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Muslim Countries: ना'पाक' कोशिशों के बावजूद इस्लामिक देशों से नहीं बिगड़े भारत के रिश्ते, जानें दो बड़े कारण

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Mon, 13 Jun 2022 12:20 PM IST
सार

पैगंबर मोहम्मद पर कथित विवादित टिप्पणी को लेकर विवाद अभी जारी है। कई इस्लामिक देशों के बयान के बाद यह अंतरराष्ट्रीय मामला बन गया। इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ बताया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने भी इसकी आशंका जाहिर की है।
 

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India's relations with Islamic countries have not deteriorated despite efforts from Pakistan know reasons
इस्लामिक देश और भारत - फोटो : अमर उजाला
पैगंबर मोहम्मद पर कथित विवादित टिप्पणी को लेकर विवाद अभी जारी है। कई इस्लामिक देशों के बयान के बाद यह अंतरराष्ट्रीय मामला बन गया। इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ बताया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने भी इसकी आशंका जाहिर की है।


एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने इस मामले के मद्देनजर पांच लाख से ज्यादा ट्वीट किए। पाकिस्तान चाहता था कि भारत के रिश्ते इस्लामिक और खासतौर पर अरब देशों से बिगड़ जाएं, जो नहीं हो पाया। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बावजूद इस्लामिक देशों से क्यों नहीं बिगड़े भारत का रिश्ता? 
 
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नुपुर शर्मा - फोटो : Social media
पहले जान लीजिए पूरा मामला
वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर 27 मई को टीवी बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर नुपुर की कथित टिप्पणी के बाद विवाद की शुरुआत हुई। वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा ने पांच जून को नुपुर शर्मा को पार्टी के सभी पदों से हटाते हुए प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया। नुपुर के खिलाफ अलग-अलग जगहों पर एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। 



 
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इस्लामिक देश और भारत - फोटो : अमर उजाला
15 इस्लामिक देशों ने जताई थी नाराजगी
नुपुर की कथित विवादित टिप्पणी को लेकर दुनिया के कई मुस्लिम देशों ने विरोध जताया। इस लिस्ट में करीब 15 देश शामिल हैं, जिनमें कतर, ईरान, इराक, कुवैत, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, ओमान, जॉर्डन, बहरीन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान शामिल हैं। हालांकि, सभी देशों को भारत की तरफ से जवाब भी दिया जा चुका है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि देश में सभी धर्मों का सम्मान होता है। यहां हर धर्म के लोग रहते हैं और उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता मिली हुई है। आगे जानिए तीन बातें, जिनसे दिखी इस्लामिक देशों और भारत के रिश्तों की मजबूती...
 
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ईरान के विदेश मंत्री के साथ भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर - फोटो : अमर उजाला
केस-1 : पिछले हफ्ते ईरान के विदेश मंत्री अब्दुलाहयन तीन दिन के दौरे पर भारत आए। उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल से द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों नेताओं ने नागरिक और व्यावसायिक मामलों में परस्पर सहयोग के संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

 ईरान के विदेश मंत्री के भारत दौरे के तुरंत बाद शनिवार को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) में वोटिंग हुई। इसमें ईरान की निंदा का प्रस्ताव लाया गया, जिसे अमेरिका, यूके, फ्रांस और जर्मनी की ओर से ड्राफ्ट किया गया था। इसके समर्थन में 30 वोट पड़े। इसमें एक तरह से भारत ने ईरान का साथ दिया। दरअसल, वोटिंग के दौरान भारत गैरहाजिर रहा। पाकिस्तान और लीबिया ने भी भारत की तरह इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। 
 
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उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू ने कतर के प्रधानमंत्री से मुलाकात की। - फोटो : अमर उजाला
केस-2 : दो दिन पहले ही उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू भी कतर की यात्रा करके भारत लौटे। दोनों देशों के बीच कई मुद्दों को लेकर समझौता भी हुआ। 

 
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