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Internet: किसकी मुट्ठी में है इंटरनेट? समुद्र की गहराई से आपके फोन तक... जानिए कैसे पहुंचता है डेटा

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नीतीश कुमार Updated Tue, 30 Dec 2025 02:27 PM IST
सार

Who Owns Internet: इंटरनेट हमारी जिंदगी का इतना अहम हिस्सा बन चुका है कि इसके बिना एक दिन की कल्पना करना भी मुश्किल है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इंटरनेट की इस विशाल व्यवस्था को चलाता कौन है?

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इंटरनेट (सांकेतिक) - फोटो : Adobe Stock
क्या आपने कभी सोचा है कि पूरी दुनिया को जोड़ने वाले इंटरनेट का मालिक कौन है? यह किसी एक सरकार या कंपनी की बपौती नहीं है। समुद्र के नीचे बिछी हजारों मील लंबी केबल्स और टियर सिस्टम के जरिए डेटा आप तक पहुंचता है। आइए समझते हैं इसका पूरा गणित।


इंटरनेट पर किस देश का मालिकाना हक?
सबसे पहली और चौंकाने वाली बात यह है कि इंटरनेट का कोई एक मालिक नहीं है। न तो कोई देश और न ही कोई कंपनी यह दावा कर सकती है कि पूरा इंटरनेट उनका है। असल में, इंटरनेट हजारों छोटे-बड़े नेटवर्कों का एक वैश्विक समूह है, जो अपनी मर्जी से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसके अलग-अलग हिस्सों जैसे केबल्स, सर्वर्स और टावर्स पर अलग-अलग कंपनियों का हक है। सरल शब्दों में कहें तो यह एक ऐसी कोऑपरेटिव सोसाइटी की तरह है जहां सब मिलकर काम करते हैं ताकि डेटा बिना रुके एक जगह से दूसरी जगह पहुंच सके।
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समुद्र के अंदर इंटरनेट केबल (सांकेतिक) - फोटो : AI
समुद्र से आपके घर तक का सफर
इंटरनेट की पूरी व्यवस्था कई स्तर पर काम करने वाली कंपनियों पर टिकी है, जिसे तीन स्तरों में समझा जा सकता है। सबसे ऊपर टियर-1 प्रोवाइडर्स होते हैं। ये वो दिग्गज कंपनियां हैं, जो समुद्र के तलहटी तक जाकर महाद्वीपों के बीच फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाती हैं। इसके बाद आते हैं टियर-2 प्रोवाइडर्स, जैसे भारत में जियो, एयरटेल और वीआई। ये कंपनियां टियर 1 से बैंडविड्थ खरीदती हैं और उसे राष्ट्रीय स्तर पर फैलाती हैं। आखिर में आते हैं टियर-3 यानी आपके स्थानीय केबल ऑपरेटर या छोटे ब्रॉडबैंड प्रोवाइडर, जो सीधे आपके घर तक फाइबर केबल के जरिए इंटरनेट पहुंचाते हैं।
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ऑप्टिक केबल्स के बिना नामुमकिन है ये काम - फोटो : Adobe Stock
ऑप्टिक केबल्स के बिना नामुमकिन है ये काम
हमें लगता है कि इंटरनेट सैटेलाइट से चलता है, लेकिन सच तो यह है कि दुनिया का 99% डेटा ट्रैफिक समुद्र के नीचे बिछी पतली फाइबर ऑप्टिक केबल्स के जरिए सफर करता है। ये केबल्स अलग-अलग देशों के तटों पर बने लैंडिंग स्टेशन्स पर खत्म होती हैं। भारत की बात करें तो मुंबई, चेन्नई और कोच्चि ऐसे प्रमुख शहर हैं जहां से पूरी दुनिया का डेटा हमारे देश में प्रवेश करता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि अगर समुद्र के अंदर कोई एक केबल भी कट जाए, तो कई देशों का इंटरनेट संपर्क पूरी तरह से टूट सकता है।
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किसी एक देश के पास नहीं इंटरनेट का कंट्रोल - फोटो : AI
कौन बनाता है इंटरनेट के नियम?
जब डेटा इन केबल्स के जरिए ट्रांसफर होता है, तो उसे स्टोर करने और प्रोसेस करने के लिए विशाल डेटा सेंटर्स की जरूरत होती है। इन सेंटर्स में लगे सर्वर्स ही हमें वेबसाइट्स और वीडियो दिखाते हैं। अब सवाल उठता है कि अगर कोई मालिक नहीं है, तो नियम कौन बनाता है? यहां ICANN और IETF जैसे नॉन-प्रॉफिट संगठन काम करते हैं, जो सुनिश्चित करती हैं कि इंटरनेट दुनिया के कोने-कोने तक पहुंच सके। ये मालिक तो नहीं हैं, लेकिन ये इंटरनेट के उस ट्रैफिक पुलिस की तरह हैं जो व्यवस्था को सुचारू बनाए रखते हैं।
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