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MLA Mukesh Bhakar: मुकेश भाकर बोले- स्पीकर देवनानी की इज्जत नहीं, सिर्फ कुर्सी का सम्मान, तेवर नरम नहीं होंगे

Ashish Kulshrestha आशीष कुलश्रेष्ठ
Updated Fri, 09 Aug 2024 01:07 PM IST
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सार

राजस्थान विधानसभा से छह महीने के लिए निलंबित किए गए कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर ने अमर उजाला से खास बातचीत की है। बातचीत के दौरान विधायक भाकर ने कहा, निलंबन के छह महीने बाद भी तेवर नरम नहीं होंगे।

Rajasthan Politics News Congress MLA Mukesh Bhakar Interview Statement on Speaker Vasudev Devnani Updates
मुकेश भाकर, कांग्रेस विधायक - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान विधानसभा सत्र के आखिरी के दो दिन चले घटनाक्रम के पहले दिन कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर को निलंबित कर दिया गया। विरोध करने पर मार्शल को बुलाया गया और निलंबित विधायक को विधानसभा से बाहर निकालने की बात कही गई। कांग्रेस विधायकों और मार्शल के बीच में टकराव देखने को मिला।

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बता दें कि महिला विधायक की चूड़ियां टूटी और मार्शल का अंगूठा काटने की बात तक सामने आई।रात भर कांग्रेस के विधायकों द्वारा विधानसभा में धरना दिया गया। अगले दिन मुकेश भाकर को छह महीने के लिए विधानसभा से निलंबित कर दिया गया। विधानसभा से छह महीने के लिए निलंबन के बाद मुकेश भाकर से अमर उजाला ने जानने का प्रयास किया कि उस दिन क्या हुआ था और सच्चाई क्या है?

सवाल: मुकेश जी विधानसभा अध्यक्ष ने आपके ऊपर आरोप लगाते हुए आपको विधानसभा से निलंबित कर दिया, इस पर आप क्या कहेंगे? 

मैंने कोई अभद्र इशारा किया था, उनके पास क्या प्रूफ है। वह सबूत दें मुझे, अगर मैंने उनकी तरफ गलत इशारा किया है या मैंने आसन को चुनौती दी है। हम लोग विधानसभा में जाकर बैठे हैं और अगर हमारी जनता का और प्रदेश का मुद्दा है तो उन पर बात नहीं रखेंगे तो कहां बात रखेंगे। बीजेपी वहां घिर गई है। सदन में उनके पास जवाब नहीं है। यह पूरी तरीके से फेल हो चुके हैं।विधानसभा में उनके बचाव की जिम्मेदारी स्पीकर ने ले रखी है। वो उनके संरक्षक बने हुए हैं। पूरी तरीके से विधानसभा अध्यक्ष ज्यादा वो उनके संरक्षक नजर आते हैं। उनका पूरा दबाव हमेशा विपक्ष पर रहता है। उनके लिए पक्ष-विपक्ष बराबर होना चाहिए। सदन चले उसको लेकर उनको काम करना चाहिए, लेकिन वह तो अपनी खीज को मिटाने के लिए बैठे हैं।

सवाल: क्या आपको किसी प्रकार की इगो है?

उनकी मुझसे इगो थी कि मुझे पहले दिन बिना बात सस्पेंड किया। उनकी चाहत थी कि मुझे विधानसभा से बाहर निकाल दें, परंतु वो कर नहीं पाए। क्योंकि कांग्रेस के सभी विधायक एक हो गए थे। मुझे निकालने के लिए पहले दिन मार्शल आए थे, परंतु निकाल नहीं पाए। मुझे लगता है कि विधानसभा अध्यक्ष ने इस बात की खीज और इगो पाल ली कि एक निलंबित सदस्य सदन में बैठा है और सदन चल रहा है।

सवाल: एक प्री-प्लानिंग के तहत आपको शिकार बनाया गया, आपके ही खिलाफ प्री-प्लानिंग क्यों की गई? 

मैं अकेला नहीं हूं, 10-12 विधायक जो नए आए हैं, उनको लेकर यह टार्गेट कर बैठे हैं। इन्होंने अपने चैंबर में भी बुलाकर कहा कि तुम चुप बैठा करो। उन्होंने पहले से ही मन बनाया हुआ था कि इनमें से पांच या छह को निलंबित करूंगा। पूरी कांग्रेस चुप हो जाएगी। उनको लगा था कि मैं निलंबित करूंगा मार्शल उठाकर बाहर निकाल देंगे और बात खत्म हो जाएगी। परंतु उनको पता नहीं था कि पूरी कांग्रेस एक हो जाएगी और रात भर धरना चलेगा। आप उनके पुराने वीडियो निकाल कर सुनो, आपको अंदाजा हो जाएगा कि उनकी भाषा क्या है। वो मुझसे कह्ते हैं कि मैं तुझे सदन में पैर नहीं रखने दूंगा।मैंने सिर्फ यही कहा कि मुझे जनता ने सदन भेजा है आपने नहीं, बस वो चीढ़ गए।


सवाल: उस दिन क्या घटा था?

जब नेता प्रतिपक्ष बोल रहे थे तो बीजेपी के नेता बोल रहे थे। हमने पहले भी देखा था कि जब राजेंद्र राठौर या नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद्र कटारिया बोलते थे, तब हम सब उनको सुनते थे। जब मुख्यमंत्री बोलते हैं, सब सुनते हैं। जब नेता प्रतिपक्ष बोल रहे थे उनके विधायक खड़े होकर बोल रहे थे तो मैंने कहा कि जब आपका नेता बोलेगा तो हम भी बोलेंगे। अध्यक्ष नाराज हो गए, हमने कहा कि आप बीजेपी के विधायकों को भी बैठाओ। इस पर अध्यक्ष बोले कि मैं तुझे सदन में पैर नहीं रखने दूंगा।मैंने सिर्फ इतना बोला कि मुझे जनता ने चुनकर भेजा है, आप कैसे रोक सकते हो?

बस इसी बात पर उन्होंने सस्पेंड कर दिया। मैंने कोई उंगली नहीं दिखाई। मैंने कोई अभद्र इशारा नहीं किया। मैं यह कहता हूं कि अगर मैंने कोई भी अभद्र इशारा किया हो या अमर्यादित भाषा बोली हो, मुझे दिखा दो, मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा। कभी चुनाव नहीं लडूंगा। मैं तैयार हूं यही बात विधानसभा अध्यक्ष से कहलवा दो या फिर वो किस पर तैयार हैं पता करो। इनके यही काम हैं, आवाज को दबा दो। इनकी पर्चियां दिल्ली से आती हैं, यह संसद में भी कितने सांसदों को निलंबित कर चुके हैं। अब यहां कर रहे हैं। इनकी भाषा तो देखो स्पीकर की, यह देवनानी कि इज्जत नहीं चेयर की इज्जत है। आप बीजेपी के संरक्षक बनकर बैठे रहे और हम आपकी इज्जत करते रहे। 

सवाल: शांति धारीवाल को माफी मांगने का मौका मिला, आपको क्यों नहीं?

कितनी पीड़ा है इनको मुझसे, धारीवाल जी को इसलिए माफी का मौका मिला। क्योंकि अगले दिन मुख्यमंत्री को बोलना था। इनको पता था कि कांग्रेस विरोध करेगी। इसलिए बात को संभाला गया।परंतु मेरे मामले में कितनी अमर्यादित भाषा का उपयोग किया गया, असंवैधानिक तरीके से मेरा निलंबन किया गया है।

सवाल: परंतु मार्शल के साथ मारपीट, अंगूठा काट लेना कहां तक उचित है?

देखिए पूरी सच्चाई की बात यह है कि मार्शल मेरे तक पहुंच ही नहीं पाए। अगर मार्शल मेरे तक पहुंच जाते तो मुझे लेकर जाते। वो मेरे तक पहुंच ही नहीं पाए। मेरे चारो ओर 50 कांग्रेस के विधायकों का घेरा था। मार्शल आए उन्होंने कांग्रेस के विधायकों और महिला विधायकों के साथ बदतमीजी की, धक्का-मुक्की की। आप बताओ कि मैं किसी मार्शल को काटूं और वो भाग जाएगा।यह सब बाद में बनाई बातें हैं। बीजेपी फेल है जनता के बीच। मेरा क्या है, मैं छह महीने बाद चला जाऊंगा, अभी कौन सी विधानसभा चल रही है।

सवाल: आपको टार्गेट किया गया है सोशल मीडिया पर चल रहा है, आप जाट हो किसान हो इसलिए टार्गेट हुए?

किसान वो जो खेती करते हैं, सामंतवाद का विरोध करते हैं। अब बीजेपी चाहती है कि वो जितना चाहे हम उतना ही विरोध करें नहीं तो यह हम को दबाएंगे। मोदी को किसानों के विरोध के बाद पीछे हटना पड़ा, यह सामंतवादी हैं। 

सवाल: आप बीजेपी को सामंतवादी मानते हो?

सामंतवाद कोई जाति तो है नहीं, इनमें क्या बाकी है। यह सामंतवाद ही तो है, विरोध को दबा दो।मोदी दिल्ली में, राजस्थान में भजनलाल और विधानसभा में देवनानी सामंतवाद ही तो है।

सवाल: आपका आगे का क्या कदम होगा?

यह पार्टी का निर्णय होगा, जो पार्टी तय करेगी, कल अपने जिले में विरोध प्रदर्शन में जाऊंगा। जनता को इनकी सच्ची बात तो पता चले।

सवाल: छह विधानसभा में उपचुनाव कैसे देख रहे हैं?

क्या है, इनके पास उम्मीदवार नहीं है तो यह क्या जीतेंगे। जनता को इनकी सच्चाई पता चल चुकी है।

सवाल: आप छात्र राजनीति से आए हैं, चुनाव को लेकर छात्र आंदोलन कर रहे हैं, कैसे देखते है?

देखो मैंने पहले दिन से कहा है कि छात्रसंघ के चुनाव होने चाहिए। छात्र राजनीति ने कई नेता दिए हैं, जो जनता के बीच जाकर उसकी सेवा करते हैं। दूसरा विश्वविद्यालय प्रशासन निरंकुश न हो, छात्रों के अधिकारों का हनन न हो। इसके लिए भी छात्रसंघ चुनाव होना जरूरी है। मैंने विधानसभा में भी यह बात रखी है। मैंने उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा से भी बात की है कि छात्र राजनीति जरूरी है। इसलिए छात्रसंघ के चुनाव होने चाहिए, मैं इसके लिए लड़ाई लड़ता रहूंगा।

सवाल: इस निलंबन का क्या असर पड़ेगा? 

और मजबूत होकर लौटूंगा, तेवर वैसे ही रहेंगे जैसे आज हैं। छह महीने विधानसभा नहीं आऊंगा, अपनी जनता के साथ रहूंगा। जनता के सुख-दुख बेचूंगा। लेकिन जब भी लौटूंगा मजबूती के साथ लौटूंगा। यह कोई प्राइवेट कॉलेज नहीं है, जहां पर वीसी ने छात्र को निलंबित कर दिया और छात्र सुधर गया। यहां जनता ने भेजा है, जनता की ही आवाज विधानसभा में न उठा पाएं तो फिर आने का क्या फायदा।

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