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Rajasthan: नोटबंदी के बाद विवाद के चलते नहीं खुला लॉकर, अब मिले 500-1000 के पुराने नोट; RBI-केंद्र से जवाब तलब

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जोधपुर Published by: हिमांशु प्रियदर्शी Updated Wed, 22 Oct 2025 09:45 PM IST
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सार

Jodhpur News: राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अनोखे नोटबंदी विवाद में 15.50 लाख रुपये की पुरानी मुद्रा को लेकर केंद्र सरकार, RBI और बैंक से जवाब मांगा है। लॉकर उत्तराधिकार विवाद के कारण सील था और विनिमय अवधि समाप्त होने के बाद खुला।
 

Unique Demonetization Case in Rajasthan HC ₹15.50 Lakh Found in Locker; RBI-Central Govt asked for answers
राजस्थान हाईकोर्ट ने RBI और केंद्र सरकार से मांगा जवाब - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान हाईकोर्ट ने विमुद्रीकरण (नोटबंदी) से जुड़े एक अनोखे और संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण मामले में भारत सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को नोटिस जारी किए हैं। अदालत ने माना कि यह मामला ‘न्यायसंगतता और संपत्ति के संवैधानिक संरक्षण’ से जुड़ा एक गंभीर प्रश्न उठाता है। मामला बीकानेर के सागर रोड निवासी रणवीर सिंह की याचिका से संबंधित है, जिनके दिवंगत पिता चंद्रसिंह के बैंक लॉकर से वर्ष 2018 में ₹15.50 लाख की विमुद्रीकृत मुद्रा (500 और 1000 रुपये के नोट) बरामद हुई थी।

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उत्तराधिकार विवाद के कारण वर्षों तक सील रहा लॉकर
याचिका के अनुसार, चंद्रसिंह के निधन के बाद उनके बैंक लॉकर पर उत्तराधिकार विवाद के चलते कोर्ट ने सील लगा दी थी, जो बैंक और न्यायालय की अभिरक्षा में रहा। जब वर्ष 2018 में अदालत के आदेश से लॉकर खोला गया, तब तक विमुद्रीकरण की वैध विनिमय अवधि समाप्त हो चुकी थी। लॉकर से ₹15 लाख 50 हजार 500 रुपये की पुरानी मुद्रा मिली, जो अब चलन से बाहर थी।
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‘न्यायिक प्रक्रिया के कारण नुकसान नहीं होना चाहिए’
याचिकाकर्ता रणवीर सिंह की ओर से अधिवक्ता विपुल सिंघवी ने अदालत में दलील दी कि नोटबंदी अवधि में याचिकाकर्ता के पास लॉकर तक पहुंचने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं था, क्योंकि मामला न्यायालय में लंबित था। इसलिए मुद्रा का विनिमय वास्तविक रूप से असंभव था। उन्होंने तर्क दिया कि इस आधार पर राहत न देना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300-ए (संपत्ति के अधिकार से वंचन) और अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन होगा।

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अधिवक्ता ने कहा कि यह न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध है कि व्यक्ति को अदालत की प्रक्रिया के कारण नुकसान उठाना पड़े। याचिका में किसी अतिरिक्त लाभ की नहीं, बल्कि केवल न्यायसंगत राहत- देनदारी की स्वीकृति या क्षतिपूर्ति की मांग की गई है।
 
हाईकोर्ट ने माना- मामला विचारणीय है
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने विस्तृत सुनवाई के बाद मामले को विचारणीय पाया। अदालत ने कहा कि याचिका में उठाए गए प्रश्न संवैधानिक और न्यायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इस पर अदालत ने भारत सरकार, RBI और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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