अरावली पर्वतमाला को लेकर पूरे देश में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। सोशल मीडिया पर चल रही मुहिम अब सड़कों तक पहुंचने लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस के कई नेता अरावली से जुड़े फोटो और वीडियो साझा कर केंद्र और राज्य सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। इसी क्रम में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने अलवर स्थित अपने कार्यालय पर प्रेस वार्ता कर सरकार की नीतियों पर गंभीर आरोप लगाए।
सरकार पर चहेतों को फायदा पहुंचाने का आरोप
प्रेस वार्ता में टीकाराम जूली ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार अपने चहेते लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए अरावली को बर्बाद करने में लगी हुई है। उन्होंने दावा किया कि अरावली केवल पहाड़ों की श्रृंखला नहीं, बल्कि चार राज्यों गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा के लिए जीवनरेखा है। यह पर्वतमाला रेगिस्तान के विस्तार को रोकने और जमीन को पानी देने का काम करती है।
‘लाखों लोगों और वन्यजीवों से जुड़ा है अरावली का अस्तित्व’
टीकाराम जूली ने कहा कि अरावली से लाखों लोगों का जीवन और आजीविका जुड़ी हुई है। अरावली क्षेत्र में हजारों वन्यजीव निवास करते हैं। उन्होंने बताया कि सरिस्का, रणथंभोर और मुकुंदरा सहित कई टाइगर रिजर्व और वन क्षेत्र अरावली में ही बसे हुए हैं। उनके अनुसार सरकार की नीतियों से इन वन क्षेत्रों के अस्तित्व पर भी खतरा पैदा हो रहा है।
लोगों को गुमराह करने का आरोप
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार और उसके मंत्री जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजस्थान की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार द्वारा तैयार किया गया प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया था, जिसके बाद कांग्रेस सरकार ने कोई नया प्रस्ताव तैयार नहीं किया। कांग्रेस सरकार ने केवल अरावली क्षेत्र में पहले से चल रही खानों को लेकर अपनी बात रखी थी।
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भाजपा सरकार के नए प्रस्ताव पर सवाल
टीकाराम जूली ने आरोप लगाया कि मौजूदा भाजपा सरकार ने नया प्रस्ताव तैयार किया है, जिसके तहत अरावली क्षेत्र में नए खनन को मंजूरी दी जाएगी। उनके अनुसार यह योजना अरावली को समाप्त करने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव सरकार की कमेटी द्वारा तैयार किया गया है और इसके दूरगामी परिणाम होंगे।
आंदोलन की चेतावनी
प्रेस वार्ता के दौरान टीकाराम जूली ने कहा कि अरावली को बचाने का अभियान अब और तेज किया जाएगा। उन्होंने संकेत दिए कि कांग्रेस इस मुद्दे पर सड़क से संसद तक विरोध प्रदर्शन करेगी और सरकार की नीतियों के खिलाफ जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा।