Rajasthan News: सुप्रीम कोर्ट सख्त; जोजरी, लूणी और बांदी नदियों के प्रदूषण पर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी
राजस्थान में नदियों के प्रदूषद पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख दिखाया है। कोर्ट ने जोजरी, लूणी और बांदी नदियों के प्रदूषण पर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी, राज्य से पूछा है कि क्या एनजीटी आदेश के खिलाफ दायर अपीलें वापस लेगा?
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राजस्थान की जोजरी, लूणी और बांदी नदियों में बढ़ते प्रदूषण पर गंभीर रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से एक सप्ताह में विस्तृत स्थिति रिपोर्ट (Status Report) दाखिल करने को कहा है। अदालत ने राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा को निर्देश दिया कि वे यह स्पष्ट करें कि क्या राज्य की सरकारी एजेंसियां 2022 में एनजीटी द्वारा दिए गए नदी प्रदूषण नियंत्रण संबंधी आदेश के खिलाफ दायर अपीलें वापस लेने पर विचार कर रही हैं या नहीं। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा —“हमें तीनों नदियों में प्रदूषण की गंभीरता का पूरा ज्ञान है। स्थिति अत्यंत चिंताजनक है और अब राज्य सरकार को इस पर निर्णायक रुख अप नाना होगा।”
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रही स्वप्रेरित जनहित याचिका (In Re: 2 Million Lives at Risk – Jojari River Contamination in Rajasthan, W.P. (C) No. 8/2025) की सुनवाई के दौरान सामने आया। यह याचिका RIICO, बालोतरा नगर परिषद, पाली नगर परिषद और जोधपुर नगर निगम द्वारा 25 फरवरी 2022 के एनजीटी आदेश के खिलाफ दायर अपीलों से जुड़ी हुई है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि एनजीटी ने 2022 में राज्य की एजेंसियों पर प्रदूषण नियंत्रण में लापरवाही के लिए ₹2 करोड़ का पर्यावरणीय मुआवज़ा लगाया था। इस पर पीठ ने कहा “यह उचित कार्रवाई थी, और हम इस पर विचार करेंगे।” अदालत ने एएजी शर्मा को निर्देश दिया कि वे RIICO और संबंधित निकायों से परामर्श कर यह रिपोर्ट पेश करें कि क्या राज्य इन अपीलों को जारी रखना चाहता है या वापस लेने का निर्णय लिया गया है।
गौरतलब है कि एनजीटी के आदेश में नदियों में प्रदूषण रोकने के लिए कई सख्त निर्देश दिए गए थे, जिनमें “ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज नीति” का पालन, उल्लंघन करने वाले उद्योगों को बंद करना, और केंद्रीय एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के सहयोग से सुधारात्मक कार्रवाई की समयबद्ध योजना शामिल थी। इसके बावजूद, तीनों नदियों में औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट का प्रवाह जारी है, जिससे गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो रहा है।