमर उजाला

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में जाम नदी किनारे शनिवार को परंपरागत गोटमार मेला खेला गया।  इस दौरान पांढुर्णा और सावरगांव के हजारों लोगों ने नदी के दोनों ओर खड़े होकर एक-दूसरे पर पत्थर फेंके। सुबह से शुरू हुए इस खेल में देर शाम तक करीब 1000 लोग घायल हो गए। पत्थरबाजी में किसी का हाथ, किसी का पैर तो किसी का कंधा टूट गया। दो गंभीर घायलों को इलाज के लिए नागपुर रेफर किया गया है।

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MP Bloody Tradition: more than 700 Injured in Gotmar Fair in Pandhurna 2 Critical
धारा 144 का असर नहीं दिखा। - फोटो : अमर उजाला

जानकारी के अनुसार, घायलों में शामिल पांढुर्णा निवासी ज्योतिराम उईके का पैर टूट गया, जबकि निलेश जानराव का कंधा फ्रैक्चर हो गया। घायलों के उपचार के लिए प्रशासन ने नदी किनारे ही 6 अस्थायी स्वास्थ्य केंद्र बनाए थे। जहां, 58 डॉक्टर और 200 मेडिकल कर्मचारियों का स्टाफ तैनात किया गया था। सुरक्षा व्यवस्था के लिए 600 पुलिस जवान भी तैनात किए गए थे। कलेक्टर अजय देव शर्मा ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए मेले में धारा 144 लागू की थी। लेकिन, इसका कोई असर नहीं दिखा। हर साल की तरह सुबह करीब 10 बजे शुरू हुई पत्थरबाजी शाम करीब 7.30 बजे तक चलती रही। 

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MP Bloody Tradition: more than 700 Injured in Gotmar Fair in Pandhurna 2 Critical
इस तरह एक दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं लोग। - फोटो : अमर उजाला

ऐसे होती है गोटमार की शुरुआत
गोटमार मेले की शुरुआत जाम नदी में चंडी माता की पूजा के बाद होती है। इसके बाद सावरगांव के लोग जंगल से पलाश का पेड़ काटकर लाते हैं और नदी के बीच गाड़ते हैं। इस झंडे (पेड़) को लाने की जिम्मेदारी सावरगांव निवासी सुरेश कावले का परिवार पीढ़ियों से निभा रहा है। झंडा लगाने के बाद पांढुर्णा और सावरगांव के लोगों के बीच पत्थरबाजी होती है। सावरगांव के लोग लड़की मानकर पलाश के पेड़ और झंडे की सुरक्षा करते हैं। वे पांढुर्णा के लोगों को पेड़ और झंडा निकालने से रोकते हैं। वहीं, पांढुर्णा के लोग पत्थरबाजी कर पेड़ पर कब्जा करने का प्रयास करते हैं। इस दौरान दोनों ओर से पत्थर फेंके जाते हैं। अंत में झंडे को तोड़ लेने के बाद दोनों पक्ष मिलकर चंडी माता की पूजा करते हैं। इसके बाद गोटमार खत्म करते हैं।

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MP Bloody Tradition: more than 700 Injured in Gotmar Fair in Pandhurna 2 Critical
एंबुलेंस से अस्पताल भेजा गया गंभीर घायल। - फोटो : अमर उजाला

1955 से अब तक 13 मौतें, कई ने खोई आंखें-हाथ
गोटमार की परंपरा कब शुरू हुई, इसका कोई ठोस इतिहास नहीं है। हालांकि, सुरेश कावले का दावा है कि यह परंपरा करीब 400 साल पुरानी है। पत्थरबाजी के दौरान 1955 में पहली मौत हुई थी। तब से लेकर 2023 तक 13 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से तीन एक ही परिवार के थे। गोटमार में सिर्फ सिर्फ मौते ही नहीं हैं, इसमें अब तक दर्जनों लोग आंखें और अपने हाथ-पैर भी खो चुके हैं। इसके बाद भी यह परंपरा हर साल निभाई जाती है। जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उनके लिए यह दिन शोक दिवस की तरह होता है।

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MP Bloody Tradition: more than 700 Injured in Gotmar Fair in Pandhurna 2 Critical
पुलिस ने छत पर बैठकर की निगरानी। - फोटो : अमर उजाला

कोई दर्ज नहीं कराता केस 
पांढुर्णा थाना प्रभारी अजय मरकाम के मुताबिक गोटमार में मौत और घायल होने के मामलों में अब तक किसी ने थाने में शिकायत दर्ज नहीं कराई। इसी वजह से मेले से संबंधित कोई केस भी अब तक दर्ज नहीं हो सका। मेले के दौरान पुलिस सुरक्षा के लिए तैनात रहती है। मामूली घायलों का मौके पर इलाज किया जाता है, जबकि गंभीर घायलों को इलाज के लिए तत्काल अस्पताल भेजा जाता है। 

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