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Karwa Chauth 2025: जब माता ने पति को दिया जीवनदान! अद्भुत है सती प्रथा रोकने से जुड़ी 'चौथ माता' की ये कथा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सवाईमधोपुर Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Fri, 10 Oct 2025 03:15 PM IST
सार

माना जाता है कि चौथ माता हर मनोकामना पूरी करती हैं, विशेषकर महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए यहां व्रत रखती हैं। ऐतिहासिक रूप से यह मंदिर 1451 में भीम सिंह द्वारा स्थापित माना जाता है, जबकि राठौड़ वंश के शासकों और जयपुर राजघराने ने भी इसकी समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाया। हर चौथ और विशेषकर करवा चौथ पर यहां लाखों भक्तों का सैलाब उमड़ता है।

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Sawai Madhopur News: On Karva Chauth, a flood of devotees pours into the court of Chauth Mata.
चौथ माता। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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वैसे तो पूरे भारतवर्ष में करोड़ों मंदिर हैं और लोग अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार देवी देवताओं में आस्था रखते हैं। कोई विष्णु उपासक है तो कोई शिव उपासक तो कोई देवी उपासक है। मगर प्रदेश के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा में मां अंबे का एक ऐसा मंदिर है जिसे लोग चौथ माता के रूप में मानते हैं और यहां आने वाले भक्त माता पर अथाह आस्था रखते हैं। तभी तो साल भर माता के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहता है। विशेषकर हिन्दी महीनों की हर चौथ और करवा चौथ पर माता के दरबार में श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है। 

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सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा की पहाड़ियों पर करीब एक हजार फिट की ऊंचाई पर विराजमान 'चौथ माता' जन जन की आस्था का केन्द्र हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु मां अंबे के इस रूप को चौथ माता के रूप में मानते हैं। माता के दर्शन के लिए राजस्थान से ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों से भी वर्ष भर लाखों की तादाद में श्रद्धालु यहां आते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि चौथ माता भक्तों की हर मुराद पुरी करती हैं। कोई भी भक्त माता के दरबार से खाली हाथ नहीं लौटता। माता सबकी झोली भरती हैं। कोई संतान प्राप्ति तो कोई सुख समृद्धि की कामना लेकर माता के दरबार में आता है और माता सबकी पुकार सुनती हैं। विशेष कर महिलाओं में चौथ माता को लेकर खासी आस्था है। 
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महिलाओं का मानना है कि चौथ माता उनके सुहाग की रक्षा करती हैं। यहां आने वाली महिला श्रद्धालु माता से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और हिन्दी महीनों की हर चौथ और विशेष कर करवा चौथ को महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं। दिन भर व्रत रखने के बाद महिलाएं शाम को चांद देखकर और माता के अर्क देकर अपने पति का चेहरा देखती हैं। पति की सूरत में माता के रूप को देखकर ही व्रत खोलती हैं। साल भर यहां माता के दरबार में भक्तों को तांता लगा रहता है। करवा चौथ के दौरान होने वाले धार्मिक आयोजनों का विशेष महत्व माना जाता है। पहाड़ी की तलहटी में चौथ माता सरोवर बना हुआ है। यहां आने वाले श्रद्धालु सरोवर की पाल पर चढ़कर लबालब भरे तालाब के समीप ऊंचे सुरम्य पहाड़ पर माता के भव्य दरबार को देखकर अभिभूत हो जाते हैं। जो भी भक्त एक बार माता के दरबार में ढोक लगाने आता है। वो यहां का सुन्दर और मनमोहक दृश्य देखकर बार-बार माता के दरबार में आना चाहता है।

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Sawai Madhopur News: On Karva Chauth, a flood of devotees pours into the court of Chauth Mata.
चौथ माता मंदिर। - फोटो : अमर उजाला
1451 भीम सिंह ने कराई थी स्थापना
चौथ माता मंदिर को लेकर यहां के लोगों में कई प्रकार की किंवदंतियां प्रचलित हैं। साथ ही माता के मंदिर की स्थापना को लेकर भी लोगों के अलग-अलग मत है। अधिकतर लोगों का मानना है कि चौथ माता मंदिर की स्थापना 1451 में यहां के तत्कालीन शासक भीम सिंह के द्वारा की गई थी। 1463 में मंदिर मार्ग पर पर बिजली की छतरी तथा पहाड़ी की तलहटी में तालाब का निर्माण करवाया गया था। 

राठौड़ वंश के में थी गहरी आस्था 
16वीं शताब्दी में यह कस्बा चौहान वर्ष से मुक्त होकर राठौड़ वंश के अधीन आ गया था। इस वंश के शासकों में भी माता के प्रति गहरी आस्था थी। कहा जाता है कि राठौड़ वंश के शासक तेज सिंह राठौड़ ने 1671 में मुख्य मंदिर के दक्षिण हिस्से में एक तिबारा बनवाया था। हाड़ौती क्षेत्र के लोग हर शुभ कार्य करने से पहले आज भी माता को निमंत्रण देने आते हैं। प्रगाढ़ आस्था के कारण बूंदी राजघराने के समय से ही चौथ माता को कुल देवी के रूप में पूजा जाता है। 

चौथ माता के नाम पर लगता है बाजार
माता के नाम पर कोटा में चौथ माता बाजार भी है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि माता के मंदिर की स्थापना जयपुर राजघराने के द्वारा करवाई गई थी। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि चौथ माता मंदिर की स्थापना जयपुर राजघराने के द्वारा कराई गई थी। जब राव माधोसिंह ने सवाई माधोपुर बसाया था। उसी दौरान यहां मंदिर भी बनवाया गया था क्योंकि राव माधोसिंह माता को कुलदेवी के रूप में पूजते थे। 
 

Sawai Madhopur News: On Karva Chauth, a flood of devotees pours into the court of Chauth Mata.
पहाड़ी पर दिखता चौथ माता मंदिर। - फोटो : अमर उजाला
'मुझे मौत दे दो या फिर मेरे पति को जीवित करो'
कहा जाता है कि एक बार लड़ाई के दौरान मातेश्री नामक एक महिला के पति की मौत हो गई थी। इस पर महिला ने अपने पति के साथ सती होने की जिद की तो राव माधोसिंह ने सती प्रथा पर रोक लगा दी और महिला को सती नहीं होने दिया गया। इस पर महिला ने माता के दरबार में गुहार लगाई कि है मां या तो मुझे मौत दे दो या फिर मेरे पति को जीवित करो। इस पर माता ने महिला के पति को जीवनदान देकर जीवित किया। तभी से पूरे राजस्थान में महिलाएं माता के नाम से चौथ माता का व्रत करती हैं और तभी से महिलाएं करवा चौथ का उपवास रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। राव माधोसिंह ने ही इस कस्बे को माली समाज के लोगों को गद्दी के रूप में भेंट कर दिया था। तभी से यहां माता की पूजा माली समाज के द्वारा ही की जाती है।

करवा चौथ पर उमड़ता है भक्तों का सैलाब 
दिनों दिन चौथ माता के प्रति लोगों की आस्था और भी बढ़ती जा रही है और हर चौथ को यहां भक्तों की भीड़ में इजाफा हो रहा है। लाखों की संख्या में यहां भक्त आने लगे हैं। वैसे तो साल भर ही यहां भक्तों का आना लगा रहता है। मगर हिन्दी महीनों की हर चौथ और विशेष कर करवा चौथ को यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। भादवा की चौथ को माता का मैला गलता है, जिसमें लाखों की संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ता है। लाखों श्रद्धालुओं के आने से माता के दरबार में चडावडा भी करोड़ों रुपयों में आता है। इस के चलते स्थानीय लोगों के द्वारा यहां मंदिर ट्रस्ट बनाया गया, जो मंदिर में आने वाले चढ़ावे का हिसाब रखता है। साथ ही मंदिर में विकास कार्य करवाया जाता है।

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