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UP Floods: बदायूं में गंगा किनारे के 11 गांवों में घुसा बाढ़ का पानी, 14 हजार से अधिक लोग फंसे; तस्वीरें

संवाद न्यूज एजेंसी, बदायूं Published by: मुकेश कुमार Updated Thu, 07 Aug 2025 01:26 PM IST
सार

Flood in Budaun: बदायूं जिले में गंगा का जलस्तर तीन दिनों से खतरे के निशान से ऊपर चल रहा है। बुधवार को यह खतरे के निशान से सात सेंटीमीटर ऊपर चला गया। नदी किनारे के गांवों में बाढ़ आ गई है। ग्रामीणों ने एहतियात के तौर पर ऊंचे स्थानों पर शरण लेना शुरू कर दिया है। जिला प्रशासन भी लगातार चौकियों के माध्यम से गांव और गंगा नदी पर नजर रखे हुए है।

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Flood water entered 11 villages on the banks of Ganga in Badaun
बदायूं के कई गांव बाढ़ से घिरे - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

गंगा में आई बाढ़ का पानी बदायूं जिले के 11 गांवों में घुस गया। इससे 14 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। इसमें दातागंज तहसील के सात और सहसवान के चार गांव हैं। इन गांवों में तीन से चार फीट तक पानी भर गया है। घरों में रखी खाद्य सामग्री और कपड़े भीग गए हैं। लोग छतों पर जरूरत की सामग्री जुटाकर रह रहे हैं। मवेशियों को नजदीक के ऊंचे स्थान पर पहुंचा दिया है। 

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जिले में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बुधवार को यह खतरे के निशान से सात सेंटीमीटर ऊपर चला गया। कछला में गंगा के खतरे का निशान 162.44 है। बुधवार को जलस्तर 162.51 मीटर पहुंच गया था। दातागंज के गांव कमलईयापुर, कदम नगला, दलपतनगला, रैपुरा, जसवंत नगला, प्रेमी नगला, जटा, ठकुरी नगला में दो से तीन फुट तक बाढ़ का पानी भर गया। इससे 10 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। प्रशासन की ओर से आवाजाही के लिए सभी गांवों में स्टीमर लगाया गया है। गांव के पंचायत घरों और विद्यालयों में शिविर बनाए गए हैं, लेकिन अधिकतर लोग गांव में ही हैं। वह छतों पर रह रहे हैं। 

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Flood water entered 11 villages on the banks of Ganga in Badaun
रैपुरा गांव में भरा बाढ़ का पानी - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

गृहस्थी का सामान भीगा 
रैपुरा के गणेश कुमार ने बताया कि घर के अंदर पानी भरने से गेहूं, भूसा, कपड़ा सहित गृहस्थी का सामान भीग गया है। परिवार के सभी लोग छत पर रात गुजार रहे हैं। जसवंत नगला के सुधाकर ने बताया कि पानी भर जाने के कारण मोटरसाइकिल, बिस्तर और गृहस्थी का सामान डूब गया है। परिवार के लोग छत पर गुजारा कर रहे हैं। विधायक राजीव कुमार सिंह ने उसहैत के जाटी और जटा गांव का निरीक्षण कर ग्रामीणों का हाल जाना और उन्हें राहत सामग्री देने की निर्देश एसडीएम को दिए। हालांकि अभी गांव के अंदर पानी नहीं पहुंच पाया है। इस वजह से ग्रामीण अभी रुके हुए हैं।

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गांव में बाढ़ का पानी - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

प्रधान बोले, दो दिन बाद पहुंची सहायता राशि
रैपुरा के प्रधान राकेश कश्यप ने बताया कि गांव में दो दिन से पानी भरा हुआ है। इस वजह से लोग कहीं आवाजाही नहीं कर पा रहे हैं। जानवरों को गांव के बाहर ऊंची जगहों पर बांध दिया गया है। वहीं पर भूसा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दो दिन बाद प्रशासन की ओर से बुधवार को स्टीमर लगाकर ग्रामीणों को खाद्य सामग्री का वितरण किया गया। गांव के बलवीर, राजवीर, श्रीकृष्ण, श्रीराम, गजराम, देव सिंह, सीताराम, राजेश, मुकेश ने बताया कि खेतों में हरी सब्जी की फसल की थी। वह पानी में डूब गई है। 

Flood water entered 11 villages on the banks of Ganga in Badaun
सहसवान में लोगों से वार्ता करते एसडीएम - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

सहसवान के चार गांवों में भर गया पानी
सहसवान तहसील क्षेत्र के खागी नगला, वीरसहाय नगला, भमरौलिया, तौफिया नगला गांव में गंगा का पानी तीन से चार फुट तक भर गया है। घरों के नीचे का हिस्सा और सड़क डूब गई है। लोगों ने अभी पानी और बढ़ने की आशंका जताई है। बुधवार को गंगा का पानी गांव तक पहुंच जाने से कुछ लोग सिर पर कपड़े और खाद्य सामग्री की गठरी बनाकर सुरक्षित स्थानों की ओर जाने लगे। चार गांवों में 4000 की आबादी प्रभावित है। वहीं, तौफिया नगला गांव में चंद्रपाल, ऋषिपाल, दाताराम, वीरेंद्र, ज्ञान चंद्र, राम सिंह, अतर सिंह के घर तक बाढ़ का पानी पहुंच गया, हालांकि अभी इन लोगों ने मकान खाली नहीं किया।

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बाढ़ में नाव बनी सहारा - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

गांव छोड़कर सुरक्षित जगह पर जाने की अपील
एसडीएम प्रेमपाल सिंह ने भमरौलिया, वीर सहाय नगला, खागी नगला, गिरधारी नगला और तौफिया नगला का भ्रमण किया। उन्होंने आने वाले दिनों में बाढ़ की संभावना को देखते हुए ग्रामीणों से गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की। एसडीएम ने बताया कि उन्होंने बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों के रहने के लिए सिठौलिया पुख्ता, कमनपुर बेला, जरीफपुर गढ़िया और औरंगाबाद टप्पा जामनी में आश्रय स्थल बनवाया है। बाढ़ के मद्देनजर क्षेत्र में तैनात कर्मचारियों को अलर्ट कर दिया है। वह क्षेत्र में कैंप कर हालात पर निगाह रखेंगे, ताकि ग्रामीणों को सहायता प्रदान की जा सके। 

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