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Rajasthan News: उत्तरकाशी में लापता अग्निवीर के अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़, डीएनए जांच से हुई पहचान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोटपूतली-बहरोड़
Published by: प्रिया वर्मा
Updated Tue, 14 Oct 2025 07:45 PM IST
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सार
उत्तरकाशी में बादल फटने के दौरान वहां अग्निवीर के रूप में तैनात जवान का शव 70 दिन बाद मिला। डीएनए जांच से पुष्टि के बाद शहीद को आज सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

अग्निवीर को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 70 दिन पहले बादल फटने की भीषण घटना में लापता हुए कोटपूतली-बहरोड़ जिले के पावटा उपखंड के ग्राम भौनावास निवासी जवान भीम सिंह का शव आखिरकार बरामद हो गया। डीएनए जांच से शहीद की पहचान पुख्ता हुई। यह समाचार गांव में पहुंचते ही शोक की लहर दौड़ गई।

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19 वर्षीय भीम सिंह पुत्र महेश सिंह भारतीय सेना की 14 राजपूताना राइफल्स में अग्निवीर के रूप में तैनात थे। उत्तरकाशी आपदा के दौरान वे अपने साथियों के साथ ड्यूटी पर थे, जब बादल फटने की घटना ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। सेना और प्रशासन के अथक प्रयासों के बाद 70 दिन बाद उनका शव बरामद हुआ और डीएनए से पहचान की पुष्टि के बाद गांव लाया गया।
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शव के गांव पहुंचने पर पूरे भौनावास और आसपास के इलाके शोक और गौरव के भाव में डूब गए। प्रागपुरा पुलिस थाने से लेकर भौनावास गांव तक विशाल तिरंगा यात्रा निकाली गई, जिसमें हजारों ग्रामीण, सैनिक, छात्र और युवा शामिल हुए।
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अंतिम संस्कार में जयपुर ग्रामीण सांसद राव राजेंद्र सिंह, उद्योग मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, सेना के अधिकारी और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। भारतीय सेना की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर जवान को सलामी दी और परिजनों को तिरंगा सौंपकर वीर सपूत को अंतिम विदाई दी।
इस अवसर पर सांसद राव राजेंद्र सिंह पुष्पचक्र अर्पित करते समय अचानक बेहोश हो गए, जिसके बाद उन्हें तुरंत नजदीकी उप जिला अस्पताल पावटा ले जाया गया, जहां पीएमओ डॉ. रवि बंसल की देखरेख में प्राथमिक उपचार के बाद उनकी स्थिति स्थिर हुई।
विंग कमांडर ऋषि देव यादव (जिला सैनिक कल्याण अधिकारी, बहरोड़) ने बताया कि जवान भीम सिंह का बलिदान युद्ध हताहत श्रेणी में माना गया है। ऐसे मामलों में भारतीय सेना द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार परिवार को सरकारी लाभ दिया जाएगा।
भौनावास का यह वीर सपूत देश सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ। गांव में हर आंख नम थी, लेकिन हर चेहरे पर गर्व झलक रहा था। लोगों ने कहा भीम सिंह जैसे वीर सपूत हमारे देश की असली ताकत हैं, जिन पर हर भारतीय को नाज है।