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Omkareshwar: आदिवासी समाज का गुस्सा फूटा, देवी अहिल्याबाई अभयारण्य रद्द करने की मांग लेकर निकाली रैली

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ओंकारेश्वर Published by: खंडवा ब्यूरो Updated Fri, 19 Sep 2025 08:33 PM IST
सार

खरगोन के बड़वाह में प्रस्तावित देवी अहिल्याबाई होल्कर वन्यजीव अभयारण्य के खिलाफ हजारों आदिवासी जयस के नेतृत्व में रैली निकालकर सड़कों पर उतरे। आदिवासियों ने वन अधिकार कानून की अनदेखी और विस्थापन का आरोप लगाते हुए परियोजना निरस्त करने की मांग की। चेतावनी दी कि निर्णय वापस न हुआ तो आंदोलन उग्र होगा।

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Omkareshwar: Tribal community erupts in anger, rallies held demanding cancellation of Devi Ahilyabai Sanctuary
हजारों आदिवासी सड़कों पर उतरे और प्रस्तावित अभयारण्य का विरोध किया। - फोटो : अमर उजाला
प्रस्तावित देवी अहिल्याबाई होल्कर वन्यजीव अभयारण्य के खिलाफ आदिवासी समाज का गुस्सा गुरुवार को सड़कों पर फूट पड़ा। खरगोन जिले के बड़वाह नगर में जयस (आदिवासी युवा शक्ति संगठन) के नेतृत्व में हजारों की संख्या में आदिवासी एकजुट होकर रैली में शामिल हुए। आंदोलनकारियों ने सरकार पर वन अधिकार कानून की अनदेखी और कंपनियों के हित में निर्णय लेने का आरोप लगाते हुए अभयारण्य परियोजना को तत्काल निरस्त करने की मांग की।


खरगोन, खंडवा, देवास, इंदौर सहित कई जिलों से आए आदिवासी समाज के लोग बड़वाह पहुंचे। कृषि उपज मंडी से निकाली गई रैली नगर की प्रमुख सड़कों से होती हुई एसडीएम कार्यालय पहुंची, जहां राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया। रैली में शामिल आदिवासियों के हाथों में तख्तियां और बैनर थे, जिन पर लिखा था- जो जमीन सरकारी है, वो जमीन हमारी है और जंगल हमारी मां है, इसे कोई नहीं छीन सकता।

 
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आदिवासियों ने जन आक्रोश रैली निकाली - फोटो : अमर उजाला
वन अधिकार कानून की अनदेखी
रैली को संबोधित करते हुए आदिवासी दलित संगठन की नेत्री माधुरीबेन ने कहा कि अभयारण्य की घोषणा से पहले ग्राम सभाओं से अनुमति लेना अनिवार्य था। लेकिन सरकार ने एकतरफा फैसला कर आदिवासी समाज के अधिकारों को कुचलने का काम किया है। असल में सरकार आदिवासियों से जंगल छीनकर कंपनियों को व्यापार और खनन के लिए देना चाहती है। अगर यह प्रस्ताव वापस नहीं हुआ, तो आंदोलन लंबा चलेगा।

16 साल से रुका पट्टा वितरण
नेताओं का कहना था कि पिछले 16 साल से आदिवासी परिवारों को वन भूमि के पट्टे नहीं दिए गए, उल्टा अब उन्हें उजाड़ने की तैयारी चल रही है। अनुमान है कि इस परियोजना के कारण करीब 500 से अधिक परिवारों को विस्थापन का सामना करना पड़ेगा।

 
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Omkareshwar: Tribal community erupts in anger, rallies held demanding cancellation of Devi Ahilyabai Sanctuary
रैली में बड़ी संख्या में महिला-पुरुष शामिल हुए। - फोटो : अमर उजाला
6610 हेक्टेयर क्षेत्र पर संकट
ज्ञापन में बताया गया कि प्रस्तावित अभयारण्य का पहला चरण तिल्लौर से बड़वाह तक लगभग 6610 हेक्टेयर क्षेत्र में तैयार किया जा रहा है। यह इलाका आदिवासी संस्कृति, जीवनशैली और आजीविका से जुड़ा हुआ है। यहां की झीलें, झरने, नदी, तालाब और वन उपज से हजारों परिवार पीढ़ियों से अपना जीवन यापन करते आए हैं। रैली में शामिल नेताओं का कहना था कि जंगल हमारी पहचान और भगवान हैं। हम इन्हें नष्ट नहीं कर सकते। लेकिन जहां-जहां अभयारण्य बनी है, वहां आदिवासी परिवार उजड़े हैं और जंगल भी नष्ट हुए हैं। 

टूरिज्म और कंपनियों को फायदा?
जयस नेताओं ने आरोप लगाया कि सेंक्चुरी के नाम पर क्षेत्र में टूरिज्म डेवलपमेंट किया जाएगा। यहां बड़े-बड़े होटल और रिसॉर्ट बनेंगे, जिससे विदेशी और देशी कंपनियां फायदा उठाएंगी, लेकिन आदिवासी जीवन संकट में आ जाएगा।

 
Omkareshwar: Tribal community erupts in anger, rallies held demanding cancellation of Devi Ahilyabai Sanctuary
आदिवासियों ने ज्ञापन सौंपकर आंदोलन की चेतावनी भी दी। - फोटो : अमर उजाला
चेतावनी: आंदोलन होगा उग्र
रैली के अंत में जयस नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने परियोजना को निरस्त नहीं किया तो आदिवासी समाज पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में सड़कों पर उतरकर चक्का जाम करेगा। अब युवा अपने हक के लिए सड़कों पर उतर चुका है, सरकार को समझना होगा कि यह केवल कोई साधारण विरोध नहीं है, बल्कि अपनी जमीन, जंगल और जीवन को बचाने की लड़ाई है।
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