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Rajsamand: श्रीनाथजी मंदिर में ज्येष्ठाभिषेक स्नान एवं सवा लाख आम का भोग, उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, राजसमंद
Published by: राजसमंद ब्यूरो
Updated Wed, 11 Jun 2025 06:15 PM IST
सार
Rajsamand: नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी मंदिर में ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर पारंपरिक स्नान यात्रा उत्सव का आयोजन हुआ। इस दौरान प्रभु श्रीनाथजी को सुगंधित यमुना जल से अभिषेक स्नान कराया गया। स्नान के पश्चात सवा लाख आम का भोग अर्पित किया गया।
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भक्तों की उमड़ी भीड़
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजसमंद जिले के नाथद्वारा स्थित पुष्टिमार्गीय प्रधानपीठ श्रीनाथजी मंदिर में ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर स्नान यात्रा उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस विशेष अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी एवं लाडले लाल प्रभु को सुगंधित, अधिवासित यमुना जल से स्वर्णजड़ित शंख द्वारा तिलकायत व विशाल बावा तथा लाल बावा ने ज्येष्ठाभिषेक स्नान करवाया।
मंगल दर्शन के पश्चात ठाकुरजी को धोती और उपरना धारण करवाया गया, जिसके बाद अभिषेक सम्पन्न हुआ। यह दिव्य और अलौकिक दर्शन करीब ढाई घंटे तक चले। इस दौरान मंदिर परिसर और आसपास श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। वैष्णवजन प्रभु के इस विशेष दर्शन को देखने के लिए देशभर से पहुंचे।
स्नान के पश्चात श्रीजी प्रभु के स्नान का जल कमल चौक में वितरित किया गया, जिसे भक्तों ने श्रद्धापूर्वक ग्रहण किया। तत्पश्चात प्रभु को सवा लाख आमों का भोग अर्पित किया गया। राजभोग दर्शन के अंतर्गत आमों के भोग का वितरण भी दर्शनार्थियों में किया गया।
पढ़ें: रानीवाड़ा पुलिस ने 44.48 ग्राम स्मैक किया बरामद, बाइक के साथ दो आरोपियों को किया गिरफ्तार
स्नान यात्रा का महत्व
तिलकायत पुत्र विशाल बावा ने स्नान यात्रा के महत्व को स्पष्ट करते हुए बताया कि शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा, जब ज्येष्ठा नक्षत्र होता है, उस दिन सूर्योदय से पूर्व पुरुष सूक्त मंत्रों के उच्चारण के साथ प्रभु का विशेष स्नान करवाया जाता है। स्नान हेतु जल की विशिष्ट तैयारी की प्रक्रिया को अधिवासन कहा जाता है।
अधिवास जल मंदिर की भीतर स्थित बावड़ी से एक दिन पूर्व एकत्रित किया जाता है। तत्पश्चात उस जल को मंदिर के डोल तिवारी क्षेत्र के दक्षिणी भाग में स्थापित कर उसका विधिपूर्वक पूजन किया जाता है। इस पूजन में जल में कदंब, कमल, गुलाब, जूही, रायवेली, मोगरा, तुलसी एवं निवावर की कली जैसे आठ प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाते हैं। इसके अलावा जल में केसर, चंदन और यमुना जल भी मिलाया जाता है। यह जल रात्रि भर शीतल कर प्रभु के स्नान हेतु तैयार किया जाता है। अधिवासन जल प्रभु के बाल स्वरूप की रक्षा हेतु समर्पित होता है।
पूजन के समय संकल्प लिया जाता है
श्रीभगवतः पुरुषोत्तमस्य स्नानयात्रोत्सवार्थं ज्येष्ठाभिषेक जलाधिवासं अहं करिष्ये। ऐसी भी मान्यता है कि ज्येष्ठाभिषेक के दिन ही प्रभु का ब्रज के युवराज के रूप में अभिषेक किया गया था। अतः इस दिन प्रभु को स्वामिनीजी के भावरूप शंख से स्नान करवाया जाता है।
सवा लाख आम का भोग एवं भक्ति का प्रतीकवाद
पुष्टिमार्गीय परंपरा के अनुसार, इस दिन प्रभु को सवा लाख आमों का भोग अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही बीज चिरौंजी के लड्डू, अंकुरि, शक्कर के बूरे और चटक जैसे विविध व्यंजनों का विशेष भोग लगाया जाता है।
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स्नान के पश्चात श्रीजी प्रभु के स्नान का जल कमल चौक में वितरित किया गया, जिसे भक्तों ने श्रद्धापूर्वक ग्रहण किया। तत्पश्चात प्रभु को सवा लाख आमों का भोग अर्पित किया गया। राजभोग दर्शन के अंतर्गत आमों के भोग का वितरण भी दर्शनार्थियों में किया गया।
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स्नान यात्रा का महत्व
तिलकायत पुत्र विशाल बावा ने स्नान यात्रा के महत्व को स्पष्ट करते हुए बताया कि शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा, जब ज्येष्ठा नक्षत्र होता है, उस दिन सूर्योदय से पूर्व पुरुष सूक्त मंत्रों के उच्चारण के साथ प्रभु का विशेष स्नान करवाया जाता है। स्नान हेतु जल की विशिष्ट तैयारी की प्रक्रिया को अधिवासन कहा जाता है।
अधिवास जल मंदिर की भीतर स्थित बावड़ी से एक दिन पूर्व एकत्रित किया जाता है। तत्पश्चात उस जल को मंदिर के डोल तिवारी क्षेत्र के दक्षिणी भाग में स्थापित कर उसका विधिपूर्वक पूजन किया जाता है। इस पूजन में जल में कदंब, कमल, गुलाब, जूही, रायवेली, मोगरा, तुलसी एवं निवावर की कली जैसे आठ प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाते हैं। इसके अलावा जल में केसर, चंदन और यमुना जल भी मिलाया जाता है। यह जल रात्रि भर शीतल कर प्रभु के स्नान हेतु तैयार किया जाता है। अधिवासन जल प्रभु के बाल स्वरूप की रक्षा हेतु समर्पित होता है।
पूजन के समय संकल्प लिया जाता है
श्रीभगवतः पुरुषोत्तमस्य स्नानयात्रोत्सवार्थं ज्येष्ठाभिषेक जलाधिवासं अहं करिष्ये। ऐसी भी मान्यता है कि ज्येष्ठाभिषेक के दिन ही प्रभु का ब्रज के युवराज के रूप में अभिषेक किया गया था। अतः इस दिन प्रभु को स्वामिनीजी के भावरूप शंख से स्नान करवाया जाता है।
सवा लाख आम का भोग एवं भक्ति का प्रतीकवाद
पुष्टिमार्गीय परंपरा के अनुसार, इस दिन प्रभु को सवा लाख आमों का भोग अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही बीज चिरौंजी के लड्डू, अंकुरि, शक्कर के बूरे और चटक जैसे विविध व्यंजनों का विशेष भोग लगाया जाता है।