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Sankashti Chaturthi 2023: आज रखा जाएगा संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानिए पूजा विधि और महत्व

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: आशिकी पटेल Updated Wed, 07 Jun 2023 12:39 AM IST
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Krishnapingal Sankashti Chaturthi 2023 Date Puja Vidhi Shubh Muhurat and mahatva
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कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी तिथि और मुहूर्त - फोटो : iStock
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Krishnapingal Sankashti Chaturthi 2023 Date: आज यानी 7 जून को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो चतुर्थी तिथि पड़ती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है। दोनों ही तिथियां भगवान गणेश को समर्पित हैं। इस दिन विघ्नहर्ता गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। आषाढ़ माह की शुरुआत हो चुकी है और इस माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।  इस दिन विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं। चलिए जानते हैं कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि और महत्व के बारे में... 

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कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी तिथि और मुहूर्त - फोटो : iStock
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी तिथि और मुहूर्त 
पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 06 जून मंगलवार को देर रात 12 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ हो रही है। यह तिथि अगले दिन 7 जून बुधवार को रात 09 बजकर 50 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत 7 जून बुधवार को रखा जाएगा।

 
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कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी तिथि और मुहूर्त - फोटो : iStock
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी चंद्रोदय समय 
इस साल कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रोदय का समय प्राप्त नहीं है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा रात 10 बजकर 50 मिनट पर उदय होगा। जबकि चतुर्थी तिथि 07 जून को रात 09 बजकर 50 मिनट पर ही समाप्त हो रही है। इसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी। इसलिए आपको चतुर्थी खत्म होने से पहले पूजा कर लेनी चाहिए। 

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कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी तिथि और मुहूर्त - फोटो : iStock
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
  • कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रातः काल उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कें। 
  • फिर भगवान गणेश को वस्त्र पहनाएं और मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • गणेश जी का तिलक करें  और पुष्प अर्पित करें। 
  • इसके बाद भगवान गणेश को 21 दूर्वा की गांठ अर्पित करें। 
  • गणेश जी को घी के मोतीचूर के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। 
  • पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें और पूजन में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे।

 
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कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी महत्व
आषाढ़ माह का कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का व्रत सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्ति के लिए अचूक माना गया है। जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसकी संतान संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। साथ ही धन और कर्ज संबंधी समस्याओं का भी समाधान होता है। 
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