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Rajasthan: 88 साल के 'पानी बाबा' की जल तपस्या, 29 साल से बुझा रहे राहगीरों की प्यास; जानें यह मार्मिक कहानी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भीलवाड़ा Published by: हिमांशु प्रियदर्शी Updated Wed, 30 Apr 2025 09:23 PM IST
सार

Paani Baba Mangilal Gurjar: पानी बाबा मांगीलाल अपने सिर पर पानी का मटका, हाथ में लोटा लेकर जहां भी कोई धार्मिक, सामाजिक या सार्वजनिक कार्यक्रम होता है, वहां पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा कि 29 साल पहले शुरू किया यह काम जब तक जीवित हूं, करता रहूंगा।

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Bhilwara News: 88-year-old Paani Baba Mangilal Gurjar's Jal Tapasya quenching thirst of passersby for 29 years
पानी बाबा मांगीलाल गुर्जर - फोटो : अमर उजाला

दुनिया में जहां आज अधिकांश लोग अपनी जरूरतों और सुख-सुविधाओं के पीछे भाग रहे हैं, वहीं भीलवाड़ा जिले के एक छोटे से गांव गुंदली के 88 वर्षीय बुजुर्ग मांगीलाल गुर्जर बिना किसी लालच और स्वार्थ के 29 साल से राहगीरों की प्यास बुझाने में लगे हैं। भीलवाड़ा के आसपास के क्षेत्रों में लोग इन्हें ‘पानी बाबा’ के नाम से जानते हैं। इनका जीवन जल सेवा को समर्पित है। बिना किसी संस्था या सरकारी मदद के मांगीलाल ने अकेले अपने बूते जल सेवा को धर्म बना लिया है।


 

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पानी बाबा मांगीलाल गुर्जर - फोटो : अमर उजाला

पानी से सेवा की शुरुआत, खुद के हाथों से खोदा कुआं
जानकारी के मुताबिक, यह कहानी शुरू होती है आज से करीब तीन दशक पहले, जब मांगीलाल गुर्जर ने भीलवाड़ा से अमरगढ़ और बागोर जाने वाली मुख्य सड़क से तीन किलोमीटर भीतर अपने गांव जाने वाले कच्चे रास्ते पर राहगीरों की प्यास देखकर एक संकल्प लिया। उस रास्ते में न कोई पेड़ था, न छांव और न ही पीने के पानी की कोई व्यवस्था। लोग बैलगाड़ी और पैदल यात्रा करते थे, लेकिन कई बार तेज धूप में प्यासे रह जाते। इस तकलीफ को मांगीलाल ने अपना दायित्व बना लिया।

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उन्होंने पहले 20 वर्षों तक खुद के हाथों से एक कुआं खोदा, जिसकी गहराई लगभग 25 फीट थी। उस कुएं से पानी निकालकर राहगीरों को पिलाना उनकी दिनचर्या बन गई। उस समय कोई यह कल्पना भी नहीं कर सकता था कि यह बुजुर्ग इतने लंबे समय तक जल सेवा का व्रत निभाएगा।
 

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पानी बाबा मांगीलाल गुर्जर - फोटो : अमर उजाला

विकास हुआ, पर राहगीर रुके न जल सेवा
समय बदला और गांव में सड़क बन गई, लोग मोटरसाइकिल और चार पहिया वाहनों से चलने लगे। चौराहे पर रुकने वाले राहगीरों की संख्या घट गई। लेकिन मांगीलाल की सेवा भावना में कोई कमी नहीं आई। उन्होंने वहां बैठना बंद नहीं किया, बल्कि सेवा को विस्तार देना शुरू किया। अब वह सिर्फ अपने गांव या चौराहे तक सीमित नहीं रहे, बल्कि राजसमंद, चित्तौड़गढ़, अजमेर, बांसवाड़ा, कोटा जैसे जिलों तक जाकर पानी पिलाने लगे।

मटका और लोटा लेकर निकल पड़ते हैं गांव-गांव
मांगीलाल अपने सिर पर पानी का मटका, हाथ में लोटा लेकर जहां भी कोई धार्मिक, सामाजिक या सार्वजनिक कार्यक्रम होता है, वहां पहुंच जाते हैं। उनके अनुसार, मैंने यह काम 29 साल पहले शुरू किया था और जब तक जीवित हूं, करता रहूंगा। उन्होंने बताया कि पहले 20 साल तक मैं गुंदली चैराहे पर बैठकर राहगीरों को पानी पिलाता था। अब मैं मांडलगढ़, बंक्यारानी, आमेट, कुंवारिया, दरीबा माइंस जैसे इलाकों में घूम-घूम कर लोगों की सेवा करता हूं। खास बात यह है कि जहां भी यह ‘पानी बाबा’ जाते हैं, वहां के लोग उनके भोजन की व्यवस्था कर देते हैं।

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Bhilwara News: 88-year-old Paani Baba Mangilal Gurjar's Jal Tapasya quenching thirst of passersby for 29 years
पानी बाबा मांगीलाल गुर्जर - फोटो : अमर उजाला

सेन समाज के कार्यक्रमों में विशेष उपस्थिति
हालांकि मांगीलाल सभी समाजों के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और सेवा करते हैं। लेकिन सेन समाज के आयोजनों में उनकी विशेष उपस्थिति देखी जाती है। सेन समाज के लोग उन्हें विशेष आमंत्रण भेजते हैं और कार्यक्रमों में पानी पिलाने की सेवा उनके जिम्मे छोड़ देते हैं। मांगीलाल गुर्जर का जीवन अत्यंत सादा है। वे अविवाहित हैं और उन्होंने अपने जीवन के अधिकांश वर्ष लोगों की सेवा में ही बिता दिए। उनका कहना है कि मेरे पास पुश्तैनी जमीन है, लेकिन उसकी मुझे कभी जरूरत नहीं पड़ी। उसकी उपज मेरे चाचा के बेटे लेते हैं। मुझे केवल सेवा से सुख मिलता है। उनकी सेवा भावना को देखकर लोगों में उनके प्रति आदर और श्रद्धा का भाव है। कई जगहों पर उन्हें विशेष अतिथि के रूप में भी बुलाया जाता है। हालांकि उन्होंने कभी इस सेवा को दिखावे या प्रचार का माध्यम नहीं बनाया।

विश्व जल दिवस पर बने प्रेरणा के स्रोत
हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। इस दिन जल संरक्षण, जल स्रोतों की सुरक्षा और जल की महत्ता पर चर्चा होती है। लेकिन मांगीलाल गुर्जर जैसे ‘पानी बाबा’ इन सब बातों से कहीं आगे हैं। उन्होंने व्यवस्था नहीं देखी, संसाधन नहीं मांगे, बल्कि जहां जरूरत दिखी, वहां खुद समाधान बन गए। आज जब पानी के लिए लोग सरकार से उम्मीद करते हैं, योजनाओं पर निर्भर होते हैं, उस समय एक अकेला बुजुर्ग बिना किसी सुविधा के लोगों की प्यास बुझा रहा है। यही कारण है कि पानी बाबा की कहानी हर वर्ष जल दिवस पर चर्चा का विषय बन जाती है।

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