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Rajasthan Politics: मिट गईं दूरियां? सचिन पायलट को पार्टी विरोधी कह चुके गहलोत बोले- हम दोनों हमेशा साथ थे

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दौसा Published by: प्रिया वर्मा Updated Wed, 11 Jun 2025 04:13 PM IST
सार

स्व. राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक ऐसा बयान दिया जिसने राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कार्यक्रम स्थल से बाहर आकर ऐसा क्यों बोले गहलोत? पढ़िये यहां

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Rajasthan Politics: Gehlot, who had called Sachin an opponent of the party, said- we both were always together
राजस्थान - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान की सियासी रणभूमि में एक बार फिर तापमान में बदलाव आ गया है। मौका था स्व. राजेश पायलट की पुण्यतिथि का, लेकिन चर्चा का केंद्र बन गए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बिगड़े रिश्ते, जो इस कार्यक्रम में सुलझते नजर आए। 

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सभा स्थल से बाहर आए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान ने सभी को चौंका दिया। दरअसल ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जिस मंच से कभी गहलोत ने सचिन पायलट को पार्टी विरोधी करार दिया था, उसी मंच से उन्होंने अपने पुराने शिष्य के लिए प्रेम और सौहार्द का राग अलापा। गहलोत ने मीडिया की उन खबरों को सिरे से खारिज कर दिया, जिनमें उनकी और पायलट की अनबन की बातें कही जाती रही थीं। उन्होंने बड़े नाटकीय अंदाज में कहा- मैं और पायलट कब अलग थे? हम तो हमेशा से साथ हैं और दोनों में खूब मोहब्बत भी है, ये तो मीडिया ही अनबन की खबरें चलाता रहता है। गहलोत के इस बयान के बाद कार्यक्रम में मौजूद भीड़ में खुसर-पुसर शुरू हो गई। लोगों के चेहरे पर एक ही सवाल था कि क्या वाकई में दूरियां मिट गईं? या ये सिर्फ एक सियासी दांव है?
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जिन अशोक गहलोत ने पायलट को खुलेआम पार्टी विरोधी करार दिया था, वे आज मोहब्बत की बात कर रहे हैं। गहलोत का ये बयान एक तरफ जहां पायलट समर्थकों के लिए राहत भरा था, वहीं दूसरी तरफ सियासी दिग्गजों को सोचने पर मजबूर कर गया।

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पिछली कांग्रेस सरकार बनने के दौरान हुई खींचतान में जब सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ मानेसर चले गए थे तब अशोक गहलोत ने ही पायलट पर तीखे हमले करते हुए उन्हें पार्टी विरोधी तक कह दिया था। गहलोत के इन बयानों ने कांग्रेस के भीतर की दरार को और गहरा कर दिया था लेकिन आज दौसा में गहलोत के बदले हुए सुर ने सबको हैरान कर दिया।

अब सियासी गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या ये कांग्रेस आलाकमान के दबाव का नतीजा है? या आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए गहलोत ने पायलट के साथ सुलह का रास्ता अपनाया है? कुछ विश्लेषकों का मानना है कि गहलोत शायद ये संदेश देना चाहते हैं कि पार्टी में अब कोई मतभेद नहीं हैं और सभी एकजुट होकर आगे बढ़ रहे हैं। वहीं कुछ का मानना है कि ये सिर्फ एक पॉलिटिकल स्टंट है, ताकि सचिन के समर्थक वोटरों को अपनी तरफ खींचा जा सके।

पायलट खेमा मौन, लेकिन अंदरखाने खुशी

हालांकि इस पूरे घटनाक्रम पर सचिन पायलट की तरफ से कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन उनके खेमे में खुशी की लहर साफ देखी जा सकती है। गहलोत के इस बयान को पायलट के सम्मान के रूप में देखा जा रहा है। लंबे समय से जो तल्खी दोनों नेताओं के बीच बनी हुई थी, उसे कुछ हद तक कम करने का श्रेय गहलोत के इस बयान को दिया जा रहा है।



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क्या साथ मिलकर लड़ेंगे चुनाव?

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या गहलोत और पायलट की ये 'नई मोहब्बत' राजस्थान की सियासत में कोई नया गुल खिलाएगी? क्या दोनों नेता आगामी चुनावों में साथ मिलकर काम करेंगे और कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने के लिए एकजुट होकर लड़ेंगे? या ये सिर्फ एक अस्थायी विराम है, जिसके बाद फिर से टकराव की स्थिति देखने को मिल सकती है?

दौसा से निकले गहलोत की इस 'प्रेम-बाण' ने राजस्थान की सियासत में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। आने वाले समय में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये मोहब्बत वाकई गहरी है या सिर्फ एक सियासी दांव, जिसका मकसद सिर्फ वोट बटोरना है। फिलहाल दौसा के इस पुण्यतिथि कार्यक्रम ने सियासी पंडितों को सोचने पर मजबूर कर दिया है और जनता के मन में भी कई सवाल छोड़ दिए हैं।
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