Punjab: निलंबित डीआईजी भुल्लर केस में सीबीआई बनाम विजिलेंस, अधिकार क्षेत्र पर खिंची कानूनी लड़ाई
डीआईजी भुल्लर को सीबीआई ने 16 अक्तूबर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 29 अक्तूबर को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने उन पर आय से अधिक संपत्ति का एक अलग मामला दर्ज कर दिया।
विस्तार
पंजाब पुलिस (रोपड़ रेंज) के निलंबित डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर से जुड़े भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के हाई-प्रोफाइल मामले में अब सबकी नजर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट पर है। भुल्लर ने सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए दलील दी है कि जांच एजेंसी राज्य की सहमति के बिना पंजाब में दर्ज अपराधों की जांच नहीं कर सकती। इस याचिका पर हाईकोर्ट जल्द फैसला सुना सकता है जो आगे की पूरी जांच दिशा तय करेगा।
डीआईजी भुल्लर को सीबीआई ने 16 अक्तूबर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 29 अक्तूबर को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने उन पर आय से अधिक संपत्ति का एक अलग मामला दर्ज कर दिया। दो एजेंसियों की समानांतर जांच ने अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद पैदा कर दिया। मोहाली अदालत ने विजिलेंस की हिरासत याचिका खारिज कर दी जिससे सीबीआई की जांच जारी रहने का रास्ता खुला। सीबीआई ने गिरफ्तारी के बाद भुल्लर के ठिकानों पर छापा मार कर 7.5 करोड़ रुपये नकद, 2.5 किलोग्राम सोना, दर्जनों लग्जरी घड़ियां, 50 से अधिक अचल संपत्तियों के कागजात, लग्जरी कारें और अन्य सामान बरामद होने का दावा किया है। इसके बाद भुल्लर को निलंबित कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
भुल्लर की दलील बनाम सीबीआई का पक्ष
भुल्लर का तर्क
- पंजाब ने 2020 में सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली थी।
- किसी विशेष मामले के लिए सहमति नहीं दी गई।
- आरोप पूरी तरह पंजाब में हुए कथित अपराधों से जुड़े हैं, इसलिए सीबीआई की एफआईआर अमान्य है।
सीबीआई का पक्ष
- एक व्हाट्सएप कॉल चंडीगढ़ सेक्टर-9डी में इंटरसेप्ट हुई थी जिससे केंद्र शासित प्रदेश में अपराध का तत्व सामने आया।
- डीएसपीई अधिनियम के तहत क्षेत्रीय अधिकार अपने आप लागू हो जाता है।
- शिकायत फतेहगढ़ साहिब के कबाड़ी से मिली थी कि भुल्लर व बिचौलिए कृष्णु शारदा ने सेवा-पानी के नाम पर मासिक रकम और एक केस बंद कराने के लिए 8 लाख रुपये रिश्वत मांगी थी।
सबकी निगाह हाईकोर्ट पर
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति यशवीर सिंह राठौर की खंडपीठ कर रही है। अदालत ने केंद्र सरकार से उन आधिकारिक आदेशों की कॉपी मांगी है, जिनके आधार पर डीएसपीई अधिनियम के तहत सीबीआई को राज्यों में कार्रवाई का अधिकार मिलता है। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, हाईकोर्ट का आगामी फैसला यह तय करेगा कि क्या सीबीआई पंजाब सरकार की सहमति के बिना इस मामले को आगे बढ़ा सकती है या नहीं। यही वजह है कि पूरा पंजाब अब इस महत्वपूर्ण निर्णय का इंतजार कर रहा है।