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8 बातें: रूस क्यों बना रहा सुखोई लड़ाकू विमानों से दूरी?
टीम डिजिटल/अमर उजाला, दिल्ली
Updated Sat, 05 Mar 2016 04:29 PM IST
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रूस के सुखोई विमान
- फोटो : Reuters
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दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक रूस अपनी एयर फोर्स के कार्यक्रम में आई तकनीकी और आर्थिक दिक्कतों के कारण अपने एक बहुत ही चर्चित हवाई सैन्य अभियान को वापस लेने जा रहा है। रूस अब अपने हवाई बेड़े में शामिल होने वाले सुखोई टी-50 लड़ाकू विमान को लेने में जल्दी नहीं करेगा। रूस राडार की पकड़ में न आने वाला स्टील्थ विमान बनाने में लगा हुआ था। पर उसने कुछ खामियों के बाद और अमेरिका से सीखते हुए फैसला किया है कि इन विमानों को देर से अपने बेड़े में शामिल किया जाएगा। इन गलतियों से अमेरिका ने पहले ही सीख ले चुका है। वहीं आने वाले दिनों में चीन भी अपनी गलतियों में सुधार कर सकता है। टीम डिजिटल/अमर उजाला, दिल्ली।
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रूस के सुखोई विमान
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पर रूस के साथ अच्छी बात यह है कि उसने इसके लिए एक बैकअप प्लान बना लिया है। रूस अपने हवाई बेड़े को और ज्यादा मजबूत बनाने के लिए पुराने जहाज के अपग्रेड वर्जन को खरीद रहा है। आपको बताते चले कि सुखोई टी-50 लड़ाकू विमान की खासियत है कि वो रडार से बच निकलता है। पर इस विमानों को विकसित की करने की जो लागत है वो बहुत ज्यादा है। अभी रूस जो पुराने विमान खरीद रहा है उसकी लागत नए सुखोई टी-50 लड़ाकू विमान की तुलना में दो-तीन गुना कम है।
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रूस के सुखोई विमान
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दुनिया भर में सभी देश सुखोई टी-50 लड़ाकू विमान को अपने हवाई बेड़े में शामिल करना चाहते हैं। इन विमानों की खासियत यह भी है कि वो हवा में अच्छी लड़ाई लड़ सकते हैं। साथ ही तेजी से भागते हुए बम बरसा सकते हैं। ये इतनी तेजी से काम करते हैं कि जहां बम बरसाए जा रहे होते हैं, वहां ये रडार की पकड़ में ही नहीं आते हैं।
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रूस के सुखोई विमान
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रूस से पहले अमेरिका अपने हवाई सैन्य बेड़े में रडार से बचने वाले F-117 लड़ाकू विमान को वर्ष 1983 में शामिल कर चुका है। B-2 स्टील्थ बमवर्षक विमान को उसने अपने बेड़े में वर्ष 1997 में और F-22 स्टील्थ लड़ाकू विमान को वर्ष 2005 में शामिल किया गया था। अभी हाल में ही अमेरिका ने F-35 स्टील्थ विमान को जुलाई, 2015 में मरीन कॉर्प्स में शामिल किया और अब F-35s को वर्ष 2016 तक अमेरिका अपने ऑपरेशन में शामिल कर लेगा।
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अमेरिका भी समय-समय पर अपने पुराने विमानों को अपने हवाई बेड़े से हटाता रहता है। F-117 को अमेरिका अपने हवाई बेड़े से रिटायर्ड कर चुका है। पर अभी भी पेंटागन ऐसे कई विमानों का प्रयोग कर रहा है। जब सेवियत संघ का विघटन हुआ तो तब रूस को अर्थव्यवस्था के हिसाब से अपने सैन्य बेड़े का विस्तार करना था। पर उसकी अर्थव्यवस्था उस बात की उसको इजाजत नहीं देती थी। इसलिए रूस वर्ष 2002 तक भी सुखोई टी-50 लड़ाकू विमान पर काम नहीं शुरू कर पाया था। रूस में इस विमान ने पहली बार वर्ष जनवरी 2010 में उड़ान भरी। पर रूस के लिए यह शर्मनाक था कि उससे एक साल पहले ही चीन के J-20 प्रोटोटाइप पहले स्टील्थ विमान हवा में उड़ान भर चुके थे। पर रूस, चीन और अमेरिका के इस विमानों की एक खासियत यही थी कि अपने एंगुलर आकार केजरिए यह रडार को धोखा दे देते थे।
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