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Panchbali Shraddh: बिना पंचबलि श्राद्ध के अधूरा रहता है पितृ कर्म, जानिए इसकी महत्ता

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: श्वेता सिंह Updated Tue, 09 Sep 2025 04:43 PM IST
सार

Mahabali Karm in Shradh Paksh: पितृ पक्ष में पंचबलि श्राद्ध का विशेष महत्व होता है क्योंकि बिना इसके पितृ कर्म पूरी तरह से सम्पन्न नहीं होते। ऐसा माना जाता है कि यदि पितृ नाराज हो जाएं तो पूरे परिवार को कई प्रकार की परेशानियों और कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।

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Panchbali Shraddh and Its Importance in Hindu Ancestor Worship
पंचबलि श्राद्ध कर्म - फोटो : अमर उजाला

Panchbali Shradh Karm:  भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होने वाला पितृ पक्ष एक महत्वपूर्ण धार्मिक काल होता है, जो सर्व पितृ अमावस्या के दिन समाप्त होता है। इस साल यह अवधि 7 सितंबर से 21 सितंबर तक चलेगी। इस दौरान हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे पवित्र कर्म किए जाते हैं। यह समय पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर होता है।

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पितृ पक्ष में पंचबलि श्राद्ध का विशेष महत्व होता है क्योंकि बिना इसके पितृ कर्म पूरी तरह से सम्पन्न नहीं होते। ऐसा माना जाता है कि यदि पितृ नाराज हो जाएं तो पूरे परिवार को कई प्रकार की परेशानियों और कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इस दौरान पूर्वजों की सेवा और याद में किए जाने वाले अनुष्ठान परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं।
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Panchbali Shraddh and Its Importance in Hindu Ancestor Worship
यह पांच हिस्सों में भोजन अर्पित करने की एक पवित्र परंपरा है। - फोटो : Amar Ujala

पञ्चबलि श्राद्ध क्या है
धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में हमारे पूर्वज धरती पर पशु-पक्षियों के रूप में आते हैं और परिवार द्वारा किए गए श्राद्ध में अर्पित भोजन को इन्हीं रूपों में स्वीकार करते हैं। जब श्राद्ध के भोजन की तैयारी होती है, तो उसमें से एक खास हिस्सा पितरों के लिए अलग रखा जाता है। इस भोजन को पांच भागों में बांटकर गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं को समर्पित किया जाता है। इस प्रक्रिया को पंचबलि कर्म या पंचबलि श्राद्ध कहा जाता है।

यहां “बलि” का अर्थ किसी जीव की बलि नहीं है, बल्कि यह पांच हिस्सों में भोजन अर्पित करने की एक पवित्र परंपरा है। इस पंचबलि के माध्यम से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे प्रसन्न होकर अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं। इसलिए यह कर्म पितृ पक्ष के अनिवार्य धार्मिक कृत्यों में शामिल है।

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Panchbali Shraddh and Its Importance in Hindu Ancestor Worship
श्राद्ध भोजन गाय, कुत्ते, कौवे, चींटी और देवताओं को अर्पित किया जाता है। - फोटो : Amar Ujala

पंचबलि कर्म कैसे किया जाता है?
पंचबलि कर्म करने की एक विशिष्ट विधि है, जिसे सही ढंग से पालन करना आवश्यक होता है। सबसे पहले हवन कुंड या उपले में अग्नि प्रज्वलित करें और श्राद्ध भोजन की तीन आहुति अग्नि में अर्पित करें। इसके बाद श्राद्ध भोजन से पांच हिस्से अलग करें, जिन्हें क्रमशः गाय, कुत्ते, कौवे, चींटी और देवताओं को अर्पित किया जाता है। इसके बाद ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को सम्मानपूर्वक भोजन कराना भी अनिवार्य होता है। यह पूरी प्रक्रिया पितरों को तृप्त करने और उनकी आत्मा को शांति देने के लिए की जाती है।

Panchbali Shraddh and Its Importance in Hindu Ancestor Worship
पंचबलि श्राद्ध के माध्यम से इन्हें जल और भोजन अर्पित कर, पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। - फोटो : freepik

पंचबलि के पंच तत्व और उनका महत्व
पंचबलि के पाँच हिस्सों का प्रत्येक तत्व अलग-अलग पंच तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें कुत्ता जल तत्व का प्रतीक है, चींटी अग्नि तत्व की पहचान है, कौवा वायु का प्रतिनिधि है, गाय पृथ्वी का स्वरूप है, और देवता आकाश तत्व का प्रतीक माने जाते हैं। मानव शरीर भी इन पांच तत्वों से बना होता है और मृत्यु के बाद शरीर इन्हीं तत्वों में मिल जाता है। इसलिए पंचबलि श्राद्ध के माध्यम से इन्हें जल और भोजन अर्पित कर, पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।



डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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