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Ashwin Pradosh Vrat 2025: 18 या 19 सितंबर कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत ? यहां जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: मेघा कुमारी Updated Thu, 11 Sep 2025 01:31 PM IST
सार

Ashwin Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत भगवान शिव की असीम कृपा पाने का शानदार अवसर है। यह व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना और उपवास रखने से साधक को मानसिक शांति, उत्तम स्वास्थ्य और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। 

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ashwin pradosh vrat 2025 date and tithi know kab hai septemer last pradosh vrat
Ashwin Pradosh Vrat 2025 - फोटो : अमर उजाला

Ashwin Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत भगवान शिव की असीम कृपा पाने का शानदार अवसर है। यह व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना और उपवास रखने से साधक को मानसिक शांति, उत्तम स्वास्थ्य और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इतना ही नहीं, यदि इस दिन श्रद्धाभाव से केवल शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाए, तो मनचाहा जीवनसाथी मिलने की कामना भी पूर्ण होती हैं। साथ ही प्रेम जीवन भी मधुरमय बनता है। शास्त्रों में प्रदोष व्रत को शिव और पार्वती की कृपा पाने के लिए भी उत्तम माना जाता है। इस तिथि पर किए गए पुण्य कार्य का फल साधक को अवश्य मिलता है। इसके प्रभाव से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आइए जानते हैं कि आश्विन मास में यह व्रत कब रखा जाएगा।

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Ashwin Pradosh Vrat 2025 - फोटो : freepik

कब है प्रदोष व्रत

  • इस बार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 सितंबर को देर रात 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी।
  • तिथि का सामपान 19 सितंबर को देर रात 11 बजकर 36 मिनट पर होगा।।
  • 19 सितंबर को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।
  • इस दिन शाम 06 बजकर 21 मिनट से लेकर 08 बजकर 43 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।
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Ashwin Pradosh Vrat 2025 - फोटो : adobe

पूजा विधि

  • प्रदोष व्रत की पूजा के लिए एक साफ चौकी पर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें।
  • फिर शिवलिंग पर जल, घी, दूध, शहद के साथ शक्कर मिलाएं और शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • उसके बाद अब भोलेनाथ को शमी का फूल और बेलपत्र चढ़ाएं।
  • फिर आप भोलेनाथ को चंदन लगाएं।
  • इसके बाद आप प्रभु के सामने घी का दीपक जलाएं।
  • माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें और उन्हें फूल माला अर्पित करें।
  • प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें और शिव मंत्रों का स्मरण करें।
  • अंत में आरती करें और जरूरतमंदों को अन्न या वस्त्रों का दान करें।
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Ashwin Pradosh Vrat 2025 - फोटो : adobe
शिव जी की आरती 

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।

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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

 

                
        
                
         
        

                
        
                
         
        
                
        
                
         
        

                
        
                
         
        
                
        
                
         
        

                
        
                
         
         
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