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Ram Navami 2025: प्रभु श्रीराम के जीवन से सीखें ये खास बातें, जीवन में आएगा सकारात्मक बदलाव

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: ज्योति मेहरा Updated Sun, 06 Apr 2025 05:42 AM IST
सार

भगवान श्रीराम का जीवन मर्यादा के दायरे में रहकर कर्तव्यों का पालन करने की सीख देता है। उनके जीवन से हम कई चीजों की प्रेरणा ले सकते हैं, जो जीवन में हमें सही मार्ग प्रशस्त करते हैं।

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Ram Navami 2025 Learn these lesson from the life of Lord Rama in hindi
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राम नवमी 2025 - फोटो : freepik.com
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Ram Navami 2025: हर साल राम नवमी का पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी दिन विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम ने धरती पर अधर्म का नाश करने और धर्म की पुनः स्थापना के लिए अवतार लिया था। इस दिन को हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ माना जाता है। इस साल राम नवमी का पर्व 6 अप्रैल को है। इसी दिन चैत्र नवरात्रि का समापन होगा।

भगवान श्रीराम का जीवन मर्यादा के दायरे में रहकर कर्तव्यों का पालन करने की सीख देता है। उनके जीवन के दो महत्वपूर्ण पहलू वचनबद्धता और कर्तव्यनिष्ठा हैं। उनके जीवन से हम कई चीजों की प्रेरणा ले सकते हैं, जो जीवन में हमें सही मार्ग प्रशस्त करते हैं। आइए जानते हैं उनके जीवन से सीखने वाली बातें।

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राम नवमी - फोटो : adobe stock
संयम और धैर्य
भगवान श्रीराम ने कठिन से कठिन हालातों में भी आत्मसंयम, धैर्य और साहस से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। उन्होंने कभी भी क्रोध में आकर कोई निर्णय नहीं लिया, बल्कि हर चुनौती का सामना शांति और विवेक के साथ किया।

वचन के प्रति अटल
श्रीराम अपने वचनों के प्रति अत्यंत निष्ठावान थे। उन्होंने जीवन भर अपने वचनों और दायित्वों का पूरी निष्ठा से पालन किया।
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राम नवमी - फोटो : adobe stock
सात्विक जीवन शैली
वनवास के दौरान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता माता ने सिर्फ कंद-मूल और फल खाकर जीवन बिताया। उन्होंने कभी भी मांसाहार या तामसिक भोजन को नहीं अपनाया। शबरी के प्रेमपूर्वक दिए बेर भी उन्होंने आदरपूर्वक ग्रहण किए।

तपस्वी जैसा जीवन
राजसी वैभव छोड़कर वनवास के समय भगवान राम ने तपस्वियों का वेश धारण किया। उन्होंने सादगी से जीवन जिया जहां जो मिला उसी में संतुष्ट रहकर आगे बढ़ते गए।
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राम नवमी - फोटो : freepik.com
योजनाबद्ध जीवन 
श्रीराम हर कार्य सोच-समझकर और पूर्व नियोजन के साथ करते थे। माता सीता को वापस लाने के लिए उन्होंने समुद्र पार करने हेतु रामसेतु का निर्माण कराया, जो उनके रणनीतिक कौशल को दर्शाता है।

सहयोग की भावना
भगवान राम ने अपने वनवास काल में अनेक जनजातीय और वनवासी समुदायों के जीवन में सुधार लाने का प्रयास किया। शबरी, केवट और अहिल्या जैसे प्रसंग उनके करुणा और सेवा भाव को दर्शाते हैं।
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सबका सम्मान 
श्रीराम ने जीवनभर हर व्यक्ति और संबंध को मान-सम्मान दिया। उन्होंने अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाया, जिसके कारण उनके परिवारजन और अनुयायी उनसे अत्यधिक प्रेम करते थे।

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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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