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साल में केवल आज के दिन खुलता है यह मंदिर, भक्तों का देखने को मिलता है जनसैलाब

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Tue, 08 Oct 2019 11:16 AM IST
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ravan temple in kanpur uttar pradesh
ravan - फोटो : ani

पूरा देश जहां आज रावण दहन कर खुशियां मनाएगा, वही कुछ लाेग एेसे भी हैं जाे रावण के सौ साल पुराने मंदिर में विशेष अराधना करते हैं। यह पूजा केवल दशहरे के दिन ही हाेती है। कानपुर के शिवाला में स्थित देश के एकलौते दशानन मंदिर में दशहरा के दिन सुबह से भक्त रावण की पूजा अर्चना करने के लिए आते है। आइए जानते है किस तरह होती है रावण की पूजा अर्चना।

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ravan temple in kanpur uttar pradesh
ravan - फोटो : ani

यह मंदिर साल में एक बार विजयादशमी के दिन ही खुलता है और लोग सुबह-सुबह यहां रावण की पूजा करते हैं। दशानन मंदिर में शक्ति के प्रतीक के रूप में रावण की पूजा होती है और श्रद्धालु तेल के दिए जलाकर मन्नतें मांगते हैं। परंपरा के अनुसार आज सुबह आठ बजे मंदिर के कपाट खोले गए और रावण की प्रतिमा का साज श्रृंगार किया गया। इसके बाद आरती हुई। आज शाम मंदिर के दरवाजे एक साल के लिये बंद कर दिए जाएंगे।

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ravan - फोटो : ani

इस मंदिर का निर्माण सौ साल पहले महाराज गुरू प्रसाद शुक्ल ने कराया था। रावण प्रकांड पंडित होने के साथ-साथ भगवान शिव का परम भक्त था। इसलिए शक्ति के प्रहरी के रूप में यहां कैलाश मंदिर परिसर में रावण का मंदिर बनाया गया। भगवान शिव काे प्रसन्न करने के लिए देवी आराधना भी करता था। मां की अाशीष भी उसपर थी। बताया जाता है कि उसकी पूजा से प्रसन्न हाेकर मां छिन्नमस्तिका ने उसे वरदान दिया था कि उनकी की गई पूजा तभी सफल हाेगी जब भक्त रावण की भी पूजा करेंगे।
 

ravan temple in kanpur uttar pradesh
कानपुर में रावण का अनोखा मंदिर

बताया जाता है कि करीब 206 साल पहले संवत 1868 में तत्कालीन राजा ने मां छिन्नमस्तिका का मंदिर बनवाया था अाैर रावण की करीब पांच फुट की मूर्ति उनके प्रहरी के रूप में बनवाई थी।विजयदशमी के दिन मां छिन्नमस्तिका की पूजा के बाद रावण की आरती हाेती है अाैर मंदिर सरसों के दीपक अाैर पीले फूल चढ़ाए जाते हैं।
 

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ravan - फोटो : ani

मान्यता है कि यहां रावण काे तेल अाैर पीले फूल चढ़ाने से भक्ताें के ग्रहाें के सारे दाेष समाप्त हाे जाते हैं अाैर घर में खुशिया अा जाती हैं।


 
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