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घोर लापरवाही: सरकारी अस्पताल में बदले शव, एक परिवार ने कर दिया दूसरे बुजुर्ग का अंतिम संस्कार; सच जान उड़े होश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अलवर
Published by: हिमांशु प्रियदर्शी
Updated Tue, 09 Dec 2025 07:11 PM IST
सार
Alwar News: अलवर जिला अस्पताल में दो बुजुर्गों के शवों की अदला–बदली से एक परिवार ने गलत शव का अंतिम संस्कार कर दिया। दो दिन बाद खुलासे से परिजन स्तब्ध रह गए। पुलिस और अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगे हैं।
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अलवर जिला अस्पताल में शवों के बदले जाने से परिजनों में कोहराम, लगाया लापरवाही का आरोप
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
अलवर जिला अस्पताल में मंगलवार को लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है, जिसने अस्पताल प्रशासन और व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। दो अलग-अलग थाना क्षेत्रों से लाए गए बुजुर्गों के शवों की मोर्चरी में अदला–बदली हो गई, जिसके चलते परिजनों को गलत शव सौंप दिया गया और उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया।
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दो थाना क्षेत्रों से आए शव, पहचान में हुई चूक
घटना की शुरुआत उद्योग नगर थाना क्षेत्र से हुई, जहां एक झोपड़ी से एक बुजुर्ग का शव मिलने पर उसे जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया। इसी दौरान जीआरपी थाना क्षेत्र में ट्रेन के अंदर एक अन्य बुजुर्ग का शव मिला, जिसे भी मोर्चरी लाया गया। दोनों शव एक साथ मोर्चरी में रखे जाने के दौरान पहचान की प्रक्रिया में चूक हो गई।
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पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा गया गलत शव
राजगढ़ थाना क्षेत्र से आए परिजन जिला अस्पताल पहुंचे और उपलब्ध शव को अपने परिजन का समझ बैठे। पुलिस ने उसी शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया, जिसके बाद परिवार ने पूरे रीति-रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया।
दो दिन बाद हुआ खुलासा, परिजन रह गए स्तब्ध
मामले का खुलासा तब हुआ जब दो दिन बाद जीआरपी थाना पुलिस ने संबंधित परिजनों को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल आने की सूचना दी। यह सुनकर परिजन हैरान रह गए और उन्हें पता चला कि जिस शव का उन्होंने अंतिम संस्कार किया, वह उनके परिजन का नहीं था। सूचना मिलते ही परिजन हरिद्वार में चल रही अंतिम यात्रा की तैयारी छोड़कर अलवर जिला अस्पताल पहुंचे।
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पुलिस अधिकारियों की प्रतिक्रिया
उद्योग नगर थाना प्रभारी भूपेंद्र सिंह ने बताया कि मृतक लगभग 50 से 52 वर्षों से घर से बाहर रहकर काम करता था, जिससे परिजन स्पष्ट पहचान नहीं कर सके। वहीं जीआरपी थाना प्रभारी अंजू महिंद्रा ने कहा कि नियमानुसार 72 घंटे बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया अपनाई जाती है और परिजनों को इसकी सूचना दी गई थी।
परिजनों का आरोप और वर्तमान स्थिति
परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि शव की सही पहचान किए बिना उसे सौंपा जाना गंभीर चूक है। उन्होंने यह भी बताया कि गलत शव के अंतिम संस्कार में गरीब परिवार का पैसा खर्च हो गया, जिसकी भरपाई को लेकर चिंता बनी हुई है। फिलहाल परिजन अपने वास्तविक परिजन का शव लेने की प्रक्रिया में जुटे हैं और पुलिस नए सिरे से पोस्टमार्टम की कार्रवाई कर रही है।
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