Banswara Crime: बांसवाड़ा में किशोरी से दुष्कर्म, पॉक्सो कोर्ट ने नाबालिग आरोपी को 20 वर्ष की सजा सुनाई
Banswara Crime: विशिष्ट लोक अभियोजक हेमेन्द्रनाथ पुरोहित ने कहा कि पोक्सो कोर्ट ने इस मामले में नाबालिग आरोपी को 20 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला नाबालिगों के खिलाफ अपराधों के प्रति कठोर रुख को दर्शाता है।
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बांसवाड़ा जिले में एक नाबालिग किशोरी से दुष्कर्म के मामले में विशेष पॉक्सो कोर्ट ने कठोर फैसला सुनाते हुए नाबालिग आरोपी को 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी है। यह सजा विशेष न्यायालय (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) की न्यायाधीश तारा अग्रवाल ने सुनाई। इसके साथ ही आरोपी पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इस घटना ने समाज में नाबालिगों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
लॉकडाउन के दौरान हुई थी दर्दनाक घटना
जानकारी के मुताबिक, यह मामला 14 जुलाई 2020 का है। जब पीड़िता ने अपनी आपबीती पुलिस को बताई। पीड़िता ने बताया कि उसके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है और उसका कोई भाई-बहन नहीं है। उसका पालन-पोषण कोटा में रहने वाले चाचा-चाची करते थे, जो रेलवे स्टेशन के पास मजदूरी करते थे। वह अपने तीन चचेरे भाई-बहनों की देखभाल करती थी। कोरोना काल में अप्रैल 2020 में लॉकडाउन के दौरान उसकी ममेरी भाभी ने उसे गांव चलने के लिए कहा। उनके साथ दो अन्य लोग भी थे, जिन्हें रिश्तेदार बताया गया। कोटा से बांसवाड़ा के बोकड़ाबोर गांव लाए जाने के बाद, ममेरी भाभी ने उसे एक नाबालिग लड़के की पत्नी बनकर रहने के लिए मजबूर किया। पीड़िता के मना करने के बावजूद, उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया गया। आखिरकार 12 जुलाई को मौका पाकर वह बोकड़ाबोर गांव से भाग निकली।
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वनकर्मी की मदद से पहुंची पुलिस तक
बोकड़ाबोर गांव से भागने के बाद पीड़िता जंगल के रास्ते जा रही थी, तभी उसे वनकर्मी गांगजी मिला। पीड़िता ने अपनी ममेरी भाभी के घर जाने की इच्छा जताई। शाम होने के कारण गांगजी उसे अपने घर ले गया, जहां उसने उसे खाना खिलाया और रात रुकने दिया। अगले दिन 13 जुलाई को गांगजी उसे दानपुर थाने ले जा रहा था। रास्ते में एक हेड कांस्टेबल से मुलाकात हुई, जिसने चाइल्ड हेल्पलाइन से संपर्क किया। इसके बाद पीड़िता को बांसवाड़ा के राजकीय कन्या छात्रावास ले जाया गया। वहां पीड़िता ने अपनी आपबीती पुलिस को बताई, जिसके आधार पर दानपुर थाना पुलिस ने अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया।
पुलिस जांच और कोर्ट में प्रक्रिया
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर नाबालिग आरोपी को हिरासत में लिया और उसके खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड में आरोप पत्र दाखिल किया। मामले में संज्ञान लेने के बाद मामला पॉक्सो कोर्ट में स्थानांतरित किया गया।
विशिष्ट लोक अभियोजक हेमेन्द्रनाथ पुरोहित ने बताया कि सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं। अभियोजन पक्ष ने मजबूत सबूत और गवाह पेश किए, जिसके आधार पर कोर्ट ने नाबालिग आरोपी को दोषी ठहराया। इस मामले में पीड़िता की हिम्मत और वनकर्मी की मदद ने जांच को तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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कोर्ट ने दिया कठोर फैसला
न्यायाधीश तारा अग्रवाल ने सभी सबूतों और दलीलों का गहन विश्लेषण करने के बाद नाबालिग आरोपी को दोषी करार दिया। कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण) के तहत तीन वर्ष का कठोर कारावास और पांच हजार रुपये का जुर्माना, धारा 366 (विवाह के लिए अपहरण) के तहत चार वर्ष का कठोर कारावास और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 344 (गलत बंधन) के तहत दो वर्ष का कठोर कारावास और पांच हजार रुपये का जुर्माना तथा पॉक्सो एक्ट के तहत 20 वर्ष का कठोर कारावास और 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना न चुकाने की स्थिति में आरोपी को एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।