मध्य प्रदेश का सिंगरौली जिला अब "काले पानी से काले हीरे" तक का सफर तय कर प्रदेश की आर्थिक राजधानी बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह जिला इंदौर के बाद प्रदेश सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाला जिला बन गया है। अपार खनिज संपदाओं और लगातार बढ़ते उद्योगों के कारण सिंगरौली देश के विकास मानचित्र पर एक प्रमुख ऊर्जा केंद्र के रूप में उभर रहा है।
MP Special: काले पानी से काले हीरे तक सफर तय कर ऊर्जा राजधानी बना सिंगरौली, अर्थव्यवस्था को दे रहा नई रफ्तार
प्रदेश का सिंगरौली जिला आज देश की ऊर्जा राजधानी बन चुका है। कोयले की खदानों से लेकर देश के सबसे बड़े थर्मल पावर प्लांट तक, सिंगरौली अब भारत को रोशन करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
देश का सबसे बड़ा थर्मल पावर प्लांट सिंगरौली में
भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में ऊर्जा की अहम भूमिका है और इस ऊर्जा उत्पादन में सिंगरौली की भूमिका सबसे बड़ी है। यहां स्थित विंध्याचल थर्मल पावर स्टेशन देश का सबसे बड़ा थर्मल पावर प्लांट है, जिसकी स्थापित क्षमता 4,760 मेगावाट है। यह पावर स्टेशन एनटीपीसी द्वारा संचालित है और 1987 में इसकी स्थापना की गई थी। यह संयंत्र न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
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स्थानीय लोगों की कुर्बानियों से बना विकास का रास्ता
विकास की इस चमक के पीछे स्थानीय लोगों की कुर्बानियां भी छिपी हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अंजनी पांडेय बताते हैं कि 1962 की बरसात के दौरान जब रेनूकुट की पहाड़ियों में पानी भर गया, तो चारों ओर तबाही का मंजर था। 1965 में झींगुरदह कोयला खदान खुलने के बाद एक-एक कर खदानें और पावर प्लांट बनते गए, जिससे हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा। अब मोरबा क्षेत्र में भी कोयला खनन शुरू होने जा रहा है।
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वित्तीय वर्ष 2024-25 में सिंगरौली जिले ने मध्य प्रदेश सरकार को 4,080 करोड़ रुपये का राजस्व दिया, जिससे यह प्रदेश के शीर्ष राजस्व देने वाले जिलों में शामिल हो गया। यह राजस्व मुख्यतः खनन और ताप विद्युत उद्योगों से प्राप्त होता है।

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